1930 Helpline Lucknow : साइबर अपराध पर नकेल, डीजीपी ने किया नया हेल्पलाइन सेंटर का उद्घाटन

खबर सार :-
1930 Helpline Lucknow : उत्तर प्रदेश के डीजीपी राजीव कृष्णा ने लखनऊ में राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 के अत्याधुनिक कॉल सेंटर का उद्घाटन किया। यह 24x7 केंद्र साइबर वित्तीय धोखाधड़ी पीड़ितों को तत्काल सहायता देगा। 94 प्रशिक्षित पुलिसकर्मी और 50 कॉलर तैनात होंगे। Rs. 5 लाख की सीमा समाप्त कर, अब सभी साइबर अपराध दर्ज होंगे। इसका लक्ष्य प्रदेश में डिजिटल सुरक्षा बढ़ाना है।

1930 Helpline Lucknow : साइबर अपराध पर नकेल, डीजीपी ने किया नया हेल्पलाइन सेंटर का उद्घाटन
खबर विस्तार : -

1930 Helpline Lucknow : डिजिटल युग में जहां सुविधाओं की भरमार है, वहीं साइबर अपराधों का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार इस चुनौती का सामना करने के लिए कमर कस चुकी है। इसी कड़ी में, आज यानी 30 जुलाई 2025 को, पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्णा ने लखनऊ के कल्ली पश्चिम स्थित डीसीपी दक्षिणी कार्यालय में राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 के एक अत्याधुनिक कॉल सेंटर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर एडीजी साइबर क्राइम बिनोद कुमार सिंह भी उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ने साइबर अपराधों को राज्य की आंतरिक सुरक्षा और नागरिकों की निजता के लिए एक गंभीर चुनौती मानते हुए इसे सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा है। डीजीपी राजीव कृष्णा ने पदभार संभालने के बाद प्रदेश में बेहतर पुलिसिंग और जनसमस्याओं के समाधान के लिए जो 10 प्राथमिकताएं निर्धारित की थी, उनमें साइबर क्राइम एक प्रमुख स्थान रखता है।

1930 Helpline Lucknow : साइबर अपराधों से निपटने की तैयारी- 1930 हेल्पलाइन का विस्तार

उत्तर प्रदेश में पहले से ही यूपी 112 मुख्यालय में 20 सीटों वाला साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 का कॉल सेंटर सक्रिय है। लेकिन बढ़ती शिकायतों को देखते हुए, साइबर क्राइम मुख्यालय ने कल्ली पश्चिम में 30 सीटों का एक नया और उच्च स्तरीय कॉल सेंटर स्थापित किया है। यह केंद्र कम समय में ही स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य वित्तीय साइबर अपराधों के पीड़ितों को तत्काल सहायता प्रदान करना है।

  • यह नया कॉल सेंटर 24x7 कार्यरत रहेगा, जहां प्रशिक्षित पुलिसकर्मी वित्तीय साइबर अपराधों के पीड़ितों की ऑनलाइन शिकायतें दर्ज करेंगे। इसके लिए आरक्षी से लेकर निरीक्षक स्तर तक के 94 पुलिसकर्मी नियुक्त किए गए हैं।

  • प्रदेश के वित्तीय धोखाधड़ी के पीड़ितों की शिकायतों को सुनने के लिए कुल 50 कॉलर हर समय उपलब्ध रहेंगे।

  • यहां दर्ज की गई शिकायतें I4C, साइबर क्राइम मुख्यालय, जनपदीय/कमिश्नरेट साइबर सेल और संबंधित थाने पर तुरंत प्रदर्शित होंगी, जिससे त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।

  • जल्द ही इसी कॉल सेंटर में CFMC (Cyber Fraud Mitigation Centre) भी शुरू करने का प्रस्ताव है। यह I4C की तर्ज पर बैंकों के सहयोग से चलेगा, जहां पुलिस, बैंक और दूरसंचार कर्मी एक साथ उपलब्ध रहेंगे। इससे पीड़ितों को एक ही छत के नीचे  मदद मिल पाएगी।

1930 Helpline Lucknow : आसान और प्रभावी साइबर अपराध निवारण

सरकार ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय भी लिए हैं:

