एक प्रचलित कहावत है “सच बोले तो कचहरी में मार खाय”, इसकी उदाहरण सपा विधायक पूजा पाल के निष्कासन मामले में सबके सामने में आ गया है। पीडीए की धुरी पर खड़ी सपा को इस कार्रवाई से बड़े नुकसान के कयास लगाये जा रहे है। विधान सभा में चल रही चर्चा के बीच 14 अगस्त को पूजा पाल ने भाग लेते हुये प्रदेश की कानून व्यवस्था को अपनी आपबीती से जोड़ते हुये कहा कि मेरे पति की हत्या कर दी गई जो इसी सदन के सदस्य थे लेकिन मेरी आंसू पोछने वाला कोई नहीं था।
योगी सरकार आयी तो उन्होंने मेरे छिपे हुये आंसुओं को देखा जो अब तक किसी ने नहीं देखा, मेरे दुखों को महसूस किया और मुझे न्याय दिलाया। विधायक ने कहा कि हम मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देते हैं जिनकी जीरो टालरेंस नीति के कारण अतीक अहमद जैसे अपराधियों को मिट्टी में मिला दिया गया। इस बयान के कुछ ही घंटो बाद सपा ने विधायक पूजा पाल को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निकाल दिया गया। उत्तर प्रदेश विधान सभा में सपा विधायक पूजा पाल की कहानी बहुत ही दुखद और सरकार समर्थित कथित अपराधियों के बर्बरतापूर्ण किस्सों की एक बानगी है।
प्रयागराज (पहले का इलाहाबाद) के शहर पश्चिमी से सपा विधायक अतीक अहमद के सांसद बन जाने पर अक्टूबर 2004 में हुये इस सीट के उपचुनाव में अतीक अहमद ने अपने भाई अशरफ को शहर पश्चिमी से सपा का टिकट दिलाया तो बसपा ने राजू पाल को टिकट दिया। सपा प्रत्याशी अशरफ चुनाव हार गये और राजू पाल विधायक बन गये। इस हार से बौखलाये अशरफ ने राजू पाल की हत्या का प्रयास शुरु किया। 21 नवम्बर 2004 को राजू पाल पर पहली बार जानलेवा हमला हुआ लेकिन राजू पाल बाल-बाल बच गये। विधायक ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से सुरक्षा की मांग की। पर्याप्त सुरक्षा तो नहीं मिली लेकिन 24 दिसम्बर 2004 को विधायक पर दूसरा जानलेवा हमला हो गया। इस हमले में सपा प्रत्याशी रहे अशरफ के विरुद्ध नामजद प्राथमिकी दी गई लेकिन रात में उसका नाम हटा दिया गया। सपा सांसद अतीक अहमद के दबदबे का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि एक विधायक पर बार बार जानलेवा हमले हो रहे थे और उसे सुरक्षा तथा अपराधियों पर प्राथमिकी दर्ज कराने के लिये जूझना पड़ रहा था।
राजू पाल दो बार जानलेवा हमले में बच निकले थे लेकिन तीसरी बार बहुत ही सुनियोजित हमला हुआ। 25 जनवरी 2005 की दोपहर में विधायक स्वयं गाड़ी चलाते हुये अपने घर के करीब पहुंचे तभी दो दर्जन से अधिक हमलावरों ने आधुनिक हथियारों से उनपर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। घटना स्थल पर ही उनका अंगरक्षक और एक कार्यकर्ता मार दिया गया। गम्भीर हालत में राजू पाल को एक आटो से अस्पताल ले जाया जा रहा था और हमलावर लगभग 5 किमी दूर तक उनका पीछा करके गोलियां चलाते रहे लेकिन पुलिस का कहीं पता नहीं था। अस्पताल में राजू पाल को मृत घोषित कर दिया गया।
विधायक पर हमले की खबर पूरे शहर में फैल गई। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में हिंसा फैल गई। राजू पाल ने हत्या से नौ दिन पहले ही पूजा पाल से विवाह किया था, उनके हाथों की मेहदी भी अभी नहीं छूटी थी और पति की हत्या कर दी गई। दुखद यह था कि पुलिस प्रशासन ने विधायक राजू पाल के शव को लावारिस की तरह जला दिया। घर के बाहर पुलिस का कड़ा पहरा लगा दिया गया। यह लोकतंत्र के इतिहास का एक काला दिन था जब लाखों का चहेता विधायक लावारिस हालत में जला दिया गया और सरकार खामोश रही। हत्यारोपी अशरफ के भाई सपा सांसद अतीक अहमद 26 जनवरी को प्रेस कांफ्रेंस में ऐसे आये मानो कोई बहुत बड़ा सेना का अधिकारी या वीआईपी हो। सांसद के साथ लगभग 2 दर्जन से अधिक गाड़ियों के साथ आये अराजकतत्वों ने शहर में दहशत फैलाने के लिये असलहों से का खुला प्रदर्शन किया। पुलिस प्रशासन मौन बना रहा। विधायक की हत्या पर संवेदना व्यक्त करने सरकार का कोई प्रतिनिधि राजू पाल के घर नहीं आया।
