लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) ने एक बार फिर चिकित्सा जगत के लोगों को हैरान कर डाला है। केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के डाक्टरों ने एक ऐसा कारनामे को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जिसने उत्तर भारत मरीजों के दिल में एक नई उम्मीद की किरण पैदा कर दी है। केजीएमयू के डाक्टरों ने पहली बार Whole Lung Lavage (WLL) नामक एक बेहद जटिल और दुर्लभ प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया है। एक मरीज जो एक एक सांस के लिस संघर्ष कर रहा था, उसे इस अनोखी प्रक्रिया से एक नई ज़िंदगी मिल सकी है। इस दुर्लभ प्रक्रिया के सफलतापूर्वक होने से केजीएमयू के डाक्टरों को चौतरफा प्रशंसा मिल रही है।
कहते हैं न, कब, कौन, कहां कैसी बीमारी से ग्रसित होगा कोई नहीं जानता। 40 साल के अनिरुद्ध के साथ ऐसा ही कुछ हुआ। वह गंभीर साँसों की तकलीफ से पीड़ित होके केजीएमयू में भर्ती हुए थे। उनकी हालत कितनी गंभीर थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाय जा सकता है कि उन्हें लगातार 15 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही थी। चिकित्सकीय जांच में पता चला कि वो Pulmonary Alveolar Proteinosis (PAP) नाम की एक बेहद दुर्लभ फेफड़ों की बीमारी से ग्रसित हैं। इस बीमारी में फेफड़ों की छोटी-छोटी हवा की थैलियों में प्रोटीन और चिकनाई वाला गाढ़ा पदार्थ जमा हो जाता है, जिससे ऑक्सीजन का रास्त अवरूद्ध हो जाता है। खून तक आक्सीजन पहुँच ही नहीं पाती। कई सालों तक अनिरुद्ध ने सीमेंट और पत्थर ब्लास्टिंग इंडस्ट्री में काम किया था। जो शायद इस बीमारी का एक बड़ा कारण बन गया। केजीएमयू में डॉ. एस.के. वर्मा, डॉ. राजीव गर्ग और डॉ. आनंद श्रीवास्तव और टीम की देखरेख में उनका इलाज शुरू हुआ। शुरुआती जांचों में उनके फेफड़ों में गंभीर संक्रमण दिखा, और HRCT चेस्ट स्कैन में ग्राउंड ग्लास अपेसिटीज़ और क्रेज़ी पेविंग पैटर्न जैसी चीजें नजर आईं, जो PAP की तरफ इशारा कर रही थीं। आखिर में, ब्रोंकोएल्वोलर लावेज़ (BAL) से इस जानलेवा बीमारी की पुष्टि हो गई। बीमारी के पकड़ में आने के बाद अब सवाल था, इलाज का!
जब बीमारी इतनी दुर्लभ और गंभीर हो, तो इलाज भी कुछ हटके ही चाहिए होता है। विशेषज्ञों की एक मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम ने तय किया कि अनिरुद्ध के लिएWhole Lung Lavage (WLL) ही एकमात्र उम्मीद है। यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें फेफड़ों को ‘धोया’ जाता है ताकि अंदर जमा हुआ हानिकारक पदार्थ बाहर निकल सके। यह सुनने में जितना आसान लगता है, असल में उतना ही जटिल है।
इस बड़े ऑपरेशन को दो चरणों में पूरा किया गया। पहले 13 जून 2025 को मरीज के दाहिने फेफड़े का लावेज़ किया गया, और फिर 7 जुलाई 2025 को बाएं फेफड़े का। इस पूरी प्रक्रिया में कई विभागों की टीमों ने मिलकर काम किया। रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग से डॉ. राजीव गर्ग और डॉ. आनंद श्रीवास्तव अपनी रेजिडेंट टीम के साथ मौजूद रहे। एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. शेफाली गौतम, डॉ. विनीता सिंह, डॉ. कृतिका यादव, डॉ. राहुल और डॉ. मोनिका कोहली ने अपनी रेजिडेंट टीम के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसके अलावा, जनरल सर्जरी के प्रोफेसर डॉ. सुरेश कुमार और उनकी टीम ने ऑपरेशन थिएटर और बाकी लॉजिस्टिक्स में पूरा सहयोग किया। यह टीम वर्क ही था जिसकी बदौलत यह जटिल प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की जा सकी। ऑपरेशन के बाद अनिरुद्ध की हालत में जबरदस्त सुधार आया है। अब वह बिना किसी ऑक्सीजन सपोर्ट के हैं और पूरी तरह स्थिर हैं। यह वाकई एक चिकित्सकीय चमत्कार है!
केजीएमयू मेंWhole Lung Lavage (WLL) की यह सफलता सिर्फ एक मरीज के लिए नई जिंदगी नहीं है, बल्कि यह चिकित्सा के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर है। इसने दुर्लभ फेफड़ों की बीमारियों के इलाज के लिए एक नया दरवाजा खोल दिया है। केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने इस उपलब्धि पर पूरी टीम को बधाई दी और कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए गर्व का क्षण है। इस सफलता ने दिखाया है कि अगर विशेषज्ञ टीमें मिलकर काम करें, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। केजीएमयू ने साबित कर दिया कि वे सिर्फ इलाज नहीं करते, बल्कि नई उम्मीदें भी जगाते हैं।
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