Waqf Amendment Act: SC में वक्फ एक्ट पर सुनवाई का दूसरा दिन, इन 3 सवालों पर फंसा पेंच

Summary : Waqf Amendment Act: 4 अप्रैल को संसद द्वारा पारित वक्फ संशोधन विधेयक को 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को

Waqf Amendment Act: 4 अप्रैल को संसद द्वारा पारित वक्फ संशोधन विधेयक को 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को 8 अप्रैल से लागू कर दिया था। तब से इसका लगातार विरोध हो रहा है। वक्फ एक्ट को विपक्षी दलों, मुस्लिम संगठनों और अन्य याचिकाकर्ताओं ने इसे "मुस्लिम विरोधी" और "असंवैधानिक" बताते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) में चुनौती दी है।

Waqf Amendment Act:  सुनवाई का दूसरा दिन

सुप्रीम कोर्ट वक्फ कानून को चुनौती देने वाली 73 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इन याचिकाओं पर आज दूसरे दिन सुनवाई होगी। इससे पहले बुधवार को भी कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान मुस्लिम पक्ष और केंद्र सरकार ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। हालांकि कोर्ट ने संकेत दिए थे कि वह इस बारे में अंतरिम आदेश दे सकता है। 

बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अपील की थी कि अंतरिम आदेश जारी करने से पहले कोर्ट उसकी दलीलें सुन ले। समय की कमी के चलते कोर्ट ने सुनवाई टाल दी थी। इस पर आज सुनवाई होनी है।  वक्फ एक्ट से जुड़े तीन संशोधनों कौन से हैं, जिन पर कोर्ट आज अंतरिम आदेश दे सकता है।

Waqf Amendment Act: सुप्रीम कोर्ट में इन 3 सवाल पर फंसा पेंच

वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति 

नए कानून में वक्फ बोर्ड (Waqf Amendment Act) और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है, जिसे कोर्ट ने धार्मिक स्वायत्तता के खिलाफ माना। अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा, "क्या आप हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने की अनुमति देंगे?" कोर्ट ने सुझाव दिया कि बोर्ड और परिषद के स्थायी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए, हालांकि पदेन सदस्य गैर-मुस्लिम हो सकते हैं।

वक्फ बाय यूजर संपत्तियों का दर्जा

वक्फ के नए कानून पर कोर्ट ने सवाल उठाया कि 'वक्फ बाय यूजर' संपत्तियां, जिन्हें पहले कोर्ट के आदेश के तहत वक्फ घोषित किया गया था, इस नए कानून के तहत अमान्य होंगी। मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि ऐसी संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने से "बड़ी समस्याएं" पैदा हो सकती हैं, क्योंकि कई मस्जिदें और अन्य धार्मिक संपत्तियां सदियों पुरानी हैं और उनके पास औपचारिक पंजीकरण दस्तावेज नहीं हो सकते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी संपत्तियों की स्थिति, जिन्हें पहले से ही वक्फ के रूप में मान्यता प्राप्त है, में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।

कलेक्टर को दी गई शक्तियां

नए कानून (Waqf Amendment Act) के तहत, यदि जिला कलेक्टर किसी संपत्ति को सरकारी भूमि के रूप में मान्यता देता है, तो उसे तब तक वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा, जब तक कि कोर्ट अपना अंतिम फैसला न सुना दे। एससी ने इस प्रावधान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि कलेक्टर की जांच के दौरान संपत्ति का वक्फ दर्जा खत्म नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने प्रस्ताव दिया कि कलेक्टर जांच कर सकता है, लेकिन इसका प्रभाव तब तक लागू नहीं होगा जब तक अंतिम फैसला नहीं आ जाता।

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