International Tea Day : रिश्तों में मिठास भर देती है एक कप चाय, जानें भारत में कैसे हुई चाय की शुरुआत

खबर सार :-
International Tea Day 2025 : सुबह की शुरुआत करनी हो या मेहमानों का स्वागत करना हो या फिर किसी के साथ बैठकर चर्चा करनी हो, लोग चाय को अहमियत देते हैं। चाय सिर्फ एक ड्रिंक नहीं है, बल्कि लोगों के दिलों से जुड़ा एक इमोशन है। यही वजह है कि चाय के दीवानों की कमी नहीं है।

International Tea Day : रिश्तों में मिठास भर देती है एक कप चाय, जानें भारत में कैसे हुई चाय की शुरुआत
खबर विस्तार : -

International Tea Day 2025 : सुबह की शुरुआत करनी हो या मेहमानों का स्वागत करना हो या फिर किसी के साथ बैठकर चर्चा करनी हो, लोग चाय को अहमियत देते हैं। चाय सिर्फ एक ड्रिंक नहीं है, बल्कि लोगों के दिलों से जुड़ा एक इमोशन है। यही वजह है कि दुनिया भर में चाय के दीवानों की कमी नहीं है। पानी के बाद चाय दुनिया का दूसरा सबसे लोकप्रिय पेय पदार्थ है। इसीलिए हर साल 21 मई को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है। हालांकि, पहले अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस 15 दिसंबर को मनाया जाता था। लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने

International Tea Day : आखिर 21 मई  को ही क्यों मनाया जाता है चाय डे

वैसे तो चाय सैंकड़ों साल पुराना पेय पदार्थ है जिसे दुनियाभर में पिया जाता रहा है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस (International Tea Day) मनाने की शुरुआत 21 मई 2020 से हुई थी। यह घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने की थी। चाय न केवल दुनिया के सबसे लोकप्रिय पेय पदार्थों में से एक है, बल्कि कई देशों में चाय की खेती आजीविका का मुख्य साधन है। इसके पीछे वजह यह है कि ज्यादातर देशों में चाय का उत्पादन मई के महीने में शुरू होता है। इसलिए चाय दिवस मनाने के लिए इसी महीने को चुना गया। यह दिन चाय के सांस्कृतिक महत्व, इसके आर्थिक योगदान और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। 

International Tea Day : भारत में कैसे हुई चाय की शुरुआत

लेकिन क्या आपको पता हैं कि भारत में चाय का इतिहास क्या रहा है, यानी भारत में चाय की शुरुआत कब और कैसे हुई। दरअसल भारत में चाय का आगमन अंग्रेजों के आने के बाद हुआ। भारत में चाय की शुरुआत असम से हुई थी, जो आज भी देश के सबसे बड़े चाय उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में भी बड़े पैमाने पर चाय की खेती की जाती है। जबकि मुन्नार, कूर्ग, दार्जिलिंग जैसे इलाकों की चाय पूरी दुनिया में मशहूर है। 

भारत के हर कोने में चाय का एक अलग अंदाज

भारत के हर कोने में चाय का एक अलग अंदाज देखने को मिलता है। कश्मीर की नून और शीर चाय, हैदराबाद की ईरानी चाय और भोपाल की नमकीन सुलेमानी चाय। ​​हर चाय का स्वाद उसकी संस्कृति को बयां करता है। भोपाल को खास तौर पर चाय के शौकीनों का शहर माना जाता है, जहां पुराने शहर की गलियों से लेकर नए शहर के चौराहों तक चाय की खुशबू बिखरी रहती है। अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस सिर्फ एक पेय पदार्थ का जश्न मनाने का दिन नहीं है, बल्कि यह उन लाखों किसानों, मजदूरों और श्रमिकों की कड़ी मेहनत का सम्मान करने का दिन भी है, जिनके प्रयासों से हमें हर सुबह चाय की पहली चुस्की मिलती है।

International Tea Day : चाय के फायदे

सीमित मात्रा में चाय पीने से शरीर को कई लाभ मिलते हैं। इसे पीने से शरीर और दिमाग तरोताजा रहता है और हृदय संबंधी समस्याओं में भी चाय फायदेमंद होती है। सर्दी-खांसी से राहत दिलाने के अलावा चाय मधुमेह को नियंत्रित करने और सिरदर्द से राहत दिलाने में भी कारगर है।

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