उत्तर प्रदेश के तमाम जनपदों में एक अफवाह के चलते ग्रामीण जीवन भय और आतंक के साये में है। दिनभर खेती-किसानी या मजदूरी करके घर लौटे लोग रात को आराम से सोने के बजाय अपनी छत या दरवाजे पर बैठ कर ड्रोन चोरों से बचाव के लिये पहरा दे रहे है। कई गांव तो ऐसे है जहां लोग समूह में अपने हथियारों के साथ गांव में आने-जाने वाले रास्तों पर पहरा दे रहे हैं। हालात इतने खराब है कि दिन के समय भी यदि गांव में कोई अजनबी आ जाय तो उसे जान बचाना मुश्किल हो रहा है। प्रशासन के तमाम प्रयासों के बाद भी अफवाहों पर विराम नहीं लग रहा है।
ग्रामीणों के दिलोदिमाग में यह बात बैठ गई है कि चोरों का बड़ा गिरोह रेकी करा रहा है और जल्द ही चोरी को अंजाम दिया जायेगा। लोग समूह में एकत्र होकर लाठी, डंडा, तथा घर में मौजूद परम्परागत हथियार फरसा, बल्लम, कुल्हाड़ी आदि लेकर पूरी रात पहरा दे रहे हैं। यदि रात में आसमान में ऊंचाई पर हवाई जहाज की भी लाइट दिखायी पड़ जाय तो लोग उसे भी ड्रोन मान ले रहे हैं। कई स्थानों पर तो शरारती तत्वों या बच्चों के रिमोट वाले खिलौने उड़ा देने से भी लोग भयभीत होकर पुलिस को बुला लिया।
ड्रोन से रेकी करके चोरी करने की अफवाह से गांव में आने वाले अजनबियों,फेरी वालों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। पिछले एक माह में दर्जन भर से ज्यादा स्थानों पर बेगुनाहों को चोर समझ कर गम्भीर रूप से मारपीटा जा चुका है। अभी 23 सितम्बर को प्रयागराज में रोड़ सर्वे के लिये लखनऊ से आयी अभियांत्रिकी सेवा विभाग की टीम और नगर निगम के कर्मचारियों पर वार्ड संख्या-19 के बहादुरपुर गांव में प्राण घातक हमला हुआ। टीम के सदस्य रोड डायरेक्टरी बनाने के लिये गांव वालों से रास्ते की पहचान और आसपास की जानकारी जुटा रहे थे। गांव वालों ने चोर चोर का शोर मचा दिया। हमले में चार लोगों को चोट आयी।
28 अगस्त की रात्रि में कानपुर के साढ़ थानान्तर्गत महोलिया गांव में सड़कों का मानचित्रण करने गई गूगल टीम की गाड़ी पर लगे कैमरा और मशीन को देख कर गांव वालों ने चोर समझकर हमला कर दिया। छिटपुट घटनाओं में प्रयागराज, प्रतापगढ, फतेहपुर, जालौन, कन्नौज, इटावा, कानपुर, औरैया, बांदा, अयोध्या आदि जनपदों में दर्जन भर से ज्यादा बेकसूरों को चोर समझ कर पीटा गया है। इनमें कुछ विक्षिप्त तो कई रास्ता भटके लोग थे। बरेली मे एक महिला को चोर के शक में खम्भे से बांध कर पीटा गया तो गोरखपुर में पिटाई से एक युवक की मौत की खबर है। उल्लेखनीय यह है कि गांव के जिम्मेदार व्यक्ति भी मारपीट में शामिल हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मंडल के जनपदों से जुलाई में शुरू हुआ ड्रोन का आतंक समय के साथ बढ़ता ही जा रहा है। अब तक केवल रामपुर जनपद में गिरे एक ड्रोन को बरामद किया गया है। पुलिस लगातार इसे अफवाह साबित कर रही है। अनेक स्थानों पर गोष्ठी, सभायें आयोजित करके पुलिस लोगों को समझाती है। लोग अफवाह मानने के लिये सहमत भी होते हैं लेकिन अगले दिन पूरा गांव हथियारों के साथ फिर सड़क पर खड़ा रहता है। पेट्रोल पंप पर काम करने वाले दिनेश कहते है कि हम जान समझ रहें हैं कि यह अफवाह है लेकिन लोगों ने इतने किस्से बता दिये है कि मन में ही डर बैठ गया है,शाम होते ही चोरी से ज्यादा परिवार की सुरक्षा को लेकर डर लगने लगता है। पुलिस उप निरीक्षक बृजेन्द्र राय कहते हैं कि जिसे समझाने का प्रयास करतें है वह हमें ही समझाने लगता है। लोग कहतें है कि आप लोग चोर पकड़ते नहीं, हमको बताते हैं कि सब अफवाह है। इसी के साथ आसपास के गांवों में हुई चोरी की सामान्य घटनाओं को ड्रोन से जोड़ देते हैं।
प्रदेश में फैली अफवाह से ग्रामीणों के परेशान होने का यह कोई पहला मामला नहीं है। पिछले दो दशकों में कम से कम दो बड़ी अफवाहों ने लोगों का जीवन संकट में डाल रखा था। 2002 में मुंहनोचवा का व्यापक आतंक था। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अफवाह फैलाई गई कि एक ऐसा जीव है जो रात के अंधेरे में लोगों पर हमला करता है, और उनके चेहरे और गर्दन पर अपने तेज नाखून लगा कर घाव बना देता है। इसी आधार पर उसका नाम लोगों ने मुंहनोचवा रख दिया गया था।
वह जब चलता है तो उसमें लाल,पीली और हरी लाइटें जलती रहती है। लोगों में ऐसी दहशत थी कि शाम होते ही लोग अपने घरों में कैद हो जाते थे। अनेक लोगों ने मुहनोचवा के हमले से पीड़ित होने का सबूत भी दिखाया। पुलिस प्रशासन इसे अफवाह और शरारत तत्वों की करतूत बताती रही लेकिन जनता को पुलिस पर भरोसा नहीं हुआ। इसी बीच पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक जिलाधिकारी द्वारा मुहनोचवा देखे जाने की बात कहने पर प्रकरण संवेदनशील हो गया था। आईआईटी कानपुर के बैज्ञानिकों ने भी बहुत खोजबीन करने के बाद इसे अफवाह पाया था।
2017 में चोटीकटवा का भी खूब आतंक रहा। कश्मीर, हिमांचल, राजस्थान, हरियाणा मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि प्रदेश में अफवाह फैलाई गई कि एक चुड़ैल रात में आकर महिलाओं ,लड़कियों के बाल काट कर चली जाती है। अनेक गांवों में चोटी काटने की घटनाओं को सामने लाया गया लेकिन कभी किसी ने चुड़ैल को पकड़ा या देखा नहीं। पीड़ित महिलायें बताती रहीं कि उन्हें पता ही नहीं चला कि कब बाल काट दिये गये। लोग आज की तरह उस समय भी रात में जाग कर पहरा देते रहे।
इस अफवाह के चक्कर में तमाम निर्दोष महिलायें लोगों के कोपभाजन का शिकार हुईं। आगरा में एक बुजुर्ग महिला पर चोटी काटने का आरोप लगा कर उसे इतना पीटा गया कि वह मर गई। तमाम लोग चुड़ैल के आतंक से निजात पाने के लिये पूजा-पाठ, टोटके का सहारा लिया। लोगों ने अपने अपने घरों की दीवारों पर हल्दी की छाप, दरवाजे पर नीबू मिर्चा लटकाते रहे। उस समय भी पुलिस ने व्यापक स्तर पर जांच अभियान चलाया था लेकिन कहीं सत्यता नहीं पायी गई थी। पुलिस इसे अफवाह बता कर बेवजह परेशान न होने की अपील करती रही लेकिन लोगों को पुलिस की बातों पर भरोसा नहीं हुआ था।
पिछले एक अर्से से मुंहनोचवा, चोटीकटवा, बच्चाचोर, मंकीमैन, ड्रोन चोर जैसी तमाम अफवाहें प्रदेश के क्षेत्र विशेष में या बड़े भाग में भय और आतंक का पर्याय बनती आ रही है लेकिन प्रशासन उन पर कभी रोक नहीं लगा पाया। इसके पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है ऐसी अफवाहों को मीडिया विशेषकर सोशल मीडिया पर व्यापक प्रचार। आज चंद घंटों में ऐसी अफवाहें देश में एक कोने से दूसरे कोने पहुंच जा रही है। इन अफवाहों को हर कोई बिना पुष्टि किये आगे फारवर्ड कर दे रहा है।
पुलिस की बातों पर लोगों को भरोसा नहीं होता है। अफवाह फैलाने वाले यदि पकड़े भी गये तो उन पर कोई कड़ी कार्रवाई नही होती है। हाल ही में तमाम लोग दहशत फैलाने के लिये ड्रोन उड़ाते पकड़े गये लेकिन पुलिस ने उनको डांट-डपट कर छोड़ दिया अथवा शांति भंग में चालान कर दिया जबकि आज आवश्यकता है ऐसे लोगों पर कठोर कार्रवाई की जाय। सबसे उल्लेखनीय तथ्य यह है कि अभी तक इन अफवाहों का कोई मुख्य साजिशकर्ता अथ्वा गैंग नहीं पकड़ा गया है जिससे यह साबित होता है कि यह चंद लोगों की शरारत है जो सोशल मीडिया पर अंकुश न होने के कारण तेजी से बढ़ रहा है।
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