लखनऊ : परिवहन आयुक्त बीएन सिंह ने स्कूली वाहनों की सुरक्षा संबंधी मामलों को लेकर बैठक बुलाई थी। परिवहन विभाग मुख्यालय में हुई बैठक के दौरान एक से 15 जुलाई तक चले चेकिंग अभियान की भी समीक्षा की गई। परिवहन आयुक्त ने सभी क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने क्षेत्र के स्कूलों से संबद्ध वाहनों के दस्तावेजों, सुरक्षा उपकरणों, चालक व परिचालक के पुलिस सत्यापन, नियमित स्वास्थ्य जांच की मासिक समीक्षा करें। साथ ही तत्काल प्रभावी प्रवर्तन कार्रवाई भी करें।
अधिकारियों ने बताया कि अभियान में प्रदेश भर में पंजीकृत कुल 67,613 स्कूली वाहनों में से 46,748 वाहनों (69%) की जांच की गई। कुल 4,089 वाहन सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करते पाए गए। वहीं, 1,768 वाहन ऐसे पाए गए जिनकी फिटनेस अवधि समाप्त हो चुकी थी, फिर भी उनका नियमित संचालन किया जा रहा था। परिवहन आयुक्त ने अनफिट वाहनों के संचालन को बेहद गंभीर मामला बताया है। उन्होंने कहा है कि स्कूली वाहनों के संचालन से जुड़े मामलों को लेकर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
समीक्षा के दौरान जिन जिलों का प्रदर्शन अच्छा रहा, उनमें प्रयागराज, फर्रुखाबाद, लखनऊ, कानपुर नगर आदि शामिल हैं। वहीं, कुछ जिलों में प्रवर्तन, जाँच और कार्रवाई की स्थिति बेहद चिंताजनक रही। इसमें मऊ, महाराजगंज, देवरिया, हापुड़, सिद्धार्थनगर आदि जिलों में वाहन निरीक्षण और प्रवर्तन की स्थिति बेहद कमज़ोर पाई गई। परिवहन आयुक्त ने जिले में गठित जिला विद्यालय वाहन परिवहन सुरक्षा समिति को सक्रिय करने और नियमित बैठकें आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। परिवहन आयुक्त बीएन सिंह ने कहा कि स्कूली वाहनों के संचालन में किसी भी प्रकार की लापरवाही या नियमों की अनदेखी स्वीकार नहीं की जाएगी। बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। सभी संबंधित अधिकारी, स्कूल प्रबंधन और वाहन संचालक तत्काल आवश्यक कार्रवाई करें। नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कठोरतम कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
सभी स्कूल प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों को एक बार फिर कहा गया है कि स्कूल परिसर से संचालित प्रत्येक वाहन की कानूनी ज़िम्मेदारी स्पष्ट रूप से उनकी है। प्रत्येक स्कूल में तत्काल एक विद्यालय परिवहन सुरक्षा समिति का गठन करें। बिना संबद्धता और परमिट के स्कूल परिसर से कोई भी वाहन संचालित न हो। ऐसी स्थिति में, यदि कोई दुर्घटना या आपराधिक घटना घटती है, तो स्कूल प्रबंधन व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार होगा। जिसके लिए आपराधिक और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, स्कूल की मान्यता भी रद्द की जा सकती है।
- स्कूल स्वामित्व वाली बसों को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 76 के अंतर्गत निजी सेवा वाहन परमिट अनिवार्य रूप से लेना होगा।
- निजी संचालित वाहनों (अनुबंधित वाहनों) को स्कूल प्रबंधन के साथ औपचारिक लिखित समझौता करके वैध परमिट लेना होगा।
- स्कूल वैन (13 सीटों तक) के संचालन के लिए वाहन मालिक और अभिभावकों के बीच औपचारिक लिखित समझौता आवश्यक है। परमिट आवेदन केवल स्कूल प्रबंधन के माध्यम से ही भेजा जाएगा।
- वाहन 15 वर्ष से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए।
- बिना परमिट के चल रहे निजी वाहनों को तत्काल प्रभाव से जब्त किया जाए।
- समाप्ति तिथि वाले वाहनों के संचालन पर तत्काल रोक लगाई जाए।
- नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द करने की कार्रवाई के लिए जिला शिक्षा विभाग और जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय से समन्वय स्थापित किया जाए।
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