Cardiac Death: लोगों का हार्ट अचानक क्यों हो रहा फेल ? अब AI से 'कार्डियक डेथ' के खतरे की हो सकेगी पहचान

खबर सार :-
Cardiac Death: अमेरिकी शोधकर्ताओं ने 'MARS' नामक एक AI मॉडल विकसित किया है जो 89% सटीकता के साथ अचानक कार्डियक डेथ के जोखिम वाले रोगियों की पहचान करने में सक्षम है। यह मॉडल कार्डियक MRI और स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण करता है।

Cardiac Death: लोगों का हार्ट अचानक क्यों हो रहा फेल ? अब  AI से 'कार्डियक डेथ' के खतरे की हो सकेगी पहचान
खबर विस्तार : -

Cardiac Death: कार्डियक डेथ एक व्यापक शब्द है जो हार्ट फेलियर या किसी भी हृदय संबंधी कारण से होने वाली मृत्यु को दर्शाता है। हर साल कार्डियक डेथ की वजह से ना जाने कितने लोगों की जान चली जाती है। बहुत से मरीज़ कम उम्र में ही इस बीमारी से अपनी जान गंवा दे रहे हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए अब अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक नया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल बनाया है। जो अचानक कार्डियक डेथ (दिल की धड़कन रुकने से अचानक मौत) के उच्च जोखिम वाले रोगियों की पहचान करने में मौजूदा चिकित्सा दिशानिर्देशों से कहीं बेहतर है।  इस AI मॉडल का नाम 'मल्टीमॉडल AI फॉर वेंट्रिकुलर एरिथमिया रिस्क स्ट्रेटिफिकेशन' (MARS) है। 

Cardiac Death: हार्ट संबंधी बीमारियों के जोखिम का अनुमान लगाने में सक्षम

 रिपोर्ट के अनुसार, यह मॉडल कार्डियक MRI इमेज और मरीजों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड को मिलाकर छिपे हुए चेतावनी संकेतों का पता लगाता है। यह तकनीक हृदय संबंधी बीमारियों के जोखिम का अनुमान लगाने में कहीं अधिक सटीकता प्रदान करती है। नेचर कार्डियोवैस्कुलर रिसर्च जर्नल में प्रकाशित अध्ययन हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी पर केंद्रित था, जो एक सामान्य आनुवंशिक हृदय रोग है और युवा लोगों में अचानक हृदय मृत्यु का एक प्रमुख कारण है।

जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता नतालिया ट्रायनोवा ने कहा, "बहुत से मरीज़ कम उम्र में ही इस बीमारी से मर रहे हैं, क्योंकि उनका समय पर इलाज नहीं किया जाता। कुछ लोग अनावश्यक रूप से डिफाइब्रिलेटर के सहारे जी रहे हैं। हमारा AI मॉडल 89 प्रतिशत सटीकता के साथ यह अनुमान लगा सकता है कि किन मरीजों को अचानक मौत का ज़्यादा जोखिम है।" 

Cardiac Death: मरीजों की सटीकता से होगी पहचान

दरअसल अमेरिका और यूरोप में इस्तेमाल किए जाने वाले मौजूदा मेडिकल दिशा-निर्देशों में जोखिम वाले मरीजों की पहचान करने में सिर्फ़ 50 प्रतिशत की सटीकता का अनुमान है। इसकी तुलना में, MARS मॉडल ने 89 प्रतिशत सटीकता दिखाई। खास तौर पर, 40 से 60 वर्ष की आयु के मरीजों के लिए, जो सबसे ज़्यादा जोखिम में हैं, यह सटीकता 93 प्रतिशत तक थी।  मॉडल कंट्रास्ट-एन्हांस्ड MRI स्कैन का विश्लेषण करता है और हृदय में घावों के पैटर्न को समझता है, जिसे पहले डॉक्टरों के लिए समझना मुश्किल था। डीप लर्निंग तकनीकों का उपयोग करते हुए, मॉडल उन प्रमुख संकेतों को पहचानता है जो अचानक हृदय मृत्यु का कारण बन सकते हैं। 

रोगियों की पहचान करने की बन रही योजना 

जॉन्स हॉपकिन्स के हृदय रोग विशेषज्ञ और सह-लेखक जोनाथन क्रिस्पिन ने कहा, "यह एआई मॉडल मौजूदा एल्गोरिदम की तुलना में जोखिम की भविष्यवाणी में उल्लेखनीय सुधार करता है और चिकित्सा को बदल सकता है।" शोधकर्ता अब इस मॉडल का परीक्षण अधिक रोगियों पर करने और इसका उपयोग अन्य हृदय रोगों, जैसे कि कार्डियक सारकॉइडोसिस और एरिथमोजेनिक राइट वेंट्रिकुलर कार्डियोमायोपैथी के लिए करने की योजना बना रहे हैं।

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