बुंदेलखंड : ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को देश-दुनिया तक पहुंचाने के लिए पर्यटन विभाग ने एक नई और उपयोगी पहल शुरू की है। क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए अब प्रमुख पर्यटन स्थलों पर क्यूआर कोड युक्त शिलापट लगाए जाएंगे। इससे पर्यटकों को किसी भी स्थल का इतिहास, उसका महत्व और उससे जुड़ी तथ्यात्मक जानकारी एक ही स्कैन में उपलब्ध हो सकेगी।
अब तक पर्यटकों को किसी स्थान की जानकारी के लिए या तो इंटरनेट पर भटकना पड़ता था या फिर अप्रशिक्षित गाइडों पर निर्भर रहना पड़ता था, जिससे कई बार अधूरी या गलत जानकारी मिलती थी। नई व्यवस्था के लागू होने के बाद यह समस्या काफी हद तक समाप्त हो जाएगी और सैलानियों को प्रामाणिक व सरल भाषा में जानकारी प्राप्त होगी।
झांसी मंडल के अंतर्गत झांसी, ललितपुर और जालौन जिलों में कई ऐसे स्थल हैं जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं। झांसी जिले में रानी लक्ष्मीबाई का किला, रानी महल, राजकीय संग्रहालय, महालक्ष्मी मंदिर, गंगाधर राव की समाधि, झोकन बाग सिमेट्री, सेंट जूड चर्च, पारीक्षा बांध, बरुआसागर का किला, जराय मठ, टहरौली किला, सुकुआ-दुकुआ बांध और मड़िया महादेव मंदिर जैसे स्थल प्रमुख हैं।
वहीं ललितपुर जिले में दशावतार मंदिर देवगढ़, नीलकंठ मंदिर, बानपुर का किला, माताटीला बांध, हजारिया महादेव मंदिर, नरसिंह भगवान की चट्टान, तालबेहट का किला, बाबा सदन शाह दरगाह, गोविंद सागर बांध (शहजाद डैम), जैन मंदिर समूह और मुकुंद गुफा जैसे आकर्षक पर्यटन स्थल मौजूद हैं, जो देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं।
पर्यटन विभाग ने इन सभी स्थलों से जुड़ी तथ्यात्मक और ऐतिहासिक जानकारियों को एकत्र करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए संस्कृति विभाग, पुरातत्व विभाग के साथ-साथ इतिहास के जानकारों, लेखकों, विशेषज्ञों और शोधार्थियों का सहयोग लिया जा रहा है, ताकि प्रस्तुत की जाने वाली जानकारी पूरी तरह प्रमाणिक और भरोसेमंद हो।
क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी झांसी डी.के. शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप प्रदेश सरकार न केवल पर्यटन स्थलों के संरक्षण पर ध्यान दे रही है, बल्कि वहां पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए भी लगातार प्रयास कर रही है। इसी क्रम में मंडल से पर्यटन स्थलों की विस्तृत सूची मांगी गई है, जिसमें प्रत्येक स्थल का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विवरण शामिल होगा।
उन्होंने यह भी बताया कि झांसी मंडल में प्रशिक्षित टूरिज्म गाइडों की कमी है। इस समस्या के समाधान के लिए शासन को पत्र भेजा गया है, ताकि स्थानीय युवाओं को गाइड के रूप में प्रशिक्षण दिया जा सके। जब तक यह व्यवस्था पूरी तरह लागू नहीं हो जाती, तब तक क्यूआर कोड वाले शिलापट पर्यटकों के लिए एक सशक्त माध्यम बनेंगे, जिससे उन्हें सही, स्पष्ट और संपूर्ण जानकारी मिल सकेगी।
यह डिजिटल पहल न केवल बुंदेलखंड के पर्यटन को नई पहचान देगी, बल्कि आने वाले समय में क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसरों को भी मजबूती प्रदान करेगी।
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