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राजग गठबंधन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेहरे पर ही चुनाव लड़ रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनावों की घोषणा से पहले ही बिहार की जनता को अनेकानेक उपहार दे चुके हैं जिनमें महिला मतदाताओं का विशेष ध्यान रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आयोजित एक कार्यक्रम में जब 75 लाख महिलाओं को स्वरोजगार के लिए 10 हजार रुपए की सहायता उनके खाते में पहुंचाई गई तभी यह तय हो गया था कि मुख्यमंत्री तो नीतीश कुमार ही बनेंगे। यही नहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले भी कई ऐसी घोषणाएं करी जिसका प्रत्यक्ष लाभ एनडीए को होने वाला है। अब विपक्ष की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव ने राजग की योजनाओ की काट के लिए ऐसी घोषणाएं कर दी हैं कि मतदाता व राजनैतिक विश्लेषक यह विचार कर रहे हैं कि तेजस्वी यादव जनता के साथ जो प्रण कर रहे हैं वह आखिर पूरे कैसे होंगे।
बिहार विधानसभा चुनावों में मुद्दों की कहीं कोई कमी नही है। बिहार वैसे तो जातिगत राजनीति का कुरुक्षेत्र रहा है किंतु इस बार बिहार विधानसभा चुनाव जैसे -जैसे आगे बढ़ रहा है वैसे -वैसे धार्मिक ध्रुवीकरण का भी प्रास लगातार बढ़ता जा रहा है। धार्मिक ध्रुवीकरण को दोनों ही गठबंधन हवा देने का प्रयास कर रहे हैं। चुनावों के आरम्भ में वोटर लिस्ट में सुधार और बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकलने का मुद्दा छाया रहा । बाद में जब चुनाव आयोग ने बुर्का पहन कर वोट देने आने वाले मुस्लिम महिलाओ की जांच का आदेश दिया उसके बाद भी राजनीति का पारा चढ़ना ही था ।
अब राजद नेता तेजस्वी यादव ने ध्रुवीकरण को आगे बढ़ाते हुए बयान दिया है कि जब उनकी सरकार बनेगी तब वक्फ बिल को फाड़ कर फेंक दिया जाएगा। अब राजद पर यह दबाव है कि महागठबंधन को मुस्लिम वोट पाने की चिंता तो रहती है किंतु उन्होंने किसी मुस्लिम को उपमुख्यमंत्री पद का दावेदार क्यों नहीं घोषित किया? इसके बाद राजद की ओर से कहा गया कि जब उनकी सरकार बनेगी तब एक मुस्लिम को भी उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा। इस विषय पर जेडीयू और चिराग पासवान आरजेडी और कांग्रेस पर मुस्लिम समाज के साथ धोखा करने का आरोप लगा रहे हैं । राजनैतिक विश्लेषकों का कहना हैं कि यह दावे बिहार के सीमांचल के कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया और अररिया जैसे जिलों में ओवैसी के प्रभाव को समाप्त करने के लिए चला गया है।
भारतीय जनता पार्टी व राजग गठबंधन बिहार की जनता को राजद सरकार के जंगलराज की याद करा रहे हैं जिसका तेजस्वी यादव के पास कोई काट नहीं है क्योकि उनके पिता लालू यादव जब बिहार के मुख्यमंत्री थे तबका चारा घोटाला आज तक चर्चा का विषय बना हुआ है। नौकरी के बदले जमीन घोटाले में पूरे परिवार पर आरोप तय हो चुके हैं।पुरानी राजद सरकार में हफ़्ता वसूली से लेकर रंगदारी और अपहरण व हत्याएं आम बात थी। महिलाओं व युवतियो का घर से बाहर निकलना दूभर हो गया था। इन चुनावों में भी राजद काल के किस्से सुनाए जा रहे हैं । तेजस्वी यादव ने पत्रकार वार्ता मे यह कहकर कि उनकी सरकार आने पर अपराधियों भ्रष्टाचारियों व घोटालोबाजों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी अपना ही मजाक बनवा लिया । घर और पार्टी से निकाले गए उनके भाई तेज प्रताय यादव ने भी उनके खिलाफ हल्ला बोल दिया।
उत्तर प्रदेश के फायरब्रांड मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बिहार में चुनाव प्रचार आरम्भ कर दिया है और उन्होंने भी लालू के जंगलराज की वापसी न करने की अपील करते हुए कहा कि यह लोग औरंगजेब और बाबर की मजार पर सजदा पढने वाले लोग हैं जिन्होंने कभी राम मंदिर का मार्ग रोका था। बिहार के विधानसभा चुनावो में माना जा रहा हे कि योगी जी की लोकप्रियता बहुत अधिक है तथा हर जगह उनकी जनसभा कराने की मांग की जा रही है क्योकि जहां योगी जी हिन्दुत्व का चेहरा हैं। बिहार में भी उनकी बुलडोजर बाबा के रूप मे उनकी पहचान लोकप्रिय है ।
वर्तमान समय मे बिहार की राजनीति में बिहार का जननायाक कौन का मुद्दा भी बहुत गर्म हो चुका है। बिहार की राजनीति में अभी तक केवल स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर जैसी महान हस्ती को जननायक का दर्जा दिया गया है किंतु जिन लोगों कभी महापुरुषों का सम्मान तक नहीं किया आज वो लोग स्वयं को जननायक कहला रहे हैं । कांग्रेस राहुल गांधी को और राजद तेजस्वी यादव को जननायक बता रही है। तेजस्वी यादव को जननायक कहने पर उनकी पार्टी के लोगों द्वारा ही सवाल उठाया जा रहा है और कहा जा रहा है कि जननायक बनने के लिए तेजस्वी को अभी बहुत कुछ करना पड़ेगा।
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