विटामिन-ई सिर्फ त्वचा का विटामिन नहीं, मन-मस्तिष्क को भी रखता है दुरुस्त

खबर सार :-
विटामिन-ई को केवल सौंदर्य से जोड़कर देखना सही नहीं है। यह शरीर, मन और मस्तिष्क के संतुलन के लिए जरूरी विटामिन है। नियमित और संतुलित आहार के जरिए विटामिन-ई लेने से न सिर्फ त्वचा बल्कि हृदय, तंत्रिका तंत्र और मानसिक स्वास्थ्य भी मजबूत रहता है। स्वस्थ जीवन के लिए विटामिन-ई को नजरअंदाज न करें।

विटामिन-ई सिर्फ त्वचा का विटामिन नहीं, मन-मस्तिष्क को भी रखता है दुरुस्त
खबर विस्तार : -

Vitamin E Rich Food: स्वस्थ रहने के लिए केवल बाहरी देखभाल ही पर्याप्त नहीं होती, बल्कि शरीर को भीतर से पोषण देना भी उतना ही जरूरी है। शरीर की असली शक्ति सही पोषक तत्वों, खनिज और विटामिन से मिलती है। इन्हीं में से एक अहम विटामिन है – विटामिन-ई। आमतौर पर इसे केवल “त्वचा का विटामिन” माना जाता है, लेकिन इसका असर त्वचा से कहीं आगे जाकर मन, मस्तिष्क और पूरे तंत्रिका तंत्र तक होता है।

क्या है विटामिन-ई और क्यों है जरूरी

विटामिन-ई एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो शरीर की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है। यह कोशिकाओं की झिल्ली को मजबूत बनाता है और शरीर की अंदरूनी रक्षा प्रणाली को बेहतर करता है। विटामिन-ई शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में भी मदद करता है।

पूरे शरीर का रखवाला

विटामिन-ई त्वचा को नमी देने, झुर्रियां कम करने और चमक बनाए रखने में मदद करता है, लेकिन इसका योगदान यहीं तक सीमित नहीं है। यह हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, रक्त संचार को सुचारू रखता है और दिल से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कम करता है। साथ ही यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर शरीर को संक्रमण से लड़ने में सक्षम बनाता है।

मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव

विटामिन-ई मस्तिष्क और नसों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसकी कमी होने पर नसों में कमजोरी, झनझनाहट, याददाश्त कमजोर होना और एकाग्रता में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लंबे समय तक कमी बनी रहने पर यह मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है।

विटामिन-ई की कमी के लक्षण

शरीर में अगर विटामिन-ई की कमी हो जाए, तो इसके लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं। इनमें त्वचा का रूखापन, समय से पहले झुर्रियां, बालों का तेजी से झड़ना, मांसपेशियों में कमजोरी, आंखों की रोशनी कम होना, थकान और ऊर्जा की कमी शामिल हैं। गंभीर स्थिति में यह तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है।

रोजाना कितनी मात्रा है जरूरी

वयस्क पुरुषों और महिलाओं को प्रतिदिन लगभग 10 से 15 मिलीग्राम विटामिन-ई की आवश्यकता होती है। इसे प्राकृतिक आहार से लेना सबसे बेहतर माना जाता है, क्योंकि इससे शरीर को अधिक लाभ मिलता है।

विटामिन-ई के प्राकृतिक स्रोत

विटामिन-ई बादाम, पालक और हरी पत्तेदार सब्जियां, अंकुरित अनाज, सरसों और तिल का तेल, सूरजमुखी के बीज, मूंगफली, मूंगफली का तेल और एवोकाडो जैसे फलों में भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसे वसा युक्त खाद्य पदार्थों के साथ लेने से शरीर में इसका अवशोषण बेहतर होता है।

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