चालान नहीं भरा तो कैंसिल होगा ड्राइविंग लाइसेंस ! नियम में होने जा रहे हैं बड़े बदलाव

Summary : Traffic Challan: प्रस्तावित नियमों के मुताबिक, अगर कोई वाहन स्वामी तय निर्धारित अवधि पर अपना ई-चालान नहीं भरता है तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस (DL) रद्द किया जा सकता है।

Traffic Challan: ट्रैफिक चालान नहीं भरने वालों के लिए बड़ी खबर। अब चालान न भरना भारी पड़ सकता है। भारत सरकार ट्रैफिक चालान न भरने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की योजना  बना रही है। प्रस्तावित नियमों के मुताबिक, अगर कोई वाहन स्वामी तय निर्धारित अवधि पर अपना ई-चालान नहीं भरता है तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस (DL) रद्द किया जा सकता है। सरकार यह कदम ट्रैफिक नियमों के पालन कराने और बकाया चालान की वसूली करने के लिए उठाने जा रही है।

Traffic Challan: 3 महीने में भरना होगा चालान

प्रस्तावित नियमों के मुताबिक वाहन मालिकों को 3 महीने के अंदर अपना ट्रैफिक ई-चालान भरना अनिवार्य होगा। यदि तय समयसीमा पर चालान नहीं भरा जाता है तो उस व्यक्ति का ड्राइविंग लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। इसके अलावा, जो वाहन चालक एक वित्तीय वर्ष में तीन बार रेड सिग्नल जंप करते या खतरनाक तरीके से वाहन चलाते पकड़े जाते हैं, उनका डीएल करीब तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया जाएगा।

ई-चालान को बीमा प्रीमियम से भी जोड़ा जाएगा

 दरअसल सरकार सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता देने, यातायात नियमों का पालन सुनिश्चित करने और बकाया चालान की वसूली करने के उद्देश्य से यह कदम उठाने जा रही है। इतना ही नहीं ट्रैफिक ई-चालान को बीमा प्रीमियम से भी जोड़ने पर जोर दिया जा रहा है। अगर किसी वाहन चालक के नाम पर पिछले वित्तीय वर्ष से दो या उससे अधिक चालान लंबित हैं, तो उसे अपने वाहन के बीमा के लिए अधिक प्रीमियम देना पड़ सकता है। 

सभी राज्यों ने कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से ट्रैफिक पुलिस द्वारा जारी किए गए चालान और उनके भुगतान की स्थिति के बारे में रिपोर्ट मांगी थी। फिलहाल सभी राज्यों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में जारी किए गए ई-चालान में से केवल 40 फीसदी ही वसूले जाते हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र में यह दर सबसे अधिक 62-76 प्रतिशत के बीच है। जबकि दिल्ली में यह दर सबसे कम 14 प्रतिशत है। 

इसके अलावा उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु 27 प्रतिशत जबकि कर्नाटक में यह दर 21प्रतिशत है। दरअसल सरकार यातायात नियमों का पालन कराने के लिए ये सख्त कदम उठाने जा रही है। दरअसल सरकार के इस कदम से सड़क पर अनुशासन बढ़ेगा और दुर्घटनाओं में भी कमी आने की संभावना है।

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