लखनऊः आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसान टॉर्गेट के पीछे भागता रहता है। ऐसे में वह कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करने लगता है। उसके जीवन से हंसी-खुशी और शांति का लोप होने लगता है। ऐसे में दिनभर की भागदौड़, थकान, चिंता और तनाव के बीच प्राणायाम करने से हमें ऊर्जा और शांति मिलती है। प्राणायाम केवल 'श्वास अभ्यास' नहीं, यह जीवन को गहराई से जीने की कला है। यह शरीर को नहीं, बल्कि आत्मा को छूता है। यह आपके अंदर चल रहे शोर को शांत कर सुकून देता है। इसी प्राणायाम में एक महत्वपूर्ण अभ्यास है- 'कपालभाति', जो न केवल शरीर की सफाई करता है, बल्कि नई ऊर्जा का संचार भी करता है।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अनुसार, प्राणायाम में 'प्राण' शब्द का अर्थ 'जीवन की ऊर्जा' और 'आयाम' का मतलब 'विस्तार' होता है। यह हमारी पाचन क्रिया को मजबूत करता है। इससे पेट की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं, जिससे आंतों में रक्त संचार बढ़ता है और पाचन एंजाइम बेहतर तरीके से काम करते हैं। इससे गैस, कब्ज, एसिडिटी, अपच और भूख कम लगने जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। इसलिए कपालभाति का नियमित अभ्यास से भूख खुलकर लगने लगती है और शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।
प्राणायाम हमारे शरीर की आंतरिक ऊर्जा को जागृत करने के साथ ही शरीर की सफाई करने का काम करता है। जो लोग रोज सुबह कपालभाति प्राणायाम करते हैं, उनका शरीर स्वस्थ रहता है। कपालभाति प्राणायाम केवल पेट की सफाई ही नहीं करता, यह मानसिक शांति और याददाश्त को भी तेज करता है। जब हम प्राणायाम करने के दौरान जोर से श्वास छोड़ते हैं, तो फेफड़े साफ होते हैं और मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलती है। इससे याददाश्त, एकाग्रता और मानसिक स्पष्टता में वृद्धि होती है। यह तनाव, चिंता और बेचैनी को कम करता है, जिससे मन स्थिर और शांत होता है।
कपालभाति प्राणायाम वजन घटाने का सबसे सहज उपाय है। कपालभाति प्राणायाम करते समय जब हम झटके से श्वास बाहर निकालते हैं, तो पेट पर दबाव पड़ता है। इससे पेट के आसपास की चर्बी घटने लगती है। यह मेटाबॉलिज्म को तेज करने के साथ ही कैलोरी को भी बर्न करता है। कपालभाति प्राणायाम हमारे फेफड़ों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है। जिन लोगों को सांस से संबंधित कोई बीमारी है, सांस लेने में तकलीफ होती है, साइनस, अस्थमा या एलर्जी की समस्या रहती है, उन्हें कपालभाति का नियमित अभ्यास करना चाहिए। इस प्राणायाम को करने से श्वसन नली की गहराई से सफाई होती है और शरीर में मौजूद कफ बाहर निकलता है। इससे सांस लेने की प्रक्रिया बेहतर होती है और फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है।
कपालभाति प्राणायाम हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का रक्षक होता है। कपालभाति करने से शरीर में मौजूद सभी विषैले तत्व बाहर निकालने लगते हैं। हमारा रक्त संचार और अधिक बेहतर बन जाता है। इस कारण हमारे शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण तेजी से होने लगता है और शरीर की बीमारियों से लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है। यह वायरल संक्रमण, फ्लू, सर्दी-खांसी जैसी आम बीमारियों से बचाव में मदद करता है।
कपालभाति प्राणायाम करने का तरीका बहुत ही आसान है। इसको बच्चे, युवा, बुजुर्ग किसी भी उम्र का व्यक्ति कर सकता है। इसके लिए आपको सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में सीधे बैठना होता है। प्राणायाम करने के दौरान अपनी रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखें। अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और ध्यान मुद्रा में बैठे रहें। अब अपनी नाक से धीरे-धीरे सांस अंदर लें और फिर झटके से सांस बाहर छोड़ें। इस दौरान सांस बाहर निकालते समय पेट को भीतर की ओर खींचें। कपालभाति में सांस बाहर छोड़ते समय की जाने वाली प्रक्रिया पर ध्यान देना जरूरी होता है। इस प्राणायाम को शुरुआत में 2 से 3 मिनट से अधिक नहीं करना चाहिए। जब आप एक सप्ताह तक नियमित कर लें, तो धीरे-धीरे अभ्यास के साथ इसका समय बढ़ाकर 10-15 मिनट कर सकते हैं। इस प्राणायम को सुबह में खाली पेट करना सबसे लाभकारी होता है, लेकिन शाम को भी खाना खाने से 3-4 घंटे पहले किया जा सकता है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि गर्भवती महिलाएं, हाइपरटेंशन, हर्निया, हृदय रोग या स्लिप डिस्क से पीड़ित लोगों को कपालभाति प्राणायाम करने से पूर्व डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
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