इजराइल -ईरान जंग, किसको क्या मिला?

Photo of writer Mritunjay Mritunjay Dixit
अमेरिकी सेनाओं द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों फोर्डो , नतांज और इस्फान को निशाना बनाए जाने के बाद ईरान की ओर से खाड़ी के विभिन्न देशों में तैनात अमेरिक सैन्य ठिकानों पर जर्बदस्त हमला किया गया। इन हमलों के बाद तुरंत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल -ईरान युद्ध के मध्य चल रहे संघर्ष में सीजफायर की घोषणा करा दी। अब सभी पक्षकार अपने अपने लाभ -हानि का गुणा भाग करने में जुटे हुए हैं।

इजराइल -ईरान जंग, किसको क्या मिला?

अरब राष्ट्रों से घिरे इजराइल ने अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए तथा  ईरान की परमाणु महात्वकांक्षा को  कूटनीति के बजाए  सैन्य शक्ति से समाप्त करने के लिए 13 जून 2025 को ऑपरेशन राइजिंग लायन के माध्यम से ईरानी परमाणु और कमांड स्थलों को निशाना बनाने हुए 100 से अधिक स्थलों पर 200 से अधिक मिसाइलों से  हमला करके ईरान के 20 परमाणु वैज्ञानिकों सहित कई प्रमुख सैन्य नेताओं को समाप्त कर दिया था। 

इस संघर्ष में इजराइयल ने केवल ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानॉन  को ही निशाना बनाया जबकि ईरान ने ईजराइल पर पलटवार करते हुए इजराइल के नागरिक ठिकानों पर भीषण हमले किये थे जिसके कारण ईजराइल को काफी  नुकसान उठाना पड़ा था। ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइओं  व हाइपरसोनिक फतह- 1 से इजराइल पर हमले किये। ईरानी हमलों में 28 इजरायली नागरिकों की दुखद मृत्यु हुई तथा 3,238 नागरिक  घायल हुए और लगभग 9 हजार नागरिक विस्थापित हुए। इजराइल की अनेक अतिआधुनिक इमारतें भी नष्ट हो गयीं।  

लगभग 12 दिनों की इस लड़ाई में ईरानकी न सिर्फ परमाणु परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं अपितु उसके शीर्ष वैज्ञानिक और सैन्य अधिकारी भी मारे गए हैं । ईरान के एक शिया धर्मगुरु ने जिस प्रकार से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और इजराइली पीएम बेंजामिन नेतनयाहु की हत्या करने के लिए फतवा जारी किया है उससे यह स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि इजरायली हमलों से ईरान को बहत अधिक नुकसान हुआ है । कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि ईरान को नुकसान तो अवश्य हुआ है किंतु ईरान आबादी और  क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से एक बड़ा देश है इसलिए  अगर ईरान में इजरायली मिसाइलों से कुछ हजार सैनिक मर भी जाते हैं तब भी उसे कोई बहुत परेशानी नहीं होने वाली है तथा उसके पास मिसाइलें और थल सेना की ताकत भी इजराइल से अधिक है। साथ ही इजराइल नैतिकता दिखाते हुए नागरिक क्षेत्रों को निशाना नहीं बना रहा था।

उधर ईरानी मिसाइलें इजरायल के नागरिक क्षेत्रों को निशाना बना रही थीं तो निश्चित ही इजराइल का नुकसान मानवीय दृष्टिकोण से बहुत बड़ा था। युद्ध के दौरान यह भी समाचार दिखे कि इजराइल के पास मिसाइलों आदि का भंडार भी कम हो रहा है जिसके कारण वह संघर्ष विराम को राजी हो गया। इजराइल को बंकर ब्लस्टर बम के उपयोग के लिए अमेरिका को साथ लाना पड़ा।  

कुछ अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स यह दावा कर रही हैं कि ईरान के पास अभी भी इतना यूरेनियम बचा हुआ है कि वह एक माह के अंदर 10 परमाणु बम बना सकता है । वहीं इजरायल का कहना है कि अगर ईरान ने अपना परमाणु कार्यक्रम फिर से प्रारंभ किया तो वह ईरान पर फिर भीषण बमबारी प्रारंभ कर देगा। ऐसी ही धमकी ईरान की ओर से दी जाने लग गई है कि अगर इजरायल की ओर से अब हमला किया गया तो हम 1000 मिसाइलों  से इजरायल पर भयानक हमला करेंगे जिससे तेल अबीब पर तबाही आयेगी। कुल मिलकर युद्ध विराम दिख भले ही रहा हो लेकिन बड़े युद्वों का खतरा टला नहीं है और संभवतः  एक चिंगारी के जलते ही दुनिया एक बार फिर परमाणु युद्ध के मोहाने पर खड़ी हो जाएगी। 

कुछ ईरानी विश्लेषक यह भी अनुमान लगा रहे हैं  कि 12 दिनों  तक चले इस युद्ध के बाद  ईरान के लिए अब आगे कुछ भी करना आसान नहीं रह गया है । युद्ध के दौरान ईरान ने मीडिया पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी जिसके कारण वहां से खबरें और वीडियो आदि नहीं प्राप्त हो पा रहे थे। इजरायल ने 12 दिनो के युद्ध में ईरान की सैन्य संरचना को बुरी तरह से तबाह कर दिया है। इजरायल के हमले में ईरानी सेना के प्रमुख जनरल मोहम्मद बाघेरी, आईआरजीसी प्रमुख जनरल हुसैन सलामी तथा वहां के रक्षा मंत्री सहित तमाम प्रमुख सैन्य अधिकारी  मार दिए गये हैं। वर्तमान समय में ईरानी आईआरजीसी अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। ईरानी शासक खोमेनेई  को इजरायल और  अमेरिका से लगातार भय सता रहा है और अपने सुरक्षा कारणों से ही वह जनता के समक्ष ही नहीं  आ पा रहे हैं। 

अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने एक बयान में कहा है कि अब ईरान नरक की दुनिया में हैं और अब कुछ नही कर सकता। फिर भी ईरान से जिस प्रकार के फतवे आ रहे हैं उससे इजरायली प्रधानमंत्री नेतनयाहू और  अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप सतर्क अवश्य हैं क्योकि ईरान के इरादे नेक नहीं है। साथ ही ईरान बार -बार  यह भी दावा कर रहा है कि हमारा परमाणु कार्यक्रम न तो कभी बंद हुआ है ओैर नहीं होगा।

पहले इस युद्ध में कूदकर फिर संघर्ष विराम करा कर अमेरिका ने यह दिखाने का प्रयास किया कि पूरी दुनिया में दादागिरी दिखाने का अधिकार केवल उसी के ही पास है। अमेरिका नहीं चाहता कि दुनिया का कोई और  देश उसकी यह पॉवर छीन ले या फिर उससे आगे निकल जाए। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने जिस प्रकार से भारत -पाक के मध्य संघर्ष विराम पर झूठी बयानबाजी की और अब ईरान -इजरायल युद्ध को स्थगित करवाया है  उससे यह स्पष्ट हो रहा है कि उनके मन में कहीं न कहीं नोबेल शंति  पुरस्कार प्राप्त हाने की अभिलाषा जाग्रत हो रही है। 
 

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