भारत नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल: भारत में 7 मई को एक ऐसा आयोजन होने जा रहा है, जिसकी गूंज इतिहास के पन्नों से निकलकर वर्तमान की जमीन पर सुनाई देगी। गृह मंत्रालय ने सोमवार को घोषणा की कि देशभर के 244 जिलों में एक साथ नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी, ऐसा आयोजन 1971 के बांग्लादेश बनने के बाद पहली बार हो रहा है। इस ऐतिहासिक कवायद का मकसद, भारत में बढ़ते सुरक्षा खतरों के मद्देनज़र नागरिकों और सुरक्षा तंत्र की तैयारियों को परखना है। यह कवायद ऐसे समय पर हो रही है जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 निर्दाेष लोगों की जान गई थी। इस घटना के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है, और केंद्र सरकार ने इसे लेकर गंभीर रणनीतिक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार यह अभ्यास उत्तर, पश्चिम, पूर्व और सीमावर्ती राज्यों जैसे दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में एकसाथ किया जाएगा। इसमें एयर रेड सायरन परीक्षण, ब्लैकआउट ड्रिल, संवेदनशील प्रतिष्ठानों की छिपाने (कैमोफ्लाज) की प्रक्रिया, निकासी योजनाओं की समीक्षा, प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण और संचार तंत्र की जाँच जैसे कई आयाम शामिल होंगे। मॉक ड्रिल के दौरान एयर रेड सायरन बजाए जाएंगे जिससे यह देखा जाएगा कि अगर किसी हवाई हमले की चेतावनी दी जाए तो आमजन की प्रतिक्रिया कैसी होती है। इसके बाद ब्लैकआउट यानी सभी लाइटें एकदम से बंद करने की प्रक्रिया का अभ्यास होगा ताकि रात में हवाई हमलों के दौरान दुश्मन को कोई निशाना न मिले। इसके अलावा फैक्ट्रियों, बिजलीघरों, सरकारी दफ्तरों, संचार केंद्रों और सेना के ठिकानों को नकली हमले से कैसे बचाया जाए, इसकी तैयारी भी की जाएगी। विद्यालयों, कॉलेजों और कार्यालयों में नागरिक सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी, जहां लोगों को आपात स्थिति में शरीर के संवेदनशील अंगों को कैसे बचाएं, किस तरह शरण लें, और प्राथमिक चिकित्सा कैसे दें, यह सिखाया जाएगा।
इस अभूतपूर्व अभ्यास में जिला प्रशासन, सिविल डिफेंस वार्डन, एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केंद्र, होमगार्ड, स्कूल-कॉलेज छात्र, और आम नागरिकों की भागीदारी अनिवार्य की गई है। दिल्ली पुलिस ने विशेष योजना बनाने और दिन-रात गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। दिल्ली-हरियाणा और यूपी की सीमाओं पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती पहले ही कर दी गई है।
1971 के बाद भारत ने कभी ऐसी राष्ट्रव्यापी ब्लैकआउट ड्रिल नहीं की, यहां तक कि 1999 के करगिल युद्ध के दौरान भी नहीं। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस अभ्यास से यह संकेत मिलता है कि भारत अब आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ बाहरी आक्रमण की आशंका को लेकर भी सक्रिय रूप से तैयारी कर रहा है। भारत ने न केवल सैन्य स्तर पर बल्कि कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान को घेरना शुरू कर दिया है। केंद्र सरकार ने सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया है और सभी द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध खत्म कर दिए हैं। अब वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की आतंक-फंडिंग को संपर्क कर रही है। एक ओर जहां यह अभ्यास जनता को सतर्क और प्रशिक्षित करने की पहल है, वहीं यह स्पष्ट रूप से भारत की रणनीतिक मुद्रा में बदलाव को भी दर्शाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह अब केवल आपदा प्रबंधन नहीं बल्कि एक संभावित युद्ध-परिदृश्य की तैयारी है। अब देश की निगाहें 7 मई पर टिकी हैं, जब सायरन बजेंगे, रोशनी बुझाई जाएगी और हर नागरिक युद्ध की एक झलक को अनुभव करेगा ताकि अगर कभी वास्तविक खतरा आए, तो हम केवल आश्रय ही नहीं, जवाब भी दे सकें।
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