लखनऊ : यूपी में हजारों कॉमर्शियल टैक्सियां सड़कों पर दौड़ रही हैं। बावजूद इसके उत्तर प्रदेश में एग्रीगेटर पॉलिसी अभी तक लागू नहीं की गई है। हालांकि, अब यूपी में भी इस पॉलिसी को लागू करने पर मंथन किया जा रहा है। इस पॉलिसी को लागू करने के लिए परिवहन विभाग के अफसर काम कर रहे हैं। लाइसेंस जारी करने से लेकर सिक्योरिटी मनी और नवीनीकरण शुल्क तय करने पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। दरअसल, लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में कैब संचालकों पर परिवहन विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है।
इनका किराया भी परिवहन विभाग की ओर से नहीं तय किया गया है। इसकी वजह यह है कि यूपी में अभी तक एग्रीगेटर पॉलिसी लागू नहीं की गई है। बीते कई वर्षों से इसे लागू करने के प्रयास ही किए जा रहे हैं। पूर्व में परिवहन विभाग की ओर से एग्रीगेटर पॉलिसी को लेकर शासन को प्रस्ताव भी भेजा गया था। जिसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब केंद्र सरकार की एग्रीगेटर नीति 2025 लागू हो गई है। इसके तहत केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को यह अधिकार दिया है कि वे एग्रीगेटर का बेस रेट यानी किराया खुद तय कर सकते हैं।
साथ ही कम्पनियों को यह अधिकार दिया गया है कि वे पीक आवर्स में किराए का दोगुना तक वसूल सकती हैं। ऐसे में जिन राज्यों में एग्रीगेटर नीति लागू है, वहां राज्य सरकारें अपने हिसाब से एग्रीगेटर का किराया तय करेंगी। परिवहन क्षेत्र में लागू एग्रीगेटर नीति केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई एक नीति है, जिसका मकसद कैब एग्रीगेटर्स के संचालन को विनियमित करना है। ताकि यात्रियों की सुरक्षा, चालक कल्याण और उपभोक्ता अधिकारों को सुनिश्चित किया जा सके।
अपर परिवहन आयुक्त (प्रवर्तन) संजय सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार की एग्रीगेटर नीति आने के बाद इसका अध्ययन किया जा रहा है। इसके महत्वपूर्ण बिंदु को यूपी की एग्रीगेटर नीति में रखा जाएगा। राज्य परिवहन प्राधिकरण के सचिव सगीर अंसारी ने बताया कि प्रदेश में एग्रीगेटर पॉलिसी को लागू करने के लिए शासन स्तर पर मंथन किया जा रहा है। एग्रीगेटर पॉलिसी लागू होने के बाद एग्रीगेटर को कैब चलाने के लिए परिवहन विभाग से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। अन्य तय मानकों का भी पालन करना होगा। सभी एग्रीगेटर पर परिवहन विभाग का नियंत्रण होगा।
केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार, अब सभी एग्रीगेटर्स को यूपी सरकार से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। लाइसेंस शुल्क 5 लाख रुपये होगा। नवीनीकरण के लिए 25,000 रुपये और सुरक्षा जमा की अधिकतम राशि 50 लाख रुपये तक होगी। यूपी की एग्रीगेटर पॉलिसी 1 से 2 महीने में तैयार होने जाने की संभावना है। जिसके बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।
नई गाइडलाइन के तहत चालकों का न्यूनतम 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा और 10 लाख रुपये का टर्म इंश्योरेंस होगा। साथ ही उन्हें एक से अधिक प्लेटफॉर्म पर वाहन चलाने की भी अनुमति होगी। प्रत्येक कॉमर्शियल वाहन में जीपीएस, पैनिक बटन, प्राथमिक चिकित्सा किट और अग्निशामक यंत्र अनिवार्य होगा। ड्यूटी के दौरान नशे को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति लागू रहेगी। केंद्र सरकार ने किराया नियंत्रण का प्रावधान किया है।
इसके तहत राज्य सरकारें न्यूनतम आधार किराया तय कर सकेंगी। किराया दो गुना तक गतिशील हो सकता है, इसे न्यूनतम 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। चालक को कुल किराए का 80 प्रतिशत (यदि वाहन एग्रीगेटर का है तो 60 प्रतिशत) मिलेगा। इसी प्रकार से यूपी की एग्रीगेटर नीति के भी बिंदु होंगे।
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