आयुर्वेद के पांच सिद्धांत: सौ बीमारियों से छुटकारा पाने का प्राकृतिक उपाय

खबर सार :-
आयुष मंत्रालय के अनुसार, आयुर्वेद के पांच सिद्धांत यानी दिनचर्या, ऋतुचर्या, आहार, सद्वृत्त और योग, जीवन को संतुलित और स्वस्थ बनाते हैं। इन्हें अपनाने से मानसिक, शारीरिक और आत्मिक कल्याण संभव है। यह केवल रोग निवारण नहीं, बल्कि समग्र जीवन सुधार का मार्ग है। आधुनिक जीवनशैली में यह प्राचीन ज्ञान आज भी उतना ही प्रासंगिक है।

आयुर्वेद के पांच सिद्धांत: सौ बीमारियों से छुटकारा पाने का प्राकृतिक उपाय
खबर विस्तार : -

Five principles of Ayurveda: इंसान की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव, अनिद्रा और थकान जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। इनसे राहत पाने के लिए आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद के पांच सिद्धांतों को अपनाने की सलाह दी है। ये सिद्धांत न केवल बीमारियों से बचाते हैं बल्कि मानसिक शांति और जीवन ऊर्जा भी बढ़ाते हैं।

संतुलित जीवनशैली से स्वास्थ्य का आधार

आयुर्वेद का मूल सिद्धांत है — संतुलन। इसमें शरीर, मन और आत्मा के सामंजस्य पर जोर दिया जाता है। मंत्रालय का कहना है कि नियमित दिनचर्या, सही आहार और सकारात्मक सोच अपनाने से शरीर ऊर्जावान और रोगमुक्त रहता है। यह न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक कल्याण को भी सुनिश्चित करता है।

दिनचर्या: स्वस्थ दिन की कुंजी

आयुर्वेद का पहला सिद्धांत है दिनचर्या, यानी हर दिन का एक निश्चित अनुशासन। सुबह जल्दी उठना, व्यायाम करना, स्नान करना, समय पर भोजन और पर्याप्त नींद लेना — यह सब शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक को संतुलित रखता है। नियमित दिनचर्या से ऊर्जा बनी रहती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

ऋतुचर्या: मौसम के अनुसार दिनचर्या में बदलाव

आयुर्वेद का दूसरा सिद्धांत है ऋतुचर्या। मौसम के हिसाब से जीवनशैली और आहार बदलना जरूरी है। गर्मियों में ठंडक देने वाले पदार्थ, सर्दियों में गर्म और पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी जाती है। इससे शरीर पर्यावरण के अनुसार अनुकूल होता है और मौसमी बीमारियों से बचाव होता है।

आहार: संतुलित और सात्विक भोजन का महत्व

आयुर्वेद का तीसरा सिद्धांत है आहार। आयुर्वेद के अनुसार भोजन ही औषधि है। सात्विक, ताजा और संतुलित भोजन करने से शरीर को आवश्यक पोषण मिलता है। पाचन शक्ति के अनुसार आहार चुनना चाहिए, जैसे वात दोष वालों को हल्का गर्म भोजन। इससे शरीर मजबूत होता है और ऊर्जा बनी रहती है।

सद्वृत्त और योग: मानसिक शांति और शारीरिक मजबूती

आयुर्वेद का चौथा सिद्धांत सद्वृत्त है, यानी नैतिक आचरण और मानसिक संतुलन बनाए रखना। सत्य बोलना, क्रोध पर नियंत्रण, दया और संयम रखने से मन शांत रहता है। इसके बाद आयुर्वेद का पांचवां सिद्धांत योग है, जिसमें आसन, प्राणायाम और ध्यान शामिल हैं। रोजाना योगाभ्यास शरीर में लचीलापन, श्वास नियंत्रण और मानसिक स्पष्टता लाता है। यह न केवल तनाव दूर करता है बल्कि सौ बीमारियों से रक्षा भी करता है।

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