ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी तीन देशों की यात्रा के प्रथम चरण में साइप्रस पहुंचे। उनकी यह यात्रा रणनीतिक तथा सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण रही । प्रधानमंत्री ने अपनी साइप्रस की इस यात्रा से कई रणनीतिक उद्देश्य पूर्ण किए हैं । इस यात्रा से आपरेशन सिंदूर के समय पाकिस्तान का समर्थन करने वाले तुर्किए के शासनाध्यक्ष एर्दोगान को कठिनाई होने वाली है। साइप्रस सामरिक, रणनीतिक व कूटनीतिक दृष्टिकोण से भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण देश है। प्रधानमंत्री मोदी से पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने भी साइप्रस का दौरा किया था।
साइप्रस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भव्य स्वागत किया गया। साइप्रस ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारोयिस“ से सम्मानित किया।“ इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि यह 140 करोड़ भारतवासियों का सम्मान है ।यह हमारे देश के सांस्कृतिक भाईचारे व वसुधैव कुटुंबकम की विचारधारा का सम्मान है। इसके साथ ही पीएम मोदी को सम्मानित करने वाले देशों की संख्या 22 हो गई है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि साइप्रस के विजन -2035 और विकसित भारत के विजन-2047 के कई पहलुओं से समानता है। हम साथ मिलकर भविष्य को आकर देंगे। 23 वर्षां के बाद भारतीय प्रधानमंत्री की इस महत्वपूर्ण यात्रा के दौरान दोनों देशों के मध्य रक्षा, वित्त, व्यापार सहित विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने पर व्यापक चर्चा हुई।
प्रधानमंत्री मोदी और साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस ने तुर्किए के कब्जे वाले साइप्रस के भूभाग के पास वाले क्षेत्र का भ्रमण किया और तुर्किए को संदेश देते हुए कहा कि भारत साइप्रस गणराज्य की स्वतंत्रता, संप्रभुता, भौगोलिक अखंडता और एकता को अटल व सतत समर्थन देता रहेगा। इसके लिए वह किसी एक पक्ष की तरफ से मनमाने तरीके से कदम उठाए जाने पर रोक लगाने व सार्थक वार्ता का वातावरण बनाए जाने का समर्थन करता है।
तुर्किए ने 1974 से साइप्रस के लगभग एक तिहाई हिस्से पर अवैध कब्जा कर रखा है। तुर्किए कश्मीर मुद्दे पर बार- बार पाकिस्तान के पक्ष में बयानबाजी करता है,ऑपरेशन सिंदूर के समय उसने पाकिस्तान को बचाने के लिए अपना युद्धपोत भेजा, भारत पर हमला करने के लिए ड्रोन दिये उसको दृष्टिगत रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वाभाविक रूप से स्पष्ट संदेश दिया कि अब भारत साइप्रस की संप्रभुता का पूर्ण समर्थन कर रहा है।
साइप्रस और भारत एक दूसरे के परिस्थितिगत साथी हैं। साइप्रस तुर्किए से उलझा हुआ देश है। भारत -साइप्रस के मजबूत होते संबंधों को तुर्किए के खिलाफ कूटनीतिक बैलेंस के तौर पर देखा जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार की संभावनाओं के लिए भी यह महत्वपूर्ण है। साइप्रस का रुख सदा से भारत के समर्थन में रहा है। साइप्रस को भूमध्य सागर और यूरोप में प्रवेश का गेटवे कहा जाता है।यह सीरिया और तुर्किए के करीब है। भौगोलिक रूप से एशिया में होने के बावजूद इसे यूरोपीय संघ के सदस्य के रूप में दर्जा मिला हुआ है । यही वजह है कि यूरोप के साथ संपर्क बनाने में भारत के लिए यह सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है । साइप्रस भारत के लिए व्यापार, निवेश और रणनीतिक संवाद पर के लिए भी अहम है।यू रोपियन यूनियन के साथ मुक्त व्यापार संधि के लिए साइप्रस एक महत्वपूर्ण भागीदार व सहायक हो सकता है।
साइप्रस भारत के लिए निवेश के हब रहा है। आर्थिक ओैर कानूनी रूप से सुरक्षित निवेश हब के तौर पर यह भारत के लिए सदा से ही लाभदायक रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी इस यात्रा के दौरान व्यवसायियों को एनर्जी टेक्नोलॉजी और डिजिटल सेक्टर में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा का उद्देश्य साइप्रस को रणनीतिक आर्थिक गलियारे में और अधिक मजबूती से जोड़ना है। इसके साथ ही यूरोपीय संघ के सदस्य रूप में साइप्रस ब्लॉक में भारत के हितों का समर्थन करने में अहम भूमिका निभा सकता है। साइप्रस भूमध्य सागर में है जहां गैस तेल संसाधन की अपार संभावनाएं हैं ।साइप्रस की मिडिल ईस्ट और यूरोप के बीच एक स्थिर सहयोग दे सकता हैं। अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने में भारत की रुचि साइप्रस को ऊर्जा साझेदारी के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है।
इस यात्रा के दौरान जब प्रधानमंत्री मोदी निकोसिया में संघर्ष विराम रेखा के पास एक ऐतिहासिक स्थल पर पहुंचे तो निकोसिया म्यूनिसिपल काउंसिल के एक सदस्य मिछेला किथेरियोटी मालपा ने सम्मान स्वरूप प्रधानमंत्री मोदी के पैर छू लिए। इससे पता चलता है कि पूरे विश्व में भारत व प्रधानमंत्री मोदी का कितना सम्मान है।
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