पहलगाम घटना के लगभग तीन महीनों के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान के हाफिज सईद के आतंकी संगठन लश्कर - ए- तैयबा के एक अन्य मुखौटा संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ )को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है। यह पहलगाम में हुई आतंकी घटना के बाद भारत द्वारा युद्धस्तर पर किए जा रहे कूटनीतिक प्रयासों का प्रतिफल है कि अमेरिका को टीआरएफ को प्रतिंबंधित करते हुए आतंकवाद के खिलाफ कड़ा बयान देना पड़ा।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित करते हुए कहा कि अमेरिका के विदेश विभाग की यह कार्रवाई राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा, आतंकवाद का मुकाबला करने और पहलगाम हमले के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के न्याय के संकल्प को लागू करने के प्रति प्रतिबद्धता जताती है। भारत ने अमेरिका के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर बल देता रहा है।हम आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता की की नीति अपनाते हैं और आतंकी संगठनों को जवाबदेह ठहराने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोगियो के साथ मिलकर काम करते रहेंगे।
ज्ञातव्य है कि पाक सेना प्रमुख मुनीर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात और लंच भी कुख्यात आतंकी संगठन टीआरएफ को प्रतिबंधित होने से नहीं बचा पाया। टीआरएफ को प्रतिबंधित किए जाने के समय पाकिस्तानी चैनल यह खबर चलाकर दबाव भी बना रहे थे कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सितंबर में पाकिस्तान की यात्रा पर आ रहे हैं। बाद में अमेरिकी प्रतिनिधि ने इस खबर का खंडन कर दिया। इस प्रकार पाकिस्तान को अमेरिका से दोहरा झटका लगा है ।
टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित करने के बाद भी अमेरिका का पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर दोहरा रवैया सामने आ गया है क्योंकि इस पूरी प्रक्रिया में अमेरिका ने पाकिस्तान के प्रति एक शब्द भी नहीं बोला जबकि यह एक कटु सत्य है कि दुनियाभर के सभी प्रमुख आंतकवादी संगठनों के प्रमुखों का संरक्षण दाता पाकिस्तान ही निकलता है । अमेरिका में 9/11 के हमलों का आरोपी दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी ओसामा बिन लादेन भी पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ही पाया गया था और अमेरिका ने उसे ढेर किया था। दूसरी बड़ी बात है कि अमिरका ने टीआर को तो प्रतिबंधित कर दिया है किंतु उसके आतंकी सरगना को अभी तक प्रतिबंधित नहीं किया है।
अमेरिका ने टीआरएफ के खिलाफ जो कार्यवाही ऐसे समय में की गई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प बार -बार भारत और पाकिस्तान के मध्य संघर्ष विराम करवाने का श्रेय लेने का प्रयास कर रहे हैं।अमेरिका द्वारा टीआरएफ पर प्रतिबंध के बाद से पाकिस्तान बौखला गया है और उसने इन प्रतिबंधों के लिए भारत की ओर से अमेरिका पर डाले जा रहे अतिरिक्त दबाव को ही जिम्मेदार बताया है। पाकिस्तान ने कहा कि अभी तक जब पहलगाम आतंकी हमले की जांच पूरी नहीं हो जाती और उसकी अंतिम रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक टीआरएफ पर लगाया गया प्रतिबंध दबाव में लिया गया एकतरफा फैसला है।
अमेरिका द्वारा टीआरएफ प्रतिबंधित हो जाने के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट से पाकिस्तान स्पष्ट रूप से दुनिया के सामने बेनकाब हो रहा है।आज नहीं तो कल विश्व के सभी देशों को मात्र राजनैतिक व आर्थिक दृष्टिकोण से ऊपर मानवता, शांति व वैश्विक विकास के हित में आतंकवाद के खिलाफ एक मंच पर आना ही होगा और पाकिस्तान के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करनी होगी । जब तक आतंकवाद की जड़ों पर पर प्रहार नहीं किया जाएगा तब तक आतंकवाद नहीं समाप्त होगा। टीआरएफ पर प्रतिबंध मात्र आरम्भ है अभी बहुत संघर्ष शेष है।
किसी भी संगठन पर प्रतिबंध लगने के बाद अमेरिका में उस संगठन की संपत्ति को फ्रीज कर दिया जाता है और किसी अमेरिकी व्यक्ति या संस्था द्वारा संगठन को कोई सुविधा या सहायता प्रदान करना गैरकानूनी हो जाता है। इस प्रकार से टीआरएफ पर बैन पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है और इसका विरोध करने से पाकिस्तान बेनकाब भी हो गया है । अब भरत पाकिस्तान को एफएटीएफ जैसी संस्थाओं से भी प्रतिबंधित कराने के लिए अपने कूटनीतिक प्रयासों को तीव्र कर रहा है, ऐसा हो जाने पर एफएटीएफ भी टीआरएफ की आर्थिक गतिविधियों की निगरानी करेगा जिससे पाकिस्तान पर इसकी फंडिंग रोकने , बैंक खाते फ्रीज करने व इससे जुड़े लोगों पर कार्रवाई करने का दबाव बढ़ेगा।
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