उत्तराखंड सरकार का बड़ा फैसला, बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल होगी श्रीमद्भगवद्गीता और रामायण

खबर सार :-
उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने बड़ा ऐलान करत हुए कहा कि अब राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सरकारी स्कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता और रामायण को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। इसके लिए आदेश जारी कर दिए गए हैं। जिसमें कहा गया है कि स्कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ कराया जाए।

उत्तराखंड सरकार का बड़ा फैसला, बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल होगी श्रीमद्भगवद्गीता और रामायण
खबर विस्तार : -

देहरादूनः उत्तराखंड सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। शैक्षणिक सत्र 2026-27 से राज्य के सरकारी स्कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता और रामायण को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। साथ ही, नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में गीता के श्लोकों का पाठ भी शुरू हो गया है।

समीक्षा बैठक में दिए निर्देश

दरअसल, 6 मई 2025 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा का प्रावधान किया गया है। उसी के तहत बच्चों के पाठ्यक्रम में श्रीमद्भगवद्गीता और रामायण को शामिल किया जाए। जिसके चलते शिक्षा विभाग ने एक और कदम आगे बढ़ाया है और 15 जुलाई से राज्य के सभी स्कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ शुरू कर दिया गया है।

माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने बताया कि सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए गए हैं। जारी आदेश के अनुसार, स्कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता के कुछ श्लोकों का पाठ कराकर बच्चों को भारतीय ज्ञान परंपरा और जीवन मूल्यों की जानकारी दी जाए।

शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश

- प्रतिदिन प्रार्थना सभा में विद्यार्थियों को श्रीमद्भगवद्गीता का कम से कम एक श्लोक अर्थ सहित सुनाया जाए।

- विद्यार्थियों को श्लोक के वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अवगत कराया जाए।

- प्रत्येक सप्ताह एक मूल्य आधारित श्लोक को 'सप्ताह का श्लोक' घोषित कर उसका अर्थ सूचना पट्ट पर अंकित किया जाए।

- बच्चों को इसका अभ्यास कराया जाए और सप्ताह के अंतिम दिन इस श्लोक पर चर्चा की जाए।

- शिक्षकों को समय-समय पर श्लोकों की व्याख्या कर बच्चों को जानकारी देनी चाहिए।

- श्रीमद्भगवद्गीता के सिद्धांत किस प्रकार मानवीय मूल्यों, व्यवहार, नेतृत्व कौशल, निर्णय लेने की क्षमता, भावनात्मक संतुलन और वैज्ञानिक सोच का विकास करते हैं।

- विद्यार्थियों को यह भी बताया जाना चाहिए कि श्रीमद्भगवद्गीता में दी गई शिक्षाएँ सांख्य, मनोविज्ञान, तर्कशास्त्र, व्यवहार विज्ञान और नैतिक दर्शन पर आधारित हैं जो धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण से संपूर्ण मानवता के लिए उपयोगी हैं।

- श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक विद्यार्थियों को केवल एक विषय या पठन सामग्री के रूप में नहीं पढ़ाए जाने चाहिए।

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