लखनऊ : देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को लेकर 10 वर्ष पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन न देने का फैसला लिया गया था। हालांकि जल्द ही दिल्ली सरकार को इस फैसले पर यू-टर्न लेना पड़ा। इस बीच राजधानी लखनऊ में भी प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के स्क्रैप की चर्चा तेज हो गई है। परिवहन विभाग के वाहन पोर्टल पर लखनऊ में 15 साल से पुराने 8 लाख 86 हजार 957 वाहन हैं। हालांकि इनमें से कितने अभी चल रहे हैं, इसका कोई ब्योरा नहीं है। आरटीओ लखनऊ की जांच में अब तक 700 से अधिक ऐसे कॉमर्शियल वाहन मिले हैं, जिनके पंजीयन निरस्तीकरण के आवेदन देने के बावजूद पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन अभी भी दर्ज है।
अब इन्हें हटाने के लिए फाइलों की जांच की जा रही है। लखनऊ में इस समय 37 लाख से अधिक वाहन पंजीकृत हैं। ट्रांसपोर्ट नगर आरटीओ में 31,22,461 वाहन और देवा रोड एआरटीओ में 5,89,598 वाहन पंजीकृत हैं। इनमें सैकड़ों ऐसे हैं जिनके पंजीकरण निरस्तीकरण के लिए आवेदन किया गया लेकिन स्वीकृति नहीं मिली। ऐसे में कई वाहनों पर 20 से 26 लाख रुपये बकाया हो गए हैं। अनुमान के मुताबिक ऐसे वाहनों पर 20 करोड़ रुपये से अधिक बकाया हो गए हैं। हालांकि इसमें विभागीय लापरवाही की भी आशंका है।
मसलन, कागजात भी ठीक से नहीं रखे गए। ज्यादातर मामलों में वाहन स्वामियों की गलती सामने नहीं आई है। एआरटीओ प्रदीप कुमार सिंह ने ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया है और बकाया टैक्स की फाइलों की जांच के साथ ही खामियों को भी दुरुस्त कराया जा रहा है। वाहन पोर्टल पर दर्ज ब्योरा अधूरा भी हो सकता है, क्योंकि पोर्टल वर्ष 2017 में अपडेट हुआ था। अब इसे दुरुस्त कराकर वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा रहा है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की रिपोर्ट के अनुसार, दूसरे शहर का 15 साल पुराना वाहन लखनऊ में पंजीकृत नहीं हो सकता। वहीं, लखनऊ संभाग में लखीमपुर और हरदोई दो ऐसे जनपद हैं, जहां पुराने वाहनों का पंजीकरण हो रहा है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के 26 जनपद ऐसे हैं, जहां 15 साल पुराने वाहनों का पंजीकरण किया जा रहा है। आमतौर पर दिल्ली और एनसीआर आदि में 15 साल पुराने वाहनों पर रोक लगने के बाद लोग सस्ते दामों में खरीदकर इन जनपदों में पंजीकरण करा लेते हैं। हालांकि, एनजीटी ने जनसंख्या घनत्व और वाहनों की संख्या के आधार पर कुछ जिलों में ही छूट दी है।
आरटीओ 15 साल पुराने वाहनों की स्थिति भी जांचेगा। इस श्रेणी में कितने वाहन चल रहे हैं, इसका ब्योरा जुटाया जा रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। व्यवसायिक डीजल वाहनों की प्राथमिकता पर जांच होगी। परिवहन विभाग उन वाहनों को जीवित मानता है, जिनकी फिटनेस को एक साल का समय हो गया है। इससे अधिक समय होने पर वह संदेह के घेरे में आते हैं। ऐसे वाहनों की जांच की जाती है। ट्रांसपोर्ट नगर आरटीओ में पुराने वाहनों की फाइलों का ढेर लगा है, जिनकी जांच शुरू हो गई है। इसके बाद बकाया टैक्स का निपटारा किया जाएगा।
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