लखनऊ : धार्मिक मेलों के आयोजन को लेकर राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने तय किया है कि वह शहरी और ग्रामीण इलाकों में लगने वाले धार्मिक मेलों का खर्च उठाएगी। इसके लिए प्रदेश सरकार ने भीड़ का मानक तय किया है। यूपी सरकार सिर्फ उन्हीं मेलों के आयोजन का खर्च उठाएगी जिनमें 5 लाख या उससे अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ होगी। नगर विकास विभाग ने इसके लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है। एसओपी के तहत ऐसे मेलों के आयोजन के साथ-साथ उसकी सभी व्यवस्थाओं की देखरेख के लिए सम्बंधित जिले के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक मेला समिति का गठन किया जाएगा।
इस समिति में एक एसडीएम स्तर का अधिकारी समन्वयक होगा। जबकि नगर आयुक्त सदस्य सचिव के तौर पर समिति में शामिल होंगे। इनके अतिरिक्त चार और सदस्य होंगे। इसके साथ ही सरकार ने धार्मिक मेलों को प्रांतीय मेला घोषित करने की प्रक्रिया में भी बदलाव कर दिया है। किसी भी मेले को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति की संस्तुति पर ही प्रांतीय मेला घोषित किया जाएगा। एसओपी के तहत किसी मेले को प्रांतीय मेला घोषित करने के लिए उसके धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक महत्व, आयोजन की अवधि और प्रकृति पर विचार किया जाएगा।
यूपी सरकार ने मेले के लिए सहायता धनराशि देने के लिए श्रद्धालुओं की संख्या का मानक बनाया है। मेले में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या के आधार पर ही सहायता धनराशि तय की गई है। 5 से 10 लाख श्रद्धालुओं की भीड़ वाले मेले के लिए सरकार 25 से 50 लाख रुपये देगी। वहीं, 10 से 20 लाख की भीड़ वाले मेले के लिए 50 से 75 लाख रुपये और 20 से 40 लाख की भीड़ वाले मेले के लिए 75 से 1 करोड़ रुपये सहायता राशि मिलेगी। इसी प्रकार 40 से 60 लाख की भीड़ वाले मेले के लिए सरकार 1 से 1.25 करोड़ रुपये और 60 लाख से अधिक की भीड़ वाले मेले के लिए 1.25 से 1.50 करोड़ रुपये देगी।
मेला समिति की बैठक अनिवार्य तौर पर प्रत्येक छह माह में कम से कम एक बार होगी। बैठक में बिन्दुवार प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी। मेले के लिए शुल्क, पथकर या उपयोगकर्ता शुल्क लगाने पर असहमति होने पर जिलाधिकारी समिति की सलाह को सामान्यतः स्वीकार करेंगे। सलाह स्वीकार्य न होने पर समिति मामले को संभागीय आयुक्त के पास भेजेगी। इस पर संभागीय आयुक्त अंतिम निर्णय करेंगे। मेले के आयोजन के सम्बंध में अनुमानित खर्च के लिए मेला समिति सीएसआर निधि और मेले से प्राप्त निकाय की आय को विस्तृत कार्ययोजना में शामिल करेगी। प्रांतीय मेले के आयोजन के लिए खर्च की व्यवस्था सीएसआर निधि, मेले से निकाय की आय से सुनिश्चित की जाएगी।
यह राज्य सरकार के अन्य विभागों जैसे लोक निर्माण, सिंचाई जल संसाधन, पुलिस विभाग और पंचायती राज विभाग के वित्तीय स्रोतों से किया जाएगा। इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी नगर विकास विभाग से धनराशि की मांग करेंगे। श्रद्धालुओं के लिए आवासीय सुविधाओं के लिए टेंट व पेयजल की व्यवस्था की जाएगी। बैरिकेडिंग, वॉच टावर के साथ सूचना प्रणाली की व्यवस्था की जाएगी। आवश्यकतानुसार अस्थायी प्रकाश व्यवस्था, सजावट, नाव, नाविक, गोताखोर आदि की व्यवस्था की जाएगी। अस्थायी सड़कें और अस्थायी शौचालय उपलब्ध कराए जाएंगे।
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