Hari Mangal
बिहार विधानसभा चुनाव अब गति पकड़ चुका है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और महागठबंधन के बीच मुख्य मुकाबले के बाद भी अनेक स्थानों पर तमाम विपक्षी दल चुनाव को त्रिकोणीय या रोचक बना रहे हैं। वैसे तो भारतीय राजनीति में बिहार विधानसभा चुनाव दिग्गज राजनेताओं और बाहुबलियों के लिये विख्यात रहा है लेकिन इस बार इन सबसे इतर किन्नर समाज के दो प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में आ जाने से बिहार की राजनीति में नया अध्याय जुड़ गया है। किन्नर समाज से आये दोनों प्रत्याशियों में एक प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से और दूसरा निर्दलीय उम्मीदवार है।
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने जब अपने विधानसभा उम्मीदवारों की सूची जारी की तो उसमें तमाम चैंकाने वाले नामों के बीच एक नाम प्रीति किन्नर का भी था। प्रीति किन्नर का राजनीति से कभी कोई जुड़ाव नहीं रहा है लेकिन वह अपने समाज से जुड़े कार्यो, पशुपालन के साथ सामाजिक सरोकारों से जुड़ने का दावा करती हैं। वह मुलतः सीतामढी के सोनवर्षा प्रखंड के खाप गांव की निवासी हैं लेकिन लोक-लाज और सामाजिक उपेक्षा के कारण वह 2003 से भोर विधानसभा के कल्याणपुर प्रखंड में रह रही हैं। उनका परिवार और अपने गांव से अब कोई सरोकार नहीं रह गया है। कक्षा आठ पास प्रीति का कहना है कि अब तक वह 27 गरीब कन्याओं का विवाह कराने में मदद के साथ तमाम अवसरों पर लोगों की मदद करती आ रहीं हैं जिसके कारण इस क्षेत्र के लिये वह अनजान नहीं हैं।
गोपालगंज की भोर विधानसभा सुरक्षित सीट है जहां 2020 में जनता दल (यूनाइटेड) प्रत्याशी सुनील कुमार और सीपीआई(एमएल) प्रत्याशी जीतेन्द्र कुमार के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था जिसमें सुनील कुमार मात्र 462 मतों से विजयी हुये थे। सरकार गठन में सुनील कुमार प्रदेश के शिक्षा मंत्री बनाये गये। इस बार सुनील कुमार के सामने एक बार फिर सीपीआई (एमएल) प्रत्याशी जीतेन्द्र कुमार है। प्रीति किन्नर के आने से चुनाव रोचक हो चला है। प्रीति के नामाकंन से पहले ही दिल्ली सहित अनेक स्थानों से किन्नर समाज के लोग प्रचार के लिये आ गये है। प्रीति का कहना है कि हमारे समाज के साथ-साथ किन्नर अखाड़े से जुड़े लोग और कई महामंडलेश्वर भी चुनाव में प्रचार करने आयेंगे।
प्रीति क्षेत्र में शादी-ब्याह और बच्चों के पैदा होने पर बधाई गीत और नाच गाने के लिये विधानसभा के तमाम गांवों में जाते रहने के कारण पहचान की मोहताज नहीं है। यही कारण है कि वह जब किन्नरों के साथ प्रचार के लिये जाती है तो लोगों की भीड़ एकत्र हो जाती है। चुनाव जीतने पर क्षेत्र के लिये प्राथमिकता पर होने वाले कार्यो पर कहती हैं कि पहले उच्च शिक्षा के लिये महाविद्यालय और गांव से बाजार- हाट जाने वाली महिलाओं के लिये शौंचालय बनवाना हमारी प्राथमिकता होगी। प्रीति का कहना है कि आज भी गांवों में चिकित्सा सुविधा विशेषकर गर्भवती महिलाओं के लिये ठीक नहीं है उन्हें गम्भीर स्थितियों में अच्छे अस्पतालों तक पहुंचाने के लिये हर न्याय पंचायत स्तर पर एम्बुलेंस की व्यवस्था करुंगी। पिछले चुनाव के समीकरण से तुलना की जाय तो प्रीति के आने से इस बार भोर विधान सभा चुनाव कडे मुकाबले के साथ ही रोचक भी हो गया है और सबसे बड़ी बात यह है कि किन्नर होने के कारण प्रीति को मीडिया कवरेज भी खुब मिल रहा है।
