किस्सा जंगलराज का: सत्ता के साये में आईएएस की पत्नी से होता रहा दुष्कर्म

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प्रधानमंत्री के प्रतीकात्मक भाषण ने बिहार के पूर्व आईएएस अधिकारी बी.बी. विश्वास की पत्नी के साथ लगभग दो साल तक चले बलात्कार के मामले को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। यह मामला इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि आरोपी तत्कालीन सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनता दल पार्टी से थे और राबड़ी देवी राज्य की मुख्यमंत्री थीं।

किस्सा जंगलराज का: सत्ता के साये में आईएएस की पत्नी से होता रहा दुष्कर्म

बिहार विधानसभा चुनावों की घोषणा से थोड़ा पहले 26 सितम्बर 2025 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिहार राज्य में “मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना ” के शुभारम्भ के अवसर पर महिलाओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि आरजेडी के राज में इस तरह का माहौल था कि कोई घर सुरक्षित नहीं था। गरीब से लेकर डाक्टर, आईएएस तक का परिवार आरजेडी के अत्याचार से बचा नहीं था।

आईएएस की पत्नी चंपा विश्वास 

आईएएस अधिकारी बी बी विश्वास की पोस्टिंग 1995 में बिहार समाज कल्याण विकास विभाग में सचिव पद पर हुयी। कार्यभार ग्रहण के बाद वह अपने परिवार के साथ पटना के बेली रोड़ स्थित सरकारी आवास में शिफ्ट हो गये। चंपा विश्वास उनकी पत्नी थीं जो एक सामान्य घरेलू महिला थीं। कहा जाता है कि बी बी विश्वास ने 1990 में चंपा विश्वास से दूसरी शादी की थी जिसकी उम्र उनसे काफी कम थी। विश्वास के कार्यभार ग्रहण के समय ही आरजेडी विधायक हेमलता यादव को बिहार समाज कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया और उनको विश्वास के बगल का फ्लैट आवंटित हुआ। हेमलता यादव के साथ उनका 28 साल का बेटा मृत्युंजय यादव भी रहता था। 7 सितम्बर 1995 की घटना

चंपा विश्वास को हेमलता के पद और कद के बारे में पता था। 7 सितम्बर 1995 को हेमतला ने नौकरानी से चंपा को बुलाकर एक कमरे में बिठाया जहां उसका बेटा मृत्युंजय भी था। कुछ देर बाद हेमलता अपनी नौकरानी के साथ बाहर निकल र्गइं और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया। मृत्युंजय ने चंपा से जबरन दुष्कर्म किया। चंपा का विरोध और चीखना-  चिल्लाना कमरे के भीतर ही अनसुना होकर रह गया। वह कमरे में काफी देर तक बेहोश रही। जब होश आया तो अपने फटे कपड़ों को सहेजकर घर गई तो पीछे-पीछे हेमलता भी गईं और धमका कर कहा कि अगर घटना की जानकारी किसी को हुई तो तुम्हारी और तुम्हारे बच्चों की हत्या करवा देगें। तुम्हारी न्यूड फोटो मेरे पास है उसे सबको दिखा देंगे। चंपा को बिहार में चल रहे जंगलराज के किस्से रोज अखबारों में पढ़ने को मिलते थे इसलिये उसे पता था कि हेमलता के लिये किसी की हत्या करवाना आसान काम है। चंपा ने मामले में चुप्पी साध ली और पति को कुछ नहीं बताया। 

आये दिन होने लगा दुष्कर्म

पुलिस को दिये बयान में चंपा ने बताया कि अगले दिन हेमलता  बेटे और नौकरानी के साथ उसके घर पर आयीं। पहले धमकाया फिर बेटे से शादी करने का आफर दिया जब उसने मना किया तो फिर एक कमरे में मृत्युंजय के साथ बंद करके चले गये। चंपा के साथ फिर वही कहानी दोहरायी गई। अब चंपा के साथ मृत्युंजय के दुष्कर्म का सिलसिला आये दिन चलने लगा। पुलिस बयान में चंपा ने बताया कि आये दिन होने वाले दुष्कर्म से वह प्रेग्नेंट हो गई तो उसका अबार्शन करवा दिया गया। सत्ता की हनक दिखा मृत्युंजय कभी घर पर तो कभी जिद करके चंपा को बाहर ले जाता और दुष्कर्म करता। हेमलता और उसके बेटे के क्रूरता से पीड़ित चंपा बार-बार के अबार्शन से बचने के लिये नसबंदी करवा लिया। अभी तक चंपा के साथ जो हो रहा था उसकी भनक पति को नहीं थी। 

सास, भतीजी और नौकरानी का भी यौन उत्पीडन

चंपा के साथ लगातार दुष्कर्म करने से मृत्युंजय के हौसले बुलंद होते जा रहे थे। अब उसका यौन उत्पीडन चंपा तक सीमित नहीं रहा। पटना आयीं चंपा की सास से भी मृत्युंजय ने एक दिन छेड़छाड़ की। मार्च 1997 में चंपा को पता चला कि पति की भतीजी कल्याणी से भी मृत्युंजय ने दुष्कर्म किया है। चंपा ने पुलिस को बताया कि कल्याणी से मृत्युजंय के साथ ही उसके दोस्तों ने भी दुष्कर्म किया। विश्वास के घर की दो घरेलू नौकरानियों का भी यौन उत्पीड़न किया गया। मृत्युंजय का व्यवहार देखकर सास ने तो चंपा से तत्काल पटना छोड़ कर कहीं और रहने के लिये कहा लेकिन उस समय यह इतना आसान नहीं था क्योंकि जुलाई 97 में चंपा के भाई ने उसे बंगाल ले जाने का प्रयास किया तो हेमलता और मृत्युजंय ने उसे धमका कर भगा दिया था। पति की नौकरी, अपनी बदनामी  और बच्चों सहित परिवार की हत्या का डर लगातार चंपा को चुप रहने पर मजबूर कर रहा था। 

