सोनिया-राहुल के लिए जी का जंजाल बना नेशनल हेराल्ड केस

खबर सार : -
राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ गई है। नेशनल हेराल्ड मामले में दोनों एक बार फिर कटघरे में है और ईडी ने मां-बेटे को आरोपी बनाकर अलग-अलग शहरों में मौजूद इसकी संपत्तियों को जब्त करना शुरू कर दिया है। इसको लेकर राजनीतिक तापमान भी बढ़ गया है।

खबर विस्तार : -

आदर्श प्रकाश सिंह

नेशनल हेराल्ड का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है। यह मामला कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन चुका है। पार्टी के दो प्रमुख नेता राज्यसभा सदस्य सोनिया गांधी और उनके पुत्र लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ मनी लांड्रिंग का केस दर्ज हो चुका है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने 15 अप्रैल 2025 को इन दोनों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल की है। आरोप पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस नेताओं ने नेशनल हेराल्ड की मालिकाना हक वाली कंपनी एजीएल की 2,000 करोड़ की संपति हड़पने के लिए आपराधिक साजिश रची। इसमें 988 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है। दरअसल, देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 09 सितंबर 1938 को नेशनल हेराल्ड नाम से एक अखबार की शुरुआत की थी। यह अंग्रेजी का पेपर था। इसी समूह ने हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज के नाम से भी अखबारों का प्रकाशन शुरू किया। इसके लिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटिड (एजेएल) नामक कंपनी बनाई गई। आजादी के आंदोलन में इस पत्र ने महती भूमिका निभाई। चूंकि, नेहरू जी इसके संस्थापक थे इसलिए इसे लोकप्रिय होने में ज्यादा समय नहीं लगा। इसकी शुरुआत लखनऊ से हुई थी, मगर कांग्रेस नेताओं ने नेहरू की इस विरासत को जमींदोज कर दिया। वर्ष 2008 में आर्थिक कारणों से इन अखबारों का प्रकाशन बंद कर दिया गया। कुछ वर्षों बाद प्रबंधन ने जांच एजेंसी को यह दिखाने के लिए कि हम इसका प्रकाशन जारी रखे हुए हैं। दैनिक के बजाय साप्ताहिक पत्र के रूप में नवजीवन और नेशनल हेराल्ड का दिल्ली से प्रकाशन आरंभ किया। थोड़े से कर्मचारी रख कर यह काम आज भी किया जा रहा है।    

मामला पुराना है, लेकिन इस पर कांग्रेस के अखबार का ठप्पा लग चुका था। जब एजेएल की हालत खस्ता हुई तो कांग्रेस नेताओं ने ‘यंग इंडियन‘ के नाम से एक दूसरी कंपनी बनाकर पैसों का हेरफेर किया। ‘यंग इंडियन‘ में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी सोनिया गांधी और राहुल गांधी की है। दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर हेराल्ड हाउस से भी इन अखबारों का प्रकाशन होता था। जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 01 नवंबर 2012 को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में कांग्रेस नेताओं के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज करा दिया। ईडी इस केस की जांच कर रही है। दिसंबर-2010 में एजेएल पर कांग्रेस के 90 करोड़ रुपये बकाया होने की खबर आई। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास मौजूद दस्तावेजों के अनुसार 29 दिसंबर 2010 को एजेएल के शेयरधारकों की संख्या 1,057 थी। 26 फरवरी 2011 को कांग्रेस ने एजेएल को 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया। इसके बाद यंग इंडिया ने 90 करोड़ की वसूली का अधिकार पाने के लिए एजेएल को केवल 50 लाख का भुगतान किया। जाहिर है, इसमें धोखाधड़ी हुई है। आश्चर्य यह कि हेराल्ड मामला कांग्रेस के शासन में ही उभरा। 2014 में मोदी सरकार के आने से पहले ही इसे लेकर अदालत में शिकायत दर्ज हो गई थी। यूपीए की मनमोहन सरकार के दौरान ही इन दैनिकों का प्रकाशन भी बंद हुआ इसलिए यह आरोप लगाना कि भाजपा सरकार बदले की नीयत से कार्रवाई कर रही है, कहां तक उचित है ?