बसपा विधायक की हत्या के बाद 2005 में शहर पश्चिमी में हुये उपचुनाव में बसपा ने पूजा पाल को प्रत्याशी बनाया जबकि सपा ने राजू पाल के हत्यारोपी अशरफ को ही प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में पूजा पाल को हार का सामना करना पड़ा। 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी पूजा पाल ने सपा प्रत्याशी अशरफ को हरा कर पहली बार विधायक बनीं। 2012 के चुनाव में पूजा पाल ने माफिया अतीक अहमद को हरा कर दूसरी बार विधायक बनीं परन्तु 2017 के चुनाव में वह भाजपा के सिद्धार्थ नाथ सिंह से चुनाव हार र्गइं। 2017 के चुनाव के बाद जब भाजपा सत्ता में आयी तो पूजा पाल अपने पति के हत्यारों को सजा दिलाये जाने के मामले में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिये उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से मिली थी और इसी मुलाकात के बाद बसपा ने उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया था। 2019 में वह अखिलेश यादव की सपा में शामिल हुई और 2022 में कौशाम्बी के चायल सदर सीट से सपा की विधायक चुनी गई लेकिन सदन में मुख्यमंत्री की प्रशंसा के बाद सपा ने भी उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया।
अपने पति के हत्यारों को सजा दिलाने के लिये पूजा पाल 17 साल तक संघर्ष करती रहीं। हत्यारोपी अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को सजा दिला पाना पूजा पाल के लिये बहुत आसान नहीं था भले ही वह विधायक बन गईं थीं। 2023 में पूजा पाल का संघर्ष और कठिन हो गया जब हत्या के मुख्य गवाह रहे उमेश पाल की भी उसी तर्ज पर हत्या कर दी गई। उमेश पाल के दो सरकारी गनर में भी शहीद हुये थे। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री ने विधानसभा में बहुत ही आक्रोशित शब्दों में कहा था कि हम माफियाओं को मिट्टी में मिला देगें। इसके कुछ ही दिन बाद एक घटनाक्रम में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में तीन हमलावरों ने हत्या कर दी थी।
सपा से विधायक के निष्कासन के बाद पहला सवाल सपा के पीडीए (पिछड़ा,दलित और अल्पसंख्यक) को लेकर उठ रहा है। पूजा पाल पिछड़ा वर्ग से आती है और समाज में उनकी लोकप्रियता है। उनकी लोकप्रियता और प्रभाव का ही असर था कि बसपा से बाहर होने के बाद पहली बार सपा से विधानसभा चुनाव लड़ी और चुनाव जीत गईं। प्रयागराज शहर के जिस शहर पश्चिमी सीट पर वह दो बार बसपा विधायक बनी वहां 2022 के चुनाव में बसपा गायब हो गई। सपा से निष्कासन के बाद पीडीए समाज में काफी तीखी प्रतिक्रिया हो रही है और इस प्रतिक्रिया का असर पूरे प्रदेश में दिखेगा। अब पूजा पाल के राजनीतिक कैरियर को लेकर भी कयास लगाये जा रहे है जिसमें भाजपा से जुड़ाव भी शामिल है। यदि ऐसा होता है तो सपा के पीडीए का दरकना तय है। आगामी चुनाव में उनके टिकट को लेकर सपा की ओर से की गई टिप्पणी पर पूजा पाल ने साफ कहा कि मुझे इलेक्शन की सीट की फिक्र नहीं....मुझे मेरे पति के हत्यारों का टिकट जहन्नुम के लिये कटने की खुशी है।
अन्य प्रमुख खबरें
आसान नहीं है आजम खां की सियासत की राह
एशिया कपः ट्राफी नहीं चैंपियंनस के साथ लौटेगी टीम इंडिया
आख़िरकार जेन-ज़ी को भड़काने में सफल रहे अलगाववादी, लेह-लद्दाख की घटना से सबक ले सरकार
अफवाह से आफत: कब बेनकाब होंगे साजिशकर्ता
आखिर कौन कर रहा है सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश ?
राहुल गांधी की Gen Z से संविधान बचाने की अपील: क्या पड़ेगा असर ?
Bihar Assembly Elections: मूलभूत मुद्दों के बजाय जातीय समीकरण पर जोर
Happy Birthday PM Modi@75: भारतीय राजनीति के शिखर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
मणिपुर में विकास और शांति की एक नई भोर
Bihar Assembly Elections 2025 : बहेगी जीएसटी सुधार की बयार
देश में अपसंस्कृति के संवाहक बनते राहुल गांधी
भारत में स्वदेशी चिप क्रांति का बिगुल
भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग: विश्व गुरू बनने की दिशा में एक और कदम
शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मलेन में भी बजा भारत का डंका
वोटर अधिकार यात्रा: विवादास्पद नेताओं की भागीदारी से राजग को मिला मुद्दा