लखनऊ, विदेश मंत्री एस जयशंकर की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मंगलवार सुबह मुलाकात हुई। यह मुलाकात कई मुद्दों पर खास मानी जा रही है। दोनों नेताओं के बीच बीजिंग में कई मुद्दों पर बात हुई। विदेश मंत्री शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भाग लेने के लिए चीन में हैं। उनकी मुलाकात चीन के विदेश मंत्री वांग यी और चीन के उप राष्ट्रपति से भी हुई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई मुलाकात में आपसी रिश्ते में आए बदलावों पर भी बात हुई।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक पोस्ट में जानकारी दी कि एससीओ के अपने साथी विदेश मंत्रियों के साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के लिए पहुंचे। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से चीनी प्रतिनिधियों को शुभकामनाएं दीं। दो दिवसीय यात्रा पर विदेश मंत्री एससीओ के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए सोमवार को चीन पहुंचे। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई सैन्य झड़पों के बाद द्विपक्षीय संबंधों में तनाव पैदा होने के कारण रिश्तों में अब तक खटास रही। जयशंकर की यह पहली चीन की यात्रा है।
उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर बीजिंग में राष्ट्रपति शी चिनफिंग और एससीओ के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों से आज सुबह मुलाकात की बातें पोस्ट की। विदेश मंत्री ने द्विपक्षीय संबंधों में राष्ट्रपति शी को हाल में हुई प्रगति से अवगत कराया। विदेश मंत्री ने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ व्यापक वार्ता की। इस दौरान जोरदार तरीके से पिछले नौ महीनों में आए द्विपक्षीय संबंधों में बदलाव और सामान्य बनाने की दिशा में हुई प्रगति पर भी बात हुई। उन्होंने कहा कि भारत और चीन को अब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने पर ध्यान देना जरूरी है।
बैठक में शुरूआत में ही जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध इस आधार पर सकारात्मक प्रक्षेप पर उत्तरोत्तर बढ़ सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और चीन के बीच मतभेद विवाद में नहीं बदलना चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि हमारे द्विपक्षीय संबंध में हम अपने संबंधों के सिलसिले में दूरदर्शी पहल करें। विदेश मंत्री ने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से कहा कि भारत-चीन संबंधों के निरंतर सामान्य बने रहने से पारस्परिक रूप से लाभकारी परिणाम मिल सकते हैं। जयशंकर ने अपनी दो देशों की यात्रा के दूसरे और अंतिम चरण में सिंगापुर से बीजिंग पहुंचने के कुछ समय बाद प्रतिनिधियों से बात की।
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