दो साल बाद पति को पता चला

 सितम्बर 1995 से चंपा के साथ दुष्कर्म होता रहा, इस बीच कई बार उसके पति घर आ गये तो मृत्युंजय पिछले दरवाजे से भाग गया। एक बार रात में जब विश्वास घर पर सो रहे थे तो उसने चंपा को बाहर बुलाकर सोफे पर दुष्कर्म किया लेकिन इसी बीच विश्वास की नींद खुल गई तो वह बाहर से बंद दरवाजा खोलने का प्रयास करने लगे। हमेशा की तरह मृत्युंजय फिर भाग गया लेकिन इस बार उन्हें शंका हो गई परन्तु  तमाम प्रयास के बाद भी  चंपा ने उस दिन भी मुंह नहीं खोला। जुलाई 97 में एक दिन मृत्युंजय चंपा के घर में ही दुष्कर्म कर रहा था तभी पति ऑफिस से आ गये। उन्होंने दरवाजा खोलने का प्रयास किया तब तक मृत्युंजय पीछे से भाग गया। विश्वास को अब तक ड्राइवर और चपरासी के माध्यम से मृत्युंजय की हरकतों की सूचना मिल चुकी थी। चंपा ने भी उस दिन पहली बार पूरी बात बताई। इस घटना से दुखी विश्वास ने पहले पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया लेकिन  हेमलता का नाम आते ही सबने हाथ खड़े कर दिये। उन्होंने अपने साथ के लोगों से भी सहयोग मांगा तो सबने शांत रहने की सलाह दी।

पटना से दिल्ली शिफ्ट हुआ विश्वास परिवार

चंपा से दुष्कर्म के मामले में एक तरफ कार्रवाई नहीं हो रही थी दूसरी तरफ धीरे-धीरे यह मामला विश्वास के ऑफिस से बाहर फैलने लगा। कहा जाता है कि बदनामी और हत्या के डर से विश्वास परिवार नवम्बर 97 में दिल्ली शिफ्ट हो गया। दिल्ली शिफ्ट होने के बाद विश्वास को विभाग में परेशान किया जाने लगा। कई महीनों तक उनका वेतन रोक दिया गया। बताया तो यहां तक जाता है कि मृत्युंजय डीयू का छात्र होने के कारण वह दिल्ली में भी चंपा को परेशान करता रहा इस कारण उसे कई मकान बदलने पड़े।  

राज्यपाल से गुहार 

चंपा के यौन उत्पीडन का अनवरत सिलसिला 1997 तक चलता रहा। पुलिस द्वारा कार्रवाई न किये जाने पर चंपा ने मई 1998 में बिहार के तत्कालीन राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी को घटना से अवगत कराते हुये न्याय की गुहार लगाई। राज्यपाल के हस्तक्षेप पर पुलिस ने जांच शुरू की इसी बीच 8 अगस्त को भाजपा नेता सुशील मोदी ने पटना में एक प्रेस कांफे्रस करके चंपा विश्वास के मामले को मीडिया के  सामने रख दिया  तब जाकर पुलिस सक्रिय हुई। 19 अगस्त को बिहार पुलिस ने दिल्ली जाकर चंपा का बयान दर्ज किया और 22 अगस्त को हेमलता और मृत्युजय के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हुई। 26 अगस्त को पुलिस ने मृत्युंजय यादव को गिरफ्तार किया लेकिन हेमलता फरार हो गई। पुलिस ने दबाव बनाया तो हेमलता को कुछ माह बाद आत्म समर्पण करना पड़ा।    

निचली अदालत से मिली सजा 

फरवरी 2002 में पटना की निचली अदालत ने मृत्युंजय यादव को 10 साल और हेमलता को 3 साल की सजा सुनाई। फैसले के समय तक हेमलता 3 वर्ष से अधिक की सजा काट चुकी थीं इसलिये उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। कुछ दिन बाद निचली अदालत की सजा को पटना हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में पलटते हुये दोनों को बरी कर दिया।

गुमनामी के अंधेरे में गुम हुआ विश्वास परिवार 

पटना से शुरू हुई मुसीबतों ने विश्वास परिवार का पीछा नहीं छोड़ा। विश्वास को वर्ष 2000 में गठित राज्य झारखंड स्थानान्तरित कर दिया गया। बीबी विश्वास का 53 वर्ष की आयु में अगस्त 2002 में निधन हो गया। छत्तीसगढ़ सरकार ने चंपा विश्वास को मृतक आश्रित के रूप में नौकरी आफर किया लेकिन उन्होंने मना कर दिया और वापस बंगाल चली गईं। उसके बाद से अब उनका कोई पता नहीं है। 
 

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