लखनऊ : वाहन खरीदारों की दरियादिली से परिवहन विभाग का खजाना भर गया है। वाहनों की खरीद में 16 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है और 90 प्रतिशत वसूली विभाग को ऑनलाइन माध्यम से मिली है। कुल 2914 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। साल के अंत तक 14000 करोड़ रुपये अर्जित करने का लक्ष्य रखा गया है। यूपी ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने वर्तमान वित्तीय वर्ष 2025-26 के पहले तीन महीने का आंकड़ा जारी किया है। वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में विभाग ने खासा राजस्व प्राप्त किया है।
साथ ही इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, वाहन रजिस्ट्रेशन और डिजिटल सेवाओं के क्षेत्र में भी बेहतर नतीजे सामने आए। अप्रैल से जून तिमाही में कुल 2914 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ, जो पिछले साल की समान अवधि से 275 करोड़ रुपये अधिक है। इसमें 10.39 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। विभाग ने इस अवधि में क्रमिक लक्ष्य का 85.90 प्रतिशत पूरा कर लिया है। साल के अंत तक 14,000 करोड़ रुपये का वार्षिक लक्ष्य रखा गया है। जून में ही 830 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है। जो पिछले साल जून की तुलना में 4.10 प्रतिशत अधिक है। यह वृद्धि तब दर्ज की गई जब विभाग ने कई श्रेणियों में छूट प्रदान की, विशेष रूप से ई-वाहनों पर कर छूट और पूरा जून महीना ही ट्रांसफर सेशन के रूप में रहा।
ट्रांसपोर्ट कमिश्नर बीएन सिंह के मुताबिक पहले तीन महीने में 70,770 ईवी वाहनों को टैक्स और फीस में 255 करोड़ रुपये की छूट दी गई है। जिसमें ई-रिक्शा और तिपहिया वाहनों के अलावा 5,658 कार और 15,434 दोपहिया वाहन भी शामिल हैं। अकेले जून में 23,513 ई-वाहनों को 94.70 करोड़ रुपये की छूट दी गई है। जबकि अब तक प्रदेश में कुल 12.29 लाख ई-वाहनों का पंजीकरण हो चुका है। प्रदेश भारत का सबसे बड़ा ईवी राज्य बन रहा है।
इस तिमाही में कुल 11,77,74 नए वाहनों का पंजीकरण हुआ, जो पिछले साल की तुलना में 16.04 प्रतिशत बढ़ा है। ई-रिक्शा (यात्री) में 10.82 प्रतिशत और ई-कार्ट में 80.26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। गैर-परिवहन वाहनों में भी वृद्धि हुई है। 9,67,476 पंजीकरण हुए हैं, जो 12.41 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि है। दोपहिया श्रेणी में 13.73 प्रतिशत और चार पहिया श्रेणी में 6.09प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ई-रिक्शा और ई-कार्ट की वृद्धि शानदार रही है।
पहली तिमाही में विभाग के कुल टैक्स और शुल्क कलेक्शन का 90 प्रतिशत से अधिक ऑनलाइन मोड से हुआ है। इससे जनता के बदलते मूड का भी पता चलता है। डीएल सेवाओं से 84.50 करोड़ रुपये और ई-चालान व समन शुल्क से 30.45 करोड़ रुपये ऑनलाइन जमा हुए हैं। ऑनलाइन भुगतान आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर की सफलता को दर्शाता है।
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