महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हेटेरोटेक्सी सिंड्रोम के दो दुर्लभ मामले सामने आए

खबर सार :-
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हेटेरोटेक्सी सिंड्रोम के दो दुर्लभ मामले सामने आए हैं। 45 साल के एक पुरुष और एक महिला में पेट दर्द की शिकायत के बाद जांच में यह जन्मजात विकार सामने आया, जिसमें उनके आंतरिक अंग असामान्य स्थिति में थे। यह सिंड्रोम 25,000 में से किसी एक मरीज में पाया जाता है।

महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हेटेरोटेक्सी सिंड्रोम के दो दुर्लभ मामले सामने आए
खबर विस्तार : -

झाँसी  : महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हाल ही में हेटेरोटेक्सी सिंड्रोम के दो दुर्लभ मामले सामने आए हैं। यह एक जन्मजात विकार है, जिसमें शरीर के आंतरिक अंग सामान्य स्थिति में नहीं होते हैं। यह स्थिति बच्चों में अक्सर हृदय रोग के रूप में सामने आती है, लेकिन इन मामलों ने यह साबित किया है कि यह वयस्कों में भी छिपा रह सकता है।

वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट डॉ. रचना चौरसिया के अनुसार, 45-45 साल के एक पुरुष और एक महिला में बार-बार पेट दर्द और अपच की शिकायत के बाद जांच की गई। अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन में पाया गया कि उनके दिल, लीवर, फेफड़े और अन्य आंतरिक अंग सामान्य से बिल्कुल अलग जगह और आकार के थे। डॉक्टरों को देखकर काफी आश्चर्य हुआ, क्योंकि इस तरह के मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं।

डॉ. चौरसिया ने बताया कि लगभग 25,000 मरीजों में से किसी एक में यह दुर्लभ सिंड्रोम पाया जाता है। इन मरीजों का दिल सीने के बीच में था और चारों चेंबर एक ही आकार के थे, जबकि सामान्य रूप से ये अलग-अलग आकार के होते हैं। इसके अलावा, इनका लीवर दोनों तरफ फैला हुआ था, पित्ताशय मध्य में था और बाईं ओर तिल्ली नहीं थी, जबकि दाईं ओर तिल्ली जैसी छोटी संरचनाएं दिखीं।

इन मरीजों की जांच से यह भी पता चला कि उनकी आंतें गलत दिशा में मुड़ी हुई थीं। इन विकृतियों और असमानताओं का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन का संयोजन एक प्रभावी तरीका है। डॉक्टरों की टीम, जिसमें कार्डियोलॉजिस्ट, पीडियाट्रिशियन, सर्जन और गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट शामिल थे, ने मरीजों को उचित इलाज दिया और सलाह दी कि भविष्य में हृदय संबंधी समस्याओं के लिए सीधे कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क करें और अपने दिल की असामान्य स्थिति के बारे में बताएं।

डॉ. चौरसिया ने कहा कि बचपन में इस बीमारी की पहचान हो जाए, तो इसका प्रभावी इलाज संभव है और बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। वयस्कों में भी समय पर उचित जांच से न केवल इसका पता चल सकता है, बल्कि भविष्य में होने वाली जटिलताओं को भी रोका जा सकता है।
 

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