भारतीय राजनीति के अजातशत्रु - भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी

Photo of writer
अटल बिहारी वाजपेयी एक जाने-माने राष्ट्रीय नेता, एक शानदार राजनेता, एक निस्वार्थ समाज सेवक, एक प्रभावशाली वक्ता, एक कवि, एक लेखक, एक पत्रकार और बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। उन्हें बीजेपी में एक उदारवादी चेहरे के तौर पर जाना जाता था।

भारतीय राजनीति के अजातशत्रु - भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी

भारतीय राजनीति में राष्ट्रवाद के प्रखर प्रवक्ता, सुशासन के प्रतीक और भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बनाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न यशस्वी अटल बिहारी वाजपेयी, एक कुशल राजनेता होने के साथ साथ संवेदनशील कवि, लेखक तथा पत्रकार भी थे। अटल जी का देश की राजनीति,साहित्य तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान है। अटल जी लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन जैसे राष्ट्रीय भावना से ओत प्रोत पत्र - पत्रिकाओं के संपादक रहे। 

विश्व की राजनीति में मनवाया लोहा

अटल जी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था। उन्होने अपना सामाजिक जीवन संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था। अटल जी ने जनसंघ की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा वर्ष 1968 से वर्ष 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। अटल जी ने पहली बार 1955 में लोकसभा चुनाव लड़ा और पराजित हुए लेकिन लगातार जनता की सेवा करते हुए वे उसी बलरामपुर से जनसंघ प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा पहुंचे। मोरार जी देसाई सरकार में 1977 से 1979 तक भारत के विदेश मंत्री रहे तथा विश्व राजनीति में भी अपना लोहा मनवाया। अटल जी भारत के पहले ऐसे विदेशमंत्री थे जिन्होनें संयुक्तराष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण देकर राष्ट्रभाषा का मान बढ़ाया था।अटल जी ने कश्मीर आंदोलन में भी 1953 में सहयोग दिया था। मोरार जी की सरकार के पतन के पश्चात 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी व लालकृष्ण आडवाणी ने भारतीय जनता पार्टी का गठन किया। 6 अप्रैल 1980 को वह भाजपा के अध्यक्ष बने। 

पाकिस्तान के साथ पाकिस्तान के साथ

लोकतंत्र के सजग और यशस्वी प्रहरी अटल जी 16 मई 1996 को पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने किन्तु ये सरकार मात्र 13 दिनों में ही गिर गयी। निरंतर संघर्ष करते हुए भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई और 19 अप्रैल 1998 को अटल जी पुनः देश के प्रधानमंत्री बने। अटल जी के कार्यकाल में भारत ने राजस्थान के पोखरन में 11 व 13 मई 1998 को पांच भूमिगत परमाणु विस्फोट किये और उसके बाद भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया। अटल जी के इस साहसिक निर्णय ने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व के प्रमुख देशों में स्थान दिलाया। अटल जी की सरकार में पाकिस्तान के साथ बेहतर संम्बंधों की अनोखी पहल की गयी लेकिन भारत को बदले में कारगिल की लड़ाई झेलनी पड़ गयी। अटल सरकार ने युद्ध नियमों का पालन करते हुए कारगिल को पाकिस्तानी सेना व आतंकियों के कब्जे से मुक्त करा लिया। 

अटल जी के नेतृत्व वाली सरकार में विकास कार्यो को भी गति प्रदान की गयी जो आज की मोदी सरकार की तेज विकास गति का आधार बनी। अटल जी की सरकार में स्वर्णिम चतुर्भुज योजना आरम्भ हुई जिसने दिल्ली- कोलकाता -चेन्नई - मुम्बई को परस्पर जोड़ा गया। अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ उतना आज़ादी के बाद पहले कभी नहीं हुआ था था। इसके अतिरिक्त आवास योजना तथा रोजगार सृजन के लिए भी अटल सरकार तत्पर थी । अटल जी पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने न केवल गठबंधन सरकार को स्थायित्व दिया अपितु सफलतापूर्वक संचालित भी किया। 

वाणी में था जादू

अटल जी के मित्र लगभग सभी दलों में थे। जब अटल जी संसद में बोलने के लिये खड़े होते थे तब संसद में सन्नाटा छा जाता था। अटल जी की वाणी में ऐसा जादू था कि सामने बैठा व्यक्ति मंत्रमुग्ध हो जाता था। विरोधी भी आज तक उनके इस गुण के प्रशंसक हैं । चुनावों मे भारी पराजय के बाद भी वह जननायक बनकर उभरे। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनावो में भाजपा की भारी पराजय हुई थी और भाजपा के मात्र दो सांसद ही चुनकर आए थे। उस पराजय के बाद मुम्बई के शिवाजी पार्क में एक विशाल जनसभा का आयोजन हुआ था और अटल जी को सुनने के लिए जनसमुद्र उमड़ पड़ा था। अपनी और पार्टी की पराजय को लाखों नागरिकों के सामने स्वीकार करते हुए फिर से उठ खडे़ होने वाले अटल जी चुनावों और सत्ता इत्यादि की सीमा पार कर भारत के सच्च्चे जननायक बन गये। 

सत्ता कैसी होनी चाहिए ? अटल जी ने एक बार कहा था कि सत्ता ऐसी होनी चाहिए जो हमारे जीवन मूल्यों के साथ बंधी हो जो हमारी जीवन पद्धति के विकास में योगदान दे सके। सत्ता ऐसी हो जिसमें देश के प्राणिमात्र के लिए हित का भाव समाहित हो जो सभी को समान भाव से देखने का अपना दायित्व निर्वहन पूरी ईमानदारी के साथ कर सके। 

विश्व पटल बढ़ रही भारत की पहचान

मेरी इक्यावन कविताएं अटल जी का प्रसिद्ध काव्य संग्रह है। उनके संघर्षमय जीवन ,परिवर्तनशील परिस्थितियां , देशव्यापी आंदोलन आदि अनेक आयामों के प्रभाव एवं अनुभूतियों ने उनके काव्य में अभिव्यक्ति पायी। कई महत्वपूर्ण प्रसंगों पर उनका कविता पाठ जनमानस व श्रोता को भाव विभोर कर देता था तथा जीवन में नव उत्साह का संचार भी करता था। अटल जी के लेखों व भाषणों का संग्रह भी प्रकाशित हुआ है। उनकी अन्य रचनाओं में सेकुलरवाद, राजनीति की रपटीली राहें, अमर आग है ,संसद में तीन दशक काफी उल्लेखनीय है। 

आज के “मेक इन इंडिया” अभियान का बीज अटल जी ने ही बोया था जिसे उनके प्रिय शिष्य नरेन्द्र मोदी वटवृक्ष बना रहे हैं । भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए वह सदा प्रयत्नशील रहते थे वर्तमान सरकार उनके मिशन को तीव्रता से आगे बढ़ा रही है। अटल जी राष्ट्रवाद के प्रबल पक्षधर थे, मोदी सरकार राष्ट्र प्रथम के साथ उसे बढ़ा रही है। अटल जी ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसी भाव से कार्य करते हैं। 

अटल जी ने विकसित भारत का केवल सपना ही नहीं देखा वरन उसके लिए जीवन पर्यंत जूझे और जाते हुए भी उस सपने को पूरा करने का दायित्व सशक्त हाथों में देकर गए। आज भारत के भविष्य के लिए अटल जी द्वारा कही गई हर भविष्यवाणी सही होती दिख रही है, विश्व पटल पर भारत का गौरव गान हो रहा है। 

अन्य प्रमुख खबरें