पटना : देश के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अब इसके बाद सवाल उठता है कि अगला उपराष्ट्रपति किसे बनाया जाएगा? केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों सहित मतदाताओं का बहुमत है, इसलिए धनखड़ के इस्तीफे के फैसले से वह हैरान है। उपराष्ट्रपति के संभावित नामों को लेकर लोगों में अब उत्सुकता बढ़ गई है। इस बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम पर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज़ हो गई हैं।
ख़ास बात यह है कि नीतीश कुमार को लेकर यह मांग जेडीयू ने नहीं, बल्कि उसकी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी ने उठाई है। नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाए जाने के कई कारण हैं। बिहार में इन दिनों सियासत गरमा गई है। राजद-कांग्रेस और वामपंथी दलों का महागठबंधन जन मुद्दों पर सरकार को घेरने में जुटा है। एक ओर विपक्ष सीएम नीतीश कुमार की उम्र को लेकर उन पर तंज कस रहा है, तो दूसरी ओर उनकी कार्यशैली पर सवाल उठा रहा है। विपक्ष का कहना है कि अब किसी और को बिहार की गद्दी पर बैठने का मौका मिलना चाहिए। बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान कई बार यह मुद्दा उठा चुके हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बिहार में कभी भी अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई है। बिहार में जब भी भाजपा सत्ता में रही है, वह जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के समर्थन और नीतीश कुमार के नेतृत्व में रही है। राजनीती के जानकारों का कहना है कि अब सवाल यह है कि क्या बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह की चर्चाएं राज्य में भाजपा के लिए एक बड़ा मौका हैं? इस बीच भाजपा नेता और भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बछौल ने मंगलवार को पटना में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए नीतीश का नाम आगे किया है। बछौल ने कहा कि नीतीश कुमार पिछले 20 वर्षों से बिहार की सेवा कर रहे हैं। उनके पास राजनीति का लंबा अनुभव भी है।
बता दें कि नीतीश कुमार को केंद्र से लेकर राज्य तक की राजनीति का लंबा अनुभव है। सत्ता में आने के बाद से नीतीश लगातार किसी न किसी पद पर रहे हैं। नीतीश कुमार पिछले बीस वर्षों से बिहार के सीएम हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में एक अनुभवी राजनेता हैं। वह सोशल इंजीनियरिंग भी जानते हैं। नीतीश कुमार ने पिछला चुनाव सुशासन के मुद्दे पर लड़ा था और बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल की थी। नीतीश का राजनीतिक करियर साल 1977 में शुरू हुआ था। नीतीश कुमार के पास विधानसभा से लेकर लोकसभा तक सदन और उसकी कार्यवाही में काम करने का कुल मिलाकर लगभग 48 साल का राजनीतिक अनुभव है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अब नीतीश कुमार क्या करेंगे?
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