Operation Sindoor : पहलगाम में निर्दाेष तीर्थयात्रियों पर हुए आतंकी हमले का जवाब भारत ने अब तक के सबसे निर्णायक और सटीक सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए दिया है। मंगलवार देर रात, भारतीय सेना, वायुसेना और खुफिया एजेंसियों की साझा कार्रवाई में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के भीतर स्थित जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन के 9 ठिकानों पर भीषण एयरस्ट्राइक की गई। इन हमलों में करीब 90 से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। भारत सरकार ने इस कार्रवाई को ‘गैर-उकसावे वाला, लेकिन ज़रूरी’ बताया है। बुधवार सुबह हुई आधिकारिक प्रेस ब्रीफिंग में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने स्पष्ट कहा, “भारत ने सिर्फ आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग किया है। पाकिस्तान अब एक आतंकवादी पनाहगाह बन चुका है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे बेनकाब किया जाएगा।”
प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पहली बार भारतीय सेना की दो महिला अधिकारी, वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह और सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी भी मंच पर मौजूद थीं। यह भारतीय रक्षा तंत्र में महिला भागीदारी की बढ़ती ताकत का संकेत था। ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक स्पष्टता और राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचायक है। इस ऑपरेशन ने एक बार फिर पाकिस्तान को ये याद दिलाया है कि आतंक का समर्थन अब उसकी आंतरिक और वैश्विक स्थिति को और कमज़ोर करेगा। जहां दुनिया भर में आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की बातें होती हैं, भारत ने फिर साबित किया है कि वह न केवल शब्दों में बल्कि कार्रवाई में भी अग्रणी है। कर्नल सोफिया कुरैशी ने ऑपरेशन सिंदूर को महज़ सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि न्याय और मानवता की पुकार बताया।
प्रेस ब्रीफिंग में उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह ऑपरेशन उन निर्दाेष पर्यटकों और उनके परिजनों के लिए था, जिनकी जिंदगी पहलगाम की वादियों में अचानक, अमानवीय हिंसा की भेंट चढ़ गई। उन्होंने बताया कि यह जवाबी कार्रवाई उन गहराई से बसे आतंकी ढाँचों पर केंद्रित थी, जिन्हें पाकिस्तान ने वर्षों से योजनाबद्ध तरीके से पोषित किया। सवाई नाला से लेकर बहावलपुर और मुजफ्फराबाद से लेकर सियालकोट तक फैले इन ठिकानों को चुन-चुनकर ध्वस्त किया गया। यह केवल इंटेलिजेंस आधारित हमले नहीं थे, बल्कि एक स्पष्ट संदेश था कि अब निर्दाेषों की चीखें बेअसर नहीं रहेंगी। कर्नल कुरैशी ने इस ऑपरेशन को शोक में डूबे परिवारों के लिए एक सशक्त उत्तर और न्याय की ओर पहला निर्णायक कदम बताया।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने ऑपरेशन सिंदूर पर प्रेस ब्रीफिंग में स्पष्ट और ठोस शब्दों में पाकिस्तान की आतंकवाद-समर्थक भूमिका को उजागर किया। उन्होंने कहा कि पहलगाम में हुआ आतंकी हमला जम्मू-कश्मीर की बहाल होती शांति और विकास प्रक्रिया को पटरी से उतारने की साज़िश थी, जिसे भारतीय सरकार और नागरिकों ने विफल कर दिया।
मिस्री ने बताया कि इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन टीआरएफ ने ली है, और जांच में सामने आया है कि हमलावरों को पाकिस्तान से समर्थन और संरक्षण मिला था। उन्होंने यह भी कहा कि हमला महज़ कुछ निर्दाेष पर्यटकों पर नहीं, बल्कि भारत की अखंडता, सामाजिक सौहार्द और पर्यटन आधारित प्रगति पर सीधा हमला था। मिस्री ने कहा कि पाकिस्तान ने एक पखवाड़े में भी आतंकियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, उलटे भारत पर ही आरोप लगाए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान अब भी आतंकवादियों का सुरक्षित अड्डा बना हुआ है। उन्होंने भारत की जवाबी कार्रवाई को ‘नपा-तुला, जिम्मेदार और गैर-उकसावे वाला’ बताते हुए कहा कि यह ऑपरेशन आयोजकों और फाइनेंसरों को जवाबदेह ठहराने के लिए था, ताकि भारत पर भविष्य में होने वाले हमलों को रोका जा सके।
मिस्री का यह बयान भारत की विदेश नीति की स्पष्टता, दृढ़ता और आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति को दर्शाता है विदेश सचिव मिसरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान की भूमिका पर करारा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि “पहलगाम हमला जम्मू-कश्मीर की स्थिरता को भंग करने, साम्प्रदायिक तनाव फैलाने और कश्मीर की बढ़ती पर्यटक संख्या से पाकिस्तान की जलन का परिणाम था। पिछले साल सवा दो करोड़ पर्यटक कश्मीर आए थे, ये हमला उसी प्रगति को रोकने की कोशिश थी।” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय आतंकियों का स्वर्ग बना हुआ है जहां उन्हें सजा नहीं बल्कि संरक्षण मिलता है। “हमने साफ कर दिया है कि भारत की आत्मा पर हमला करने वालों को कीमत चुकानी ही होगी,” उन्होंने दो टूक कहा।
2 मई को पहलगाम में हुए हमले में लश्कर से जुड़े आतंकी संगठन टीआरएफ ने 25 भारतीयों और 1 नेपाली नागरिक को मौत के घाट उतारा था। इसके पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका सामने आई। चूंकि हमले के बाद भी पाकिस्तान ने कोई कार्रवाई नहीं की, उल्टा भारत पर ही आरोप मढ़े, भारत ने निर्णायक जवाबी कार्रवाई की रणनीति पर काम शुरू किया। देर रात ऑपरेशन शुरू हुआ और दो घंटे के भीतर ही जैश-लश्कर के 7 और हिज्बुल के 2 ट्रेनिंग व लॉन्च पैड ध्वस्त कर दिए गए। 90 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि सेना के इंटेलिजेंस सेल द्वारा की गई है।
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