हरि मंगल
पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा 26 पर्यटकों, जिनमें एक यूएई और एक नेपाली पर्यटक शामिल था, की हत्या के बाद भारत ने 07 मई को पाकिस्तान के कुल 9 आतंकी ठिकानों पर मिसाइल से हमला करके उन्हें ध्वस्त कर दिया। इस हमले में बड़ी संख्या में आतकंवादियों के साथ-साथ उनके समर्थक और परिजन भी मारे गए हैं। भारत की इस कार्यवाही पर पाकिस्तान की होने वाली प्रतिक्रिया को लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि पाक अपनी साख बचाने के लिए युद्ध की सीमा तक जा सकता है। युद्ध की आशंका के बीच भारत की तीनों सेनाएं सतर्क और हर हमले का मुंह तोड़ जबाब देने को तैयार हैं। इसी बीच देश के सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मॉक ड्रिल का आयोजन किया जा रहा है।
पाकिस्तान की नापाक हरकतों से भिज्ञ भारत की तैयारी सेनाओं के अलर्ट तक ही सीमित नहीं है। वह अपने नागरिकों और तमाम संवेदनशील प्रतिष्ठानों को सुरक्षित बचाने के लिए गठित तमाम एजेंसियो की तैयारियों की समीक्षा और उसमें सुधार के लिए मॉक ड्रिल की तिथि निर्धारित कर चुका है। केन्दीय गृह मंत्रालय ने 5 मई को ही सभी 28 राज्यों और 8 केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए जारी एक निर्देश में कहा था कि देशभर में सूचीबद्ध सभी 244 सिविल डिफेंस जिलों में मॉक ड्रिल का कार्यक्रम आयोजित किया जाय। मॉर्क ड्रिल कराने का आशय आम नागरिकों को यह बताना है कि युद्ध जैसी आपातस्थिति में उन्हें क्या करना चाहिए। इस प्रकार के कार्य और प्रशिक्षण में आम नागरिकों के अतिरिक्त एनसीसी कैडैट, एनएसएस कैडेट के साथ तमाम विद्यालयों के बच्चों को शामिल किया जायेगा। इस मॉक ड्रिल का दायित्व सिविल डिफेंस को दिया गया है, जिसके साथ अन्य सहयोगी एजेंसियां नागरिक, पुलिस प्रशासन, अग्निशमन, आपदा प्रबंधन दल भी शामिल होंगे।
सिविल डिफेंस संगठन को उन्हीं क्षेत्रों में गठित किया जाता है, जो किसी न किसी रूप में सवेंदनशील स्थानों-जैसे विद्युत घर, रक्षा प्रतिष्ठान, बंदरगाह, न्यूक्लीयर पावर प्लांट आदि से जुड़े होते हैं। अति घनी आबादी वाले शहरों या कस्बों को भी संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने वर्ष 2005 में कुल 244 सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्स का गठन किया था, जिनका कार्य किसी भी आपात स्थिति में नागरिकों और जरूरी सेवाओं से जुड़े प्रतिष्ठानों की रक्षा में सुरक्षा बलों की सहायता करना है। यद्यपि देश में सिविल डिफेंस के वालंटियर अभी 10 लाख से कम हैं, जिन्हें बढ़ा कर एक करोड़ किए जाने का लक्ष्य है।
क्या है मॉक ड्रिल
मॉक ड्रिल एक प्रकार का अभ्यास है, जो सुरक्षा उपाय के लिए समय-समय पर किया जाता है। इस बार मॉक ड्रिल के समय सायरन की आज सुनायी पड़ेगी, जिसके द्वारा हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन की टेस्टिंग होगी। आग से बचाव, घायलों को नजदीक के अस्पताल पहुंचाना, लोगों को उनके ठिकानों से सुरक्षित निकालने जैसे कार्य शामिल किए गए हैं। अनेक स्थानों पर शाम को कुछ समय के लिए ब्लैक आउट होगा। ऐसा करने के पीछे मंतव्य यह है कि अगर लाइट पूरी तरह बंद हो जाए तो उस स्थिति में क्या-क्या विकल्प बचते हैं, लोगों को अपना कामकाज कैसे निपटाना है।
मॉक ड्रिल का एक महत्वपूर्ण कार्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा करना भी है। अचानक से चर्चा में आए इस मॉक ड्रिल से आज की युवा पीढ़ी भले ही अंजान हो, लेकिन आग, बाढ़ या बड़े भीड़-भाड़ वाले आयोजनों तथा प्रमुख स्थलों पर आतंकी घटनाओं से बचाव के लिए प्रशासन की इकाइयां मॉक ड्रिल का आयोजन करती रहती हैं, लेकिन युद्ध के आपातकाल के लिए मॉक ड्रिल और ब्लैक आउट भारत-पाक के बीच 1971 में हुए युद्ध के बाद से नहीं हुआ है। वैसे तो मॉक ड्रिल शब्द बहुत विस्तृत है, लेकिन यह मॉक ड्रिल विशेष रुप से युद्ध जैसी आपात स्थिति आने पर क्या किया जाना चाहिए, इस पर केन्दित है।
विभिन्न स्थानों पर होने वाले मॉक ड्रिल में देश की राजधानी दिल्ली, आर्थिक राजधानी के नाम से विख्यात मुंबई, चेनैई और महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, राजस्थान जैसे राज्यों पर विशेष फोकस किया गया है। मॉक ड्रिल का समय अलग-अलग स्थानों के लिए अलग-अलग तय किया गया है। यद्यपि बदले घटनाक्रम के तहत मॉक ड्रिल के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में कुछ बदलाव किए गये हैं।
देश में मॉक ड्रिल को अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया गया है। उ0प्र0 में मात्र 19 सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्स में मॉक ड्रिल का कार्यक्रम आयोजित है। इन जिलों को तीन विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है। श्रेणी ए के अन्तर्गत बुलन्दशहर जनपद को अति संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है, जहां नरोरा में एटामिक पावर प्लांट स्थापित है। बी श्रेणी में आगरा प्रयागराज, बरेली,गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मेरठ,मुरादाबाद, मथुरा,सहारनपुर, वाराणसी, बक्शी का तालाब, पं0 दीन दयाल उपाध्याय नगर और सरसांवा को रखा गया है। दरअसल, इनमें से अधिकांश जनपदों में वायु सेना और भारतीय थल सेना की गतिविधियां लगातार होती रहती हैं और यह क्षेत्र दुश्मन के निशाने पर रहते हैं। सी श्रेणी में प्रदेश के दो जिलों बागपत और मुजफ्फरगनर को रखा गया है। प्रदेश में होने वाले मॉक ड्रिल के कवरेज के लिए जारी एडवाइजरी में निर्देश है कि लखनऊ स्थित बक्शी के तालाब का का कवरेज नहीं किया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश में मॉक ड्रिल के लिए राज्य के सभी चिन्हित जिलों में प्रशासन पूरी तरह तैयार है। गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त होने के बाद ही तैयारियों के साथ साथ विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करके सरकार की मंशा को पूरा करने के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं। प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा है कि नागरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए राज्य में नागरिक पुलिस प्रशासन अग्निशमन सेवाओं और आपदा प्रतिक्रिया बल को शामिल करते हुए पूर्ण पैमाने पर एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा, जिससे कि आपातस्थिति आने पर हम इन चीजों से निपट सकें।
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