Jagdeep Dhankhar resigns : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार शाम को ही उनके स्वास्थ्य कारणों से भेजे गए इस्तीफे को मंजूरी दी। इस खबर के सामने आते ही सियासी गलियारों में हलचल और तेज हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट कर धनखड़ के उत्तम स्वास्थ्य की कामना की। उन्होंने लिखा कि जगदीप धनखड़ को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार रात अचानक राज्यसभा के सभापति पद से इस्तीफा देकर सियासी हलकों में सनसनी फैला दी है। 2022 में उपराष्ट्रपति चुने गए धनखड़ का कार्यकाल 2027 में समाप्त होना था। जगदीप धनखड के इस अप्रत्याशित कदम के चलते उनका नाम कृष्णकांत और वी.वी. गिरि के साथ कार्यकाल पूरा न करने वाले उपराष्ट्रपति की सूची में शामिल हो गया है। धनखड़ के इस्तीफे से कई सवाल सियासी गलियारें में उठने लगे हैं। इसके पीछे के कारणों को लेकर गहन अटकलें लगाई जा रही हैं।
मीडिया में आ रही खबरों की माने तो धनखड़ के इस्तीफे से ठीक पहले, बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की दो महत्वपूर्ण बैठकें हुईं, जिनमें कुछ ऐसा हुआ जिसने संभावित रूप से इस निर्णय का प्रस्तावना लिख दिया। दूसरी बिजनेस एडवाइजरी कमेटी मीटिंग, जो शाम 4ः30 बजे हुई थी। इस बैठक में सत्ता पक्ष के नेता सदन जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के नहीं आने से सभापति जगदीप धनखड़ को नाराज़ कर दिया था। इस बैठक में सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन ने हिस्सा लिया और बैठक को अगले दिन करने का आग्रह किया था।
कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने भी बिजनेस एडवाइजरी कमेटी मीटिंग में नड्डा और रिजिजू की गैर मौजूदगी पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सदन में जेपी नड्डा द्वारा दिया गया एक बयान जिसमें नड्डा ने कहा था कि मेरे शब्द रिकॉर्ड में दर्ज होंगे। नेता सदन का इस तरह बात करना सीधे तौर पर चेयर का अपमान था। यह घटनाक्रम धनखड़ और सत्ता पक्ष के बीच संभावित मतभेदों की ओर इशारा करता है।
सुखदेव भगत ने धनखड़ के इस्तीफे को आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से भी जोड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी हर फैसला चुनाव को ध्यान में रखकर लेती है और धनखड़ के इस्तीफे की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। भगत ने यह भी संकेत दिया कि बीजेपी, बिहार से आने वाले राज्यसभा उपसभापति हरिवंश को उपराष्ट्रपति बना सकती है। उनके अनुसार, बीजेपी ने धनखड़ को परेशान किया और उन पर अपनी शर्तें थोपने की कोशिश की।
इन आरोपों और अटकलों के बीच, राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा ने अपनी अनुपस्थिति और बयान पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि वह और किरेन रिजिजू किसी अन्य महत्वपूर्ण संसदीय कार्य में व्यस्त थे, जिसकी जानकारी उपराष्ट्रपति कार्यालय को दी गई थी। नड्डा ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका यह बयान कि जो मैं बोल रहा वही ऑन रिकॉर्ड जाएगा, विपक्ष के टोका-टोकी करने वाले सांसदों के लिए था, न कि चेयर के लिए।
हालांकि नड्डा ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है, लेकिन धनखड़ के इस्तीफे के इर्द-गिर्द का रहस्य बरकरार है। क्या यह सिर्फ एक संयोग था, या इसके पीछे गहरे राजनीतिक दांव-पेंच थे? यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि इस अप्रत्याशित इस्तीफे के क्या दूरगामी परिणाम होंगे और भारतीय सियासत पर इसका क्या असर पड़ेगा।
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