सोनिया और राहुल से हुई पूछताछ 

जांच एजेंसी ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को आरोपी नंबर एक और उनके बेटे राहुल गांधी को आरोपी नंबर दो बनाया है। जून 2022 में सोनिया और राहुल से इस सिलसिले में पूछताछ भी की गई। देश भर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने खूब हंगामा किया, बाद में अदालत से इन दोनों को जमानत मिल गई। हाल ही में चार्जशीट दायर होने के बाद यह केस फिर से खुल गया है। कांग्रेस नेता इसे बदले की कार्रवाई और डराने-धमकाने की कोशिश बता कर देश भर में आंदोलन कर रहे हैं, पर इतना तो तय है कि हेराल्ड मामले में गड़बड़ हुई है। जब तीनों अखबारों का प्रकाशन बंद हो चुका है, तब इसके बावजूद लाखों रुपये का विज्ञापन कहां से जारी किया जा रहा है। एजेएल की संपतियों का इस्तेमाल कौन कर रहा है ? ये ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब जनता को मिलने चाहिए। देश के कई शहरों में इस कंपनी की संपतियां हैं। मीडिया जगत में विज्ञापन का अजब-गजब खेल होता है। हेराल्ड की स्वामित्व वाली कंपनी पर गंभीर आरोप लगे हैं। हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण पूरे देश का ध्यान इस पर लगा है।

एक जमाने में इस समाचार पत्र समूह की काफी प्रतिष्ठा थी। कहा जाता है कि संपादक चेलापति राव से जब मिलना होता था, तो नेहरू जी खुद उनके कक्ष में जाते थे। कांग्रेस के कई बड़े नेता इससे जुड़े रहे। 22 मार्च 2002 को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल बोरा को एजेएल का अध्यक्ष और एमडी बनाया गया। कंपनी यंग इंडिया के निदेशकों में सैम पित्रोदा और सुमन दुबे समेत कई अन्य नेताओं के नाम शामिल हैं। काग्रेस का यह भी कहना है कि एजेएल को अपनी देनदारी चुकाने के लिए 90 करोड़ की राशि दी गई थी। इसमें से 67 करोड़ का इस्तेमाल नेशनल हेराल्ड ने अपने कर्मियों के वेतन भुगतान के लिए किया। बाकी पैसा बिजली बिल, किराया, भवन आदि पर खर्च किया गया इसलिए किसी पार्टी की ओर से कर्ज देना अपराध नहीं है। कांग्रेस का तर्क है कि आय के अभाव में नेशनल हेराल्ड अखबार कर्ज चुकाने में सक्षम नहीं था।

ईडी ने जब्त कीं हेराल्ड की संपत्तियां

सोनिया और राहुल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के अगले ही दिन 16 अप्रैल 2025 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की नजर टेढ़ी हो गई। लखनऊ के कैसरबाग में नवजीवन की बिल्डिंग जब्त कर ली गई। इस बिल्डिंग पर ईडी के अधिकारी नवीन राणा की ओर से नोटिस चस्पा कर दी गई। इसकी कीमत 64 करोड़ 23 लाख रुपये बताई गई है। यह कार्रवाई देश के अन्य शहरों में भी की गई। भोपाल में भी हेराल्ड का एक भवन है, जिसका अब कॉमर्शियल उपयोग हो रहा था। कांग्रेस के दोनों बड़े नेताओं को नोटिस जारी हो गई है। उन्हें अदालत में अपना जवाब देना है। देश यही चाहता है कि इस केस में जल्द से जल्द न्याय हो। 
 

अन्य प्रमुख खबरें