देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद उप राष्ट्रपति हेतु समय से पूर्व हो रहे चुनाव के लिये 9 सितम्बर को मतदान, मतगणना और परिणाम की घोषणा होनी है। इस चुनाव में सत्तारूढ़ राजग प्रत्याशी महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन और विपक्ष इंड़िया ब्लॉक की ओर से पूर्व न्यायाधीश बी.सुदर्शन रेड्डी के बीच सीधा मुकाबला है। उप राष्ट्रपति के चुनाव में केवल संसद के दोनों सदनों के सभी निर्वाचित और नामित सदस्यों द्वारा मतदान किया जाता है। इस चुनाव में राज्यों के विधानसभा और विधानपरिषद सदस्य शामिल नहीं होते है। वर्तमान चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 782 है।
उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों से त्यागपत्र दिये जाने के बाद उप राष्ट्रपति का चुनाव समय से पूर्व कराया जा रहा है। धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2027 में समाप्त होना था। भारतीय लोकतंत्र के पिछले चार दशक में यह दूसरा अवसर है जब उप राष्ट्रपति का चुनाव समय से पहले हो रहा है। इसके पहले जुलाई 1987 में उप राष्ट्रपति आर. वेंकंटरमण के राष्ट्रपति निर्वाचित होने के कारण समय से पूर्व चुनाव कराना पड़ा था। उप राष्ट्रपति के चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि दोनों प्रत्याशी दक्षिण भारत से आते हैं।
केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से महाराष्ट्र में राज्यपाल और वरिष्ठ भाजपा नेता चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन को प्रत्याशी बनाया गया, जिन्हें ’’तमिलनाडु का मोदी’’ कहा जाता है। 68 वर्षीय राधाकृष्णन का जन्म तिरुप्पुर, तमिलनाडु में हुआ था। राजनीतिक हल्कों में इसके पीछे गृहमंत्री अमित शाह का दिमाग माना जा रहा है क्योंकि इसी बहाने वह राजग में चल रही उत्तर-दक्षिण की राजनीति पर भी विराम लगाना चाहते है। आज राष्ट्रपति पूर्वी भारत से और प्रधानमंत्री को उत्तर पश्चिम भारत का माना जाता है। गृहमंत्री राजग प्रत्याशी को रिकार्ड मतों से विजय दिलाने के लिये मुखर है। अमित शाह ने एक साक्षत्कार में कहा कि बी. सुदर्शन रेड्डी नक्सलवाद को बढ़ावा दे रहे है। इस बयान पर विपक्ष सहित 18 जजों ने कड़ी आपत्ति दर्ज की लेकिन यहां भी गृहमंत्री भारी पड़े। 18 न्यायाधीशों के विरुद्ध 56 न्यायाधीश सामने आ गये जिसमें कई सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके है।
कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक ने उप राष्ट्रपति के चुनाव में पूर्व न्यायाधीश बालकृष्ण सुदर्शन रेड्डी को प्रत्याशी बनाया है। 79 वर्षीय रेड्डी मुलतः आंध्र प्रदेश के रंगा रेड्डी जिले के निवासी है जो अब तेलंगाना राज्य में है। रेड्डी भारतीय न्यायविद के साथ ही आंध्र प्रदेश तथा गुवाहाटी उच्च न्यायालय सहित सर्वोच्च न्यायालय में 2007 से 2011 तक न्यायाधीश रह चुके है।
संख्या बल के आधार पर राजग प्रत्याशी राधकृष्णन का पलड़ा भारी है लेकिन इंडिया ब्लॉक प्रत्याशी बी.सुदर्शन रेड्डी चुनाव को दलगत राजनीति से अलग रखकर इसे संवैधानिक पद बताते हुये लड़ाई को गम्भीर बनाने का प्रयास कर रहे है। सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष भी अपनी एकजुटता प्रदर्शित करते हुये सजग है क्योंकि ऐसे चुनावों में क्रास वोटिंग का भय बना रहता है। दूसरा तथ्य यह है कि आज 48 सांसद मतदाता ऐसे हैं जो दोनो गठबंधन में शामिल नहीं है। राजग के साथ इंडिया ब्लॉक भी उनके समर्थन के लिये जोर आजमाइश कर रहा है। सबसे रोचक आंकड़े इन प्रत्याशियों के गृह राज्य से आ रहे है। राजग प्रत्याशी सी.पी. राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं जहां डीएमके की सरकार है। डीएमके कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक का घटक है। लोकसभा चुनाव में डीएमके के नेतृत्व वाले गठबंधन ने राज्य की सभी 39 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल किया है। इसी प्रकार राज्य में राज्यसभा की 18 सीटें पर 12 सांसद इंड़िया ब्लॉक के हैं तथा 4 सांसद एआईएडीएमके तथा दो निर्दलीय व अन्य है। यह समीकरण इंड़िया ब्लॉक प्रत्याशी के सर्वथा अनुकूल और बढ़त दिलाने वाला है। तमिलनाडु में राजग प्रत्याशी को 5 मत मिलने की सम्भावना है।