  • 5 लाख रुपये की सीमा समाप्त: पहले, साइबर क्राइम थानों में 5 लाख रुपये से अधिक की ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के मामले ही दर्ज होते थे। 2023 में 57 नए साइबर क्राइम थाने स्थापित होने के बाद, आम जनता के हित को ध्यान में रखते हुए यह सीमा हटा दी गई है। अब साइबर थानों में सभी प्रकार के ऑनलाइन वित्तीय अपराध पंजीकृत किए जा सकेंगे, जिससे शिकायतों का त्वरित निस्तारण हो सके।

  • साइबर कमांडो: प्रत्येक जोनल मुख्यालय पर एक प्रशिक्षित 'साइबर कमांडो' की नियुक्ति की जा रही है। ये अधिकारी अपने जोन के सभी जनपदों/कमिश्नरेट के विवेचकों को जटिल साइबर अपराधों की जांच में सहायता प्रदान करेंगे। उत्तर प्रदेश के 15 पुलिसकर्मी पहले ही I4C के माध्यम से 6 महीने का साइबर कमांडो कोर्स पूरा कर चुके हैं।

  • उप-निरीक्षक को विवेचक बनाने की कार्यवाही: शासन से पत्राचार कर आईटी एक्ट के प्रावधानों में बदलाव का प्रयास किया जा रहा है, ताकि साइबर अपराधों की विवेचना निरीक्षक स्तर से घटाकर उप-निरीक्षक स्तर पर की जा सके। इससे एफआईआर पंजीकरण और मामलों के शीघ्र निस्तारण में तेजी आएगी।

  • बिना एफआईआर धनराशि वापसी के प्रयास: इलाहाबाद उच्च न्यायालय में उत्तर प्रदेश शासन का एक प्रस्ताव विचाराधीन है, जिसके तहत CFCRRMS (Citizen Financial Cyber Fraud Reporting and Management System) के माध्यम से फ्रीज की गई धनराशि को बिना प्रथम सूचना रिपोर्ट के, केवल पीड़ितों के प्रार्थना पत्र पर लौटाने का प्रावधान किया जा सके।

  • नोडल अधिकारी: प्रत्येक जनपद व कमिश्नरेट में अपर पुलिस अधीक्षक व डीसीपी स्तर के अधिकारी को साइबर अपराधों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा और उनके दायित्व स्पष्ट रूप से निर्धारित किए जाएंगे।

1930 Helpline Lucknow : बुनियादी ढांचा और संस्थागत सुदृढ़ीकरण

साइबर अपराधों की जांच और निस्तारण की गति को तेज करने के लिए एक त्रिस्तरीय साइबर इन्वेस्टिगेशन एंड डिजिटल असिस्टेंस लैब का प्रस्ताव है। यह मुख्यालय, रेंज, कमिश्नरेट और जनपद स्तर पर स्थापित की जाएगी।

1930 Helpline Lucknow: साइबर योद्धाओं का निर्माण

पुलिसकर्मियों को साइबर सुरक्षा में दक्ष बनाने के लिए निरंतर प्रशिक्षण दिया जा रहा है:

  • उत्तर प्रदेश में हर स्तर के पुलिस अधिकारियों को पीयर लर्निंग सेशन के माध्यम से ऑनलाइन और NCTC (National Cybercrime Training Centre), CFSL (Central Forensic Science Laboratory) से लगातार प्रशिक्षण मिल रहा है। भविष्य में भी सुनियोजित तरीके से साइबर प्रशिक्षण जारी रहेगा।

  • प्रदेश के कुल 11,683 पुलिसकर्मियों ने I4C द्वारा संचालित CyTrain पोर्टल के माध्यम से साइबर प्रशिक्षण के विभिन्न स्तरों के 38,550 सर्टिफिकेट प्राप्त किए हैं।

1930 Helpline Lucknow : साइबर जागरूकता 

साइबर अपराधों से बचाव के लिए जागरूकता अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी कड़ी में:

  • प्रत्येक माह के प्रथम बुधवार को साइबर जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।

  • उत्तर प्रदेश पुलिस को ग्राम पंचायतों, नगर निकायों, गैर-सरकारी संगठनों, नागरिक सामाजिक संगठनों, डिजिटल स्वयंसेवकों, ग्राम और मोहल्ले के निवासियों आदि के साथ समन्वय स्थापित कर साइबर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं।

इन सभी प्रयासों से उत्तर प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश में साइबर अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सके और नागरिकों को सुरक्षित डिजिटल वातावरण प्रदान किया जा सके। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो न केवल वित्तीय धोखाधड़ी पर लगाम लगाएगा बल्कि साइबर सुरक्षा को लेकर जनता में विश्वास भी बढ़ाएगा।

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