Prabhat Kumar Tiwari
Israel Palestine Conflict: फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने को लेकर इजराइल और ब्रिटेन आमने-सामने आ गये हैं। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की उस योजना पर कड़ी आलोचना की है जिसमें उन्होंने इजराइल से गाजा में स्थिति सुधारने और संघर्षविराम की दिशा में ठोस कदम उठाने का आग्रह किया है। स्टार्मर ने कहा था कि यदि इजराइल ने इन कदमों को नहीं अपनाया, तो ब्रिटेन फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने पर विचार करेगा। इस घटनाक्रम ने दोनों देशों के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक संबंधों में नई उथल-पुथल पैदा कर दी है।
इजराइल सरकार ने ब्रिटेन के इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए इसे एक खतरनाक कदम बताया। नेतन्याहू ने इसे हमास जैसे आतंकी समूह को ‘इनाम’ देने के समान करार दिया और कहा कि इससे इजराइल के नागरिकों के लिए खतरा बढ़ेगा। इजराइली प्रधानमंत्री ने यह भी चेतावनी दी कि यदि ब्रिटेन ने इस फैसले पर अमल किया, तो यह जिहादी आतंकवादियों को प्रोत्साहित करने का काम करेगा, जो न सिर्फ इजराइल बल्कि पूरे पश्चिमी दुनिया के लिए एक गंभीर खतरा साबित हो सकता है। नेतन्याहू का यह बयान ब्रिटेन के उस निर्णय के संदर्भ में था जिसमें फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की बात की गई थी, यदि इजराइल गाजा में युद्धविराम और मानवीय सहायता की आपूर्ति में सहयोग नहीं करता। इजराइली विदेश मंत्रालय ने भी इस प्रस्ताव को आलोचनात्मक नजरिए से देखा और इसे गाजा में संघर्षविराम और बंधकों की रिहाई के प्रयासों के लिए नुकसानदायक बताया।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इस कदम को एक संभावित समाधान के रूप में देखा है, जिसका उद्देश्य दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में प्रगति करना है। स्टार्मर के अनुसार, फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने का निर्णय इजराइल के साथ गहरे राजनीतिक वार्तालाप के बाद लिया जाएगा। अगर इजराइल ने गाजा में स्थितियों को सुधारने, संघर्ष विराम पर सहमति देने और मानवीय सहायता की आपूर्ति के लिए सकारात्मक कदम नहीं उठाए, तो ब्रिटेन संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने पर विचार करेगा। ब्रिटिश विदेश सचिव डेविड लैमी ने इस संदर्भ में कहा कि क्षेत्रीय शांति के लिए दो-राज्य समाधान से बेहतर कोई रास्ता नहीं हो सकता। उनका कहना था कि फिलिस्तीनी लोगों को एक स्वतंत्र राष्ट्र में सम्मान और सुरक्षा के साथ जीने का अधिकार होना चाहिए, और इजराइल को अपनी सीमाओं के भीतर आतंकवाद से मुक्त होकर शांति से रहने का अधिकार मिलना चाहिए।
इजराइल और ब्रिटेन के बीच यह कूटनीतिक तनाव न केवल फिलिस्तीन-इजराइल संघर्ष से जुड़ा है, बल्कि यह दोनों देशों के क्षेत्रीय और वैश्विक हितों को भी प्रभावित कर रहा है। इजराइल की स्थिति यह है कि वह किसी भी प्रकार की अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद अपने सुरक्षा हितों को प्राथमिकता देता है, जबकि ब्रिटेन की सरकार इस मुद्दे पर एक स्थायी और न्यायसंगत समाधान की ओर कदम बढ़ाने की कोशिश कर रही है। ब्रिटेन के इस कदम को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मानवाधिकार समूहों से समर्थन मिल रहा है, जो गाजा में हो रहे मानवीय संकट को लेकर गहरी चिंता जता रहे हैं। इन संगठनों का कहना है कि यदि इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शांति का मार्ग प्रशस्त नहीं किया गया तो स्थिति और बिगड़ सकती है। इससे पूरी मध्य-पूर्व क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
वैश्विक स्तर पर दो-राष्ट्र समाधान, यानी इजराइल और फिलिस्तीन का सहमति से विभाजन, एक लंबे समय से चल रही चर्चा का विषय है। हालांकि, हाल के वर्षों में यह समाधान एक दूर की संभावना बनकर रह गया है। दोनों पक्षों के बीच आपसी विश्वास की कमी, आतंकवाद और सुरक्षा संकट ने इस समाधान को लगभग असंभव बना दिया है। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने की कोशिश कर रहा है, ताकि इस विवाद का शांति से समाधान निकाला जा सके। ब्रिटेन का फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, लेकिन इसके साथ ही यह इजराइल की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक बड़ा सवाल भी खड़ा करता है।
ब्रिटेन और इजराइल के बीच यह मतभेद इस बात की ओर संकेत करते हैं कि फिलिस्तीन-इजराइल संघर्ष को हल करना न केवल क्षेत्रीय स्तर पर बल्कि वैश्विक राजनीति में भी एक जटिल चुनौती है। ब्रिटेन ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की शर्तों को स्पष्ट किया है, लेकिन इसके लागू होने के बाद क्षेत्रीय शांति को लेकर क्या परिणाम निकलेंगे, यह देखना होगा। इस परिप्रेक्ष्य में, यह महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर कूटनीतिक वार्ताएँ जारी रहें, ताकि किसी भी प्रकार के हिंसा और अस्थिरता से बचा जा सके। फिलिस्तीन और इजराइल के बीच एक स्थायी और न्यायपूर्ण समाधान खोजने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका और जिम्मेदारी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। अंततः, इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो जाता है कि फिलिस्तीन-इजराइल संघर्ष के समाधान के लिए केवल कूटनीतिक नीतियाँ और सैन्य ताकत ही नहीं, बल्कि एक स्थायी, समावेशी और न्यायपूर्ण समाधान की आवश्यकता है।
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