लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग आज एक अत्यंत भावुक क्षण का साक्षी बना, जब पुलिस मुख्यालय, गोमती नगर विस्तार, लखनऊ स्थित सभागार में सेवानिवृत्त पुलिस उप महानिरीक्षक सुनील चंद्र बाजपेई (आईपीएस-2001) के निधन पर शोक सभा का आयोजन किया गया। 8 जुलाई 2025 को उनका आकस्मिक निधन हुआ था, जिससे समस्त पुलिस विभाग एवं उनके परिचितों में शोक की लहर दौड़ गई।
शोक सभा में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्णा सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों, सेवानिवृत्त पुलिसकर्मियों, सहकर्मियों एवं कर्मठ पुलिसकर्मियों ने भाग लिया। इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक ने दिवंगत अधिकारी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, 'सुनील चंद्र बाजपेई न केवल एक अनुशासित अधिकारी थे, बल्कि एक सजग, संवेदनशील और अपने कर्तव्यों के प्रति पूरी तरह समर्पित प्रहरी भी थे। उनकी कार्यशैली और सादगी सभी के लिए प्रेरणा है।'
श्री बाजपेई का जन्म 15 अप्रैल 1955 को जनपद इलाहाबाद में हुआ। उन्होंने 1985 में प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) में प्रवेश लिया और प्रशिक्षण उपरांत विभिन्न जनपदों में अपने दायित्वों का कुशलता से निर्वहन किया। वे पीलीभीत, आगरा, लखनऊ, वाराणसी, शाहजहांपुर, हरिद्वार, फिरोजाबाद, आदि जिलों में पुलिस उपाधीक्षक, अपर पुलिस अधीक्षक, तथा बाद में आईपीएस प्रमोशन के पश्चात वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पदों पर कार्यरत रहे।
उनकी बहुआयामी सेवा में सीबीसीआईडी, सतर्कता अधिष्ठान, अभिसूचना विभाग, पीएसी और नगर सुरक्षा से संबंधित अहम पद शामिल रहे। वर्ष 2009 में उन्हें भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में प्रोन्नत किया गया, जिसके पश्चात उन्होंने पुलिस अधीक्षक बिजनौर, एसएसपी आगरा, सेनानायक अलीगढ़ (पीएसी), तथा डीआईजी पीएसी सेक्टर आगरा जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। उन्होंने 30 अप्रैल 2015 को पुलिस उप महानिरीक्षक के पद से सेवानिवृत्ति प्राप्त की।
अपने लगभग तीन दशक लंबे सेवा काल में श्री बाजपेई ने कानून व्यवस्था, खुफिया जानकारी एकत्रण, सामुदायिक पुलिसिंग तथा संगठनात्मक अनुशासन जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया। उनकी अनुकरणीय सेवाओं के लिए उन्हें गणतंत्र दिवस 2013 के अवसर पर 'दीर्घ एवं सराहनीय सेवाओं के लिए पुलिस पदक' प्रदान किया गया। यह सम्मान उनकी ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और उत्कृष्ट नेतृत्व कौशल का प्रमाण है।
शोक सभा के दौरान, उनके पूर्व सहकर्मियों एवं अधीनस्थ अधिकारियों ने भी उन्हें याद करते हुए कहा कि वे सख्त लेकिन न्यायप्रिय अधिकारी थे, जिन्होंने सदैव अधीनस्थों का मार्गदर्शन किया और जनता के विश्वास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उन्होंने न केवल कानून व्यवस्था को संभालने में दक्षता दिखाई, बल्कि मानवता के मूल्यों को भी सदैव प्राथमिकता दी।
अपने पीछे वह एक पुत्री, एक पुत्र और एक संपन्न परिवार छोड़ गए हैं, जिनके लिए उनका जाना अपूरणीय क्षति है। पुलिस परिवार ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए इस बात की पुष्टि की कि उनकी सेवाओं की गूंज आने वाले समय तक सुनाई देती रहेगी।
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