रो-को युग के बाद अब भारत को मिले नये ' शुभ सितारे'

Photo of writer Amit kumar Amit kumar Jha
टीम इंडिया के दो शानदार क्रिकेट सितारे- रोहित शर्मा और विराट कोहली। महज पांच दिनों के अंतराल में दोनों ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया। इससे पहले टी-20 क्रिकेट से भी दोनों ने रिटायरमेंट ले लिया है। ऐसे में जब 20 जून से 5 टेस्ट मैचों के लिए इंग्लैंड जाकर उसकी टीम से दो-दो हाथ करने की बात आयी तो सवालों का दौर भी शुरू हुआ। कि आखिर अब किसके कंधे पर टीम इंडिया का दारोमदार आयेगा। रोहित और कोहली (रो-को) युग के शानदार दौर के बाद कौन से नये सितारे चमकेंगे। ऊपर से इंग्लैंड की पिचों को भारतीय और दूसरे देशों के लिहाज से भी खास माना जाता रहा है।

रो-को युग के बाद अब भारत को मिले नये ' शुभ सितारे'

भारतीय टीम का तो टेस्ट रिकॉर्ड आकर्षक नहीं रहा है। 1932-2022 के बीच कुल 67 टेस्ट मैचों में से महज 9 में ही भारतीय टीम जीत सकी है। तो जब 25 साल के युवा प्लेयर शुभमन गिल (कप्तान) और ऋषभ पंत (उप कप्तान) जैसे खिलाड़ियों को टीम की बागडोर मिली है तब क्या रिजल्ट मिलेंगे। 20 जून से अबतक खेले गये चार टेस्ट मैचों के रिजल्ट को देखें। भारतीय टीम ने एक जबकि इंग्लैंड ने दो मैच जीते हैं, एक ड्रॉ हो चुका है। सभी मैच पांच दिनों तक चले, रोमांचक दिखे। कभी एकतरफा नहीं हुआ। अब 31 जुलाई से पांचवें टेस्ट पर सबकी नजर है। पर फिलहाल कप्तान शुभमन गिल, ऋषभ पंत, रवींद्र जडेजा, के एल राहुल, वाशिंग्टन सुंदर, आकाशदीप, मोहम्मद सिराज, यशस्वी जायसवाल समेत कमोबेश सारे प्लेयर्स ने चमक बिखेरी है। अपना स्किल, जुझारूपन दिखाया है। यह उम्मीद बंधा रहा कि भारतीय टीम के पास कुछ ऐसे प्लेयर्स तो जरूर हैं जो 'अगली पीढ़ी' के सितारे साबित होंगे। 
 

गिल का गावस्कर, सचिन से भी बेहतर प्रदर्शन

विदेशी पिच पर कम से कम चार टेस्ट मैचों में खासकर इंग्लैंड जैसे देश में खेलकर रन बनाने के मामले में शुभमन ने गजब का हुनर दिखाया है। अबतक 4 मैचों में 90 के औसत से 4 शतकों के साथ 722 रन वे ठोक चुके हैं। प्रदर्शन के साथ पहली बार भारतीय टीम के लिए टेस्ट मैचों में कप्तानी करने का अंदाज तो ऐसा है कि इंग्लैंड की टीम के कुछ प्लेयर्स उन्हें निशाने पर लेने लगे हैं। इंग्लैंड के
समर्थक भी मैदान में इनकी हूटिंग करते दिखने लगे हैं। रन बनाने के मामले में उनके घर में ही घुसकर किसी भारतिय द्वारा की जाने वाली धुनाई संभवतः उन्हें पसन्द नहीं आ रही।       

बहरहाल, 'अगली पीढ़ी' के सितारों में शुभमन गिल ने सबसे अधिक चमक बिखेरी है। वे आने वाले दिनों में संभावित रूप से भारत के प्रमुख बल्लेबाज और शानदार टेस्ट कप्तान के रुप में और भी निखर सकते हैं। यह महज संयोग है, लेकिन गिल खुद को कोहली के समान ही स्थिति में पाते हैं, जब वह 25 साल के थे - और उनका टेस्ट रिकॉर्ड औसत दर्जे का था। इंग्लैंड जाने से पहले गिल ने 32 टेस्ट मैचों में 35 की औसत से 1893 रन बनाए थे। अब महज चार टेस्ट मैच खेल 700 से अधिक रन बटोर चुके हैं। इंग्लैंड में तो उनका रिकॉर्ड पूर्व में सामान्य था। तीन टेस्ट मैचों में 14.66 की औसत से 88 रन। पर अब कोहली की तरह गिल ने भी अपनी बल्लेबाजी में कठोर अनुशासन और क्लास दिखाया है।

चौथे टेस्ट मैच में ऋषभ पंत चोटिल हो गये। पर चार टेस्ट मैचों के दौरान उनका टेंपरामेंट गजब का दिखा। साबित किया कि वर्तमान में विकेटकीपिंग के साथ बैटिंग के मामले में वे योग्य भारतीय क्रिकेटर हैं। कुछ इसी तरह के एल राहुल, यशस्वी जायसवाल जैसे प्लेयर्स भी अपना हुनर दिखा चुके हैं। जायसवाल का इंग्लैंड में पारी की शुरुआत करना तय था। राहुल का भी ओपनिंग मे आना निश्चित था। यशस्वी वेस्टइंडीज, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और भारत में यह काम कर चुके हैं। लेकिन इंग्लैंड के अपने पहले दौरे पर यह काम अलग और कठिन था। फिर भी उल्लेखनीय प्रदर्शन दिखाया है। रवींद्र जडेजा ने अलग अलग मौकों पर जरूरी रन बनाए और विकेट लिये। वाशिंग्टन सुंदर ने भी अवसर मिलने पर खुद को साबित किया।

बी साई सुदर्शन ने भी बैटिंग में टैलेंट दिखाया है। बिहार के बॉलर आकाशदीप ने अनुभवी बुमराह की जगह पर मो सिराज के साथ मोर्चा संभालकर अभी इंग्लैंड में एक टेस्ट मैच जीतने में मदद की। इस तरह से देखा जाए तो यह भारतीय क्रिकेट टीम भी युवा और आत्मविश्वास से भरपूर दिख रही है। मोहम्मद शