Operation Kagar : देश का मोस्ट वांटेड माओवादी नेता और 1 करोड़ का इनामी नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू का सुरक्षा बलों के साथ हुई मैराथ मुठभेड़ में अंत हो गया। और इस तरह सालों से सुरक्षा बलों के साथ खेली जा रही आंख मिचौली का खेल उसकी मौत के साथ खत्म हो गया। छत्तीसगढ़ के घने और दुर्गम अबूझमाड़ जंगलों में 50 घंटे तक चले ऑपरेशन कगार में शीर्ष माओवादी नेता को मार गिराया गया, जो भारत में कई घातक नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता रहा है।
1955 में आंध्र प्रदेश के जियान्नापेट गांव में जन्मा बसवराजू पढ़ाई में तेज था। उसने NIT वारंगल से इंजीनियरिंग की थी, लेकिन 1980 के दशक में उसने हथियार उठाने का रास्ता चुना। पहले पीपुल्स वार ग्रुप और फिर सीपीआई (माओवादी) में शामिल होकर वह संगठन की रणनीतिक रीढ़ बन गया। 1987 में एलटीटीई से गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग लेने के बाद उसने देश के सबसे खतरनाक नक्सली ऑपरेशनों की योजना बनाई।
2010 दंतेवाड़ा नरसंहार जिसमें 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे।
2013 जीरम घाटी हमलाः 27 लोगों की जान गई, जिनमें कई कांग्रेस नेता भी शामिल थे।
2003 अलीपीरी बम विस्फोटः तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू पर जानलेवा हमला।
2018 में गणपति की जगह बसवराजू को सीपीआई (माओवादी) का महासचिव बनाया गया और उसने लगातार भूमिगत रहकर PLGA। की कमान संभाली। ऑपरेशन कगार की योजना भी कई हफ्तों तक खुफिया सूचनाओं को जुटाकर बनाई गई थी, जिसमें DRG, STF और CRPF की संयुक्त टीमों ने भाग लिया।
19 मई को शुरू हुआ ऑपरेशन, करीब 50 घंटे तक चला। इस दौरान 30 से अधिक माओवादी मारे गए और सुरक्षा बलों ने हथियार, गोला-बारूद और महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बरामद किए। यह माओवादी नेटवर्क की रसद और कमांड संरचना पर एक बड़ा आघात माना जा रहा है।
मुठभेड़ के दौरान DRG का एक जवान भी शहीद हुआ। उसका पार्थिव शरीर सम्मानपूर्वक नारायणपुर जिला मुख्यालय लाया गया।
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने सराहा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि हमें अपने सुरक्षा बलों पर गर्व है। यह सफलता हमारी माओवाद के खिलाफ लड़ाई को और मजबूती देती है। हम अपने नागरिकों को सुरक्षित, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील जीवन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुठभेड़ को राष्ट्रीय गौरव का क्षण बताया और लिखा कि तीन दशकों में यह पहली बार है जब किसी महासचिव स्तर के माओवादी नेता को सुरक्षा बलों ने मार गिराया है। 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य सरकार का संकल्प है।
विश्लेषकों के अनुसार, बसवराजू की मौत माओवादी आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका है। वह दंडकारण्य क्षेत्र में पार्टी का प्रमुख रणनीतिकार और ऑपरेशनल मास्टरमाइंड था। कई वरिष्ठ माओवादी कमांडर इस मुठभेड़ में मारे गए या घायल हुए हैं। तलाशी अभियान अब भी जारी है। छत्तीसगढ़ के दुर्गम इलाकों में चल रही यह कार्रवाई, नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में निर्णायक अब तक की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक मानी जा सकती है।
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