उत्तर प्रदेश को वर्ष 2027 तक बाल श्रम मुक्त करने हेतु कार्यशाला का किया गया आयोजन

खबर सार :-
उत्तर प्रदेश को 2027 तक बाल श्रम मुक्त बनाने के उद्देश्य से मिर्जापुर में एक मंडलीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। श्रम विभाग और यूनिसेफ के सहयोग से हुई इस कार्यशाला में मिर्जापुर, भदोही और सोनभद्र जिलों ने अपनी-अपनी कार्ययोजना बनाई।

उत्तर प्रदेश को वर्ष 2027 तक बाल श्रम मुक्त करने हेतु कार्यशाला का किया गया आयोजन
खबर विस्तार : -

मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश को वर्ष 2027 तक बाल श्रम से पूरी तरह मुक्त करने के संकल्प के तहत मिर्जापुर में एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। मंडलायुक्त विंध्याचल बाल कृष्ण त्रिपाठी के नेतृत्व में श्रम विभाग ने यूनिसेफ के सहयोग से इस मंडलीय कार्यशाला की मेजबानी की। कार्यशाला में मिर्जापुर, भदोही और सोनभद्र जिलों के प्रतिभागियों ने अपने-अपने मंडल को 2027 तक बाल श्रम मुक्त बनाने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की।

बाल श्रम उन्मूलन पर चर्चा

कार्यशाला में राज्य की कार्ययोजना के अनुसार, तीनों जिलों में बाल श्रम को खत्म करने के लिए जिला-स्तरीय कार्ययोजनाओं पर गहन चर्चा हुई। इसमें शिक्षा, महिला कल्याण, श्रम, पुलिस, कौशल विकास, अल्पसंख्यक कल्याण, ग्रामीण विकास, बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाइयां (डीसीपीयू), चाइल्ड हेल्पलाइन, और मानव तस्करी रोधी इकाइयां (एएचटीयू) के सदस्यों के साथ-साथ यूनिसेफ के अधिकारियों ने भी भाग लिया।

मंडलायुक्त ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चे समाज का भविष्य होते हैं, और उनके बचाव व पुनर्वास के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने बाल श्रम को समाप्त करने के लिए नियोक्ताओं, ट्रेड यूनियनों और व्यापारिक समुदायों को एकजुट होने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने निर्माण श्रमिकों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने वाले अटल आवासीय विद्यालय का उदाहरण भी साझा किया। उन्होंने बाल श्रमिकों की पहचान, बचाव और पुनर्वास के लिए बाल श्रम कार्य बल की नियमित बैठकें आयोजित करने का भी सुझाव दिया।

विशेषज्ञों का मार्गदर्शन

वी.वी. गिरि राष्ट्रीय श्रम संस्थान की पूर्व वरिष्ठ फेलो डॉ. हेलेन आर. सेकर ने बाल श्रम से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बात की। उन्होंने उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों जैसे पीतल, ताला, कालीन और कांच कारखानों में बाल श्रम की विस्तृत जानकारी दी। डॉ. सेकर ने बताया कि बाल श्रम से मुक्ति बच्चे का मौलिक मानवाधिकार है, जो भारतीय संविधान और अंतर्राष्ट्रीय संधियों में निहित है। उन्होंने बाल श्रम के आँकड़ों, प्रवृत्तियों और संवैधानिक-कानूनी ढांचे पर भी प्रकाश डाला।

श्रम विभाग के राज्य समन्वयक सैयद रिजवान अली ने बाल और किशोर श्रम अधिनियम, 2016 के प्रभावी कार्यान्वयन और 2027 तक बाल श्रम मुक्त यूपी के लक्ष्य को प्राप्त करने में विभिन्न विभागों की भूमिकाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने राज्य कार्ययोजना की प्रमुख विशेषताओं और विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। यूनिसेफ के बाल संरक्षण अधिकारी दिनेश कुमार ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की हाल ही में जारी रिपोर्ट के निष्कर्षों को साझा किया। उन्होंने सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क को मजबूत करने और कमजोर परिवारों को नेटवर्क के दायरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

सामूहिक प्रयास से बनेगी कार्ययोजना

कार्यशाला में सभी प्रतिभागियों ने जिलावार समूहों में अपने-अपने जिलों को 2027 तक बाल श्रम मुक्त बनाने पर मंथन किया। इस सामूहिक प्रयास से मिर्जापुर मंडल को बाल श्रम मुक्त बनाने के लिए एक ठोस कार्ययोजना तैयार की गई। इस कार्यक्रम में अपर पुलिस अधीक्षक (नक्सल) ओम प्रकाश सिंह, अपर जिलाधिकारी (वि./रा.) अजय कुमार सिंह, जिला विकास अधिकारी विनय कुमार जायसवाल, जिला पंचायत राज अधिकारी संजय कुमार मिश्रा, यूनिसेफ के राज्य सलाहकार प्रीतेश कुमार, जावेद मंडलीय सलाहकार नीरज शर्मा सहित कई स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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