Pahalgam terror attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुआ आतंकवादी हमला एक बार फिर इस इलाके में आतंकवाद को सामने लेकर आ गया है। इस हमले में 26 लोगों की जान गई, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। इस भयावह हमले ने पूरे देश को हिला दिया, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। यह हमला तब हुआ जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब दौरे पर थे, और अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत में चार दिवसीय यात्रा पर हैं। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर ने हाल ही में 'कश्मीर को पाकिस्तान से अलग न कर सकने' की बात कहकर एक बार फिर पुराने घाव कुरेद दिए थे। मोदी को अपना विदेश दौरा बीच में ही छोड़कर लौटना पड़ा, जिसने इस हमले की गंभीरता को और बढ़ा दिया।
पाकिस्तान में इस हमले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने सोशल मीडिया पर लिखा, "पाकिस्तान हर भारतीय दुस्साहस का मुँहतोड़ जवाब देगा।" वहीं पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सांसद शेरी रहमान ने हमले की निंदा तो की, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि भारत हमेशा ऐसे हमलों के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराता है। उन्होंने लिखा, "भारत कश्मीर की स्थिति को संभालने में असफल रहा है और अपने कृत्यों का दोष पाकिस्तान पर डालना अब उसकी आदत बन गई है।"
हमले से कुछ दिन पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल मुनीर का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की 'गले की नस' बताया और हिन्दू-मुस्लिम भिन्नता को रेखांकित किया। यह भाषण अब गंभीर विवाद का विषय बन चुका है। पाकिस्तानी विश्लेषक आयशा सिद्दीक़ा और पत्रकार ताहा सिद्दीक़ी सहित कई लोगों ने इस भाषण को घृणा फैलाने वाला और साम्प्रदायिक कहा है। पाकिस्तानी पत्रकार सबाहत ज़कारिया ने सवाल उठाया, “अगर आप 20 करोड़ भारतीय मुसलमानों को ‘हम’ मानते हैं, तो क्या वे पाकिस्तान का हिस्सा बनना चाहते हैं? और जो अफगान मुसलमान दशकों से पाकिस्तान में हैं, उन्हें क्यों निकाला जा रहा है?”
ब्रिटेन की पत्रिका 'द इकनॉमिस्ट' के रक्षा संपादक शशांक जोशी ने इस हमले को भारत-पाक तनाव की एक नई कड़ी बताया है। उन्होंने यहां तक कहा कि भारत मई के अंत तक सैन्य जवाबी कार्रवाई कर सकता है। पूर्व पाकिस्तानी राजदूत हुसैन हक़्क़ानी ने इस हमले की तुलना 7 अक्टूबर 2023 को इज़राइल पर हमास के हमले से की, और चेताया कि अगर समय रहते इस प्रकार की हिंसा को नहीं रोका गया, तो कश्मीर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय चिंता का केंद्र बन सकता है।
भारतीय विश्लेषकों और पत्रकारों ने जनरल मुनीर के बयान को इस आतंकी हमले से जोड़ते हुए कहा है कि इस प्रकार की भाषणबाज़ी आतंक को परोक्ष रूप से बढ़ावा देती है। वरिष्ठ पत्रकार सुहासिनी हैदर ने इसे ‘सांप्रदायिक और विभाजनकारी’ बताते हुए लिखा, “यह भाषण न केवल नफ़रत फैलाता है, बल्कि आज के हमले जैसी घटनाओं के लिए वैचारिक ज़मीन तैयार करता है।” इस हमले ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर आज भी वैश्विक राजनीति का केंद्र बना हुआ है। पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और जनरल मुनीर के बयान आने वाले समय में भारत-पाक रिश्तों की दिशा तय करेंगे। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें अब भारत की प्रतिक्रिया और रणनीति पर टिकी हैं।
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