इंडिया ब्लॉक प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी का आंध्र प्रदेश में खाता खुलना ही मुश्किल लग रहा है क्योंकि आंध्र प्रदेश में टीडीपी की सरकार है जो राजग का घटक है। लोकसभा की कुल 25 सीटों में टीडीपी गठबंधन के 21 और वाइएसआर कांग्रेस के 4 सांसद हैं। इसी प्रकार राज्यसभा के 11 सांसदों में से 7 वाइएसआर कांग्रेस, 2 भाजपा और 2 टीडीपी के पास है। वाइएसआर कांग्रेस ने राजग को समर्थन दिया है। ऐसी स्थिति में इंडिया ब्लॉक प्रत्याशी को एक वोट भी मिलना मुश्किल लग रहा है। बी सुदर्शन रेड्डी का गृह जनपद अब तेलंगाना राज्य में आ गया है। इस राज्य से उन्हें वोट तो मिलेगा लेकिन राजग प्रत्याशी की स्थिति कमतर नहीं है। लोकसभा की 17 सीटों में 8 कांग्रेस और 8 भाजपा के पास तथा 1 एआईएमआईएम के पास है। राज्यसभा की 7 सीटों में 3 कांग्रेस, 3 बीआरएस और 1 भाजपा के पास हैं। बीआरएस किसी भी गठबंधन का सदस्य नहीं है।
दोनों प्रत्याशियों के गृह राज्य की स्थितियां भले ही उनके प्रतिकूल हो लेकिन सदन में सत्तारुढ़ भाजपा नेतृत्व वाले गठबंधन राजद के सदस्यों की संख्या बहुमत से कहीं अधिक होने के कारण उनके प्रत्याशी सी.पी. राधाकृष्णन की जीत तय मानी जा रही है। मतदाता सांसदों की संख्या की बात की जाय तो आज लोकसभा के 543 सदस्यों में केवल एक पद खाली है यानि 542 लोकसभा सांसद मतदान करेंगे। राज्यसभा में 233 निर्वाचित और 12 नामित सदस्यों में कुल 5 पद रिक्त होने के कारण 240 सांसद है। दोनों की संख्या मिलाने पर 782 होती है। उप राष्ट्रपति के पद पर विजय के लिये 50 प्रतिशत यानि 391 सांसदों के मत चाहिये। वर्तमान में राजद के पास 422 सांसद है जिनमें 293 लोकसभा और 129 राज्यसभा के है। इसके अतिरिक्त उन तमाम सांसदों का भी समर्थन राजग प्रत्याशी को है जो किसी गठबंधन के सदस्य नहीं है। इनमें एक प्रमुख नाम वाइएसआर कांग्रेस का है। इंडिया ब्लॉक के सांसदों की संख्या मात्र 312 है। राजग का संख्या बल विपक्षी प्रत्याशी पर स्वतः बढ़त दिला रहा है जिसके आधार पर राजग प्रत्याशी सी.पी.राधाकृष्णन की जीत पक्की मानी जा रही है। 2022 के चुनाव में राजग प्रत्याशी जगदीप धनखड़ को 528 मत मिले थे और विपक्षी प्रत्याशी मार्गरेट अल्वा को मात्र 182 मत प्राप्त हुये थे।
इंडिया ब्लॉक के अधिकांश घटक दल भी स्वीकारते है कि चुनाव में उनके प्रत्याशी की जीत सम्भव नहीं है क्योंकि उनके पास सांसदों की संख्या काफी कम है। राजग के सदस्यों से बड़ी संख्या में क्रास वोटिंग होना सम्भव नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे कहते है कि यह राष्ट्र की आत्मा के लिये एक वैचारिक लड़ाई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार कहते है कि हमारे पास एनडीए से कम संख्या है फिर भी हमें कोई चिंता नहीं है। विपक्ष के सारे वोट रेड्डी को ही मिलेगें। उन्हें अपनी ताकत का अंदाजा है, हमें किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं है। अभी उत्तर प्रदेश के सांसदों से समर्थन मांगने लखनऊ आये रेड्डी ने पत्रकारों से कहा कि जो दल इंडिया ब्लॉक में नहीं हैं वह भी उनकी मदद को आगे आ रहे हैं। यह राजनीतिक नहीं बल्कि संवैधानिक पद है इस लिये सभी दल उनका समर्थन करें।
माना जा रहा है कि इस चुनाव के बहाने विपक्ष अपनी ताकत और एकजुटता दिखाने का प्रयास कर रहा है। अंतिम परिणाम तो सबको पता है लेकिन अंतरात्मा की आवाज, संवैधानिक पद, संविधान की रक्षा के सजग प्रहरी जैसे भावनात्मक शब्दों के सहारे वह कुछ तटस्थ मतों को प्राप्त करके हार-जीत के अंतर को कम करना चाह रहा है।
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