पश्चिमी चंपारण की नरकटियागंज विधानसभा सीट पर किन्नर समाज की प्रत्याशी माया रानी अपना जलवा विखेर रही है। मायारानी कहतीं है दलदल से दूर निर्दल की अपनी आवाज है। मेरी लड़ाई किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति से नहीं है अपितु पुरानी व्यवस्था और गरीबों, मजबूरों पर हो रहे अनयाय के विरुद्ध है, मैं सबकी आवाज विधानसभा तक पहुंचाऊंगी। वह सार्वजनिक मंचों से बताती है कि हम तो सदैव आपके बीच रहते हैं हमें आपके सुख के साथ-साथ दुख और गरीबी भी पता हैं। मायारानी का प्रचार थोड़ा सा अलग है वह व्यक्ति,परिवार केन्द्रित विकास का वादा कर रहीं है। लोगों से कहती हैं कि हर घर की छोटी बड़ी समस्या का हल निकलेगा क्योंकि हर व्यक्ति की जिंदगी मायने रखती है।
मायारानी ने अपने नामांकन से लगभग एक माह पूर्व किन्नर समाज का जुलूस निकाल कर पूरे नगर का ध्यान आकृष्ट किया था। मायारानी के नेतृत्व में किन्नर समाज का जुलूस 24 सितम्बर को नगर के गोपाला ब्रम्ह स्थान से वर्मा चैक, शिवगंज चैक होते हुये हरदिया चैक तक गया था जिसमें बिहार सहित देश के तमाम शहरों से आये किन्नरो ने भाग लिया था। बड़ी संख्या में चार पहिया और दो पहिया वाहनों पर सवार किन्नर और हजारों समर्थकों के जुलूस को देखकर उसी समय राजनीतिक पंड़ितो को चुनाव में कड़े मुकाबले का आभास हो गया था। नामांकन जुलूस में भी उमड़े समर्थक नारे लगा रहे थे “परिवर्तन की नई पहचान, मायारानी मायारानी’’। अब नरकटियागंज में किन्नरों के गूंज रहे नारे “किन्नर समाज ने ठाना है, मायारानी को विधायक बनाना है ” ने सियासी पारा बढ़ा दिया है।
नरकटियागंज का चुनावी समीकरण आसान नहीं है। भूमिहार,राजपूत और पिछड़ी जातियों की बहुलता से यहां ऊंट किस करवट बैठेगा, यह अंत तक रहस्य बना रहता है। पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा की रश्मि वर्मा ने कांग्रेस के विनय वर्मा को हराया था लेकिन इस बार दोनों लोगों को टिकट नहीं मिला। राजग की ओर से भाजपा के संजय पांड़ेय और महागठबंधन की ओर से राजद के दीपक यादव मैदान में हैं। टिकट कटने से नाराज विधायिका रश्मि वर्मा और दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के विनय वर्मा ने बगावत करके निर्दल प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया था लेकिन अंततः दोनों ने अपने दल के हाईकमान के कहने पर पर्चा वापस ले लिया है। इससे दोनों के समर्थक नाराज हैं तो दूसरी ओर मायारानी ने चुनाव समीकरण को नया मोड़ देकर बिहार की राजनीति में तहलका मचा दिया है।
बिहार की राजनीति जो अब तक दिग्गज राजनीतिक घरानो, माफियाओं, बाहुबलियों, बड़े व्यापारियों तक सीमित थी, में अब हांसिये पर खड़े किन्नरों का प्रवेश फिलहाल एक नये राजनीति अध्याय को जन्म दिया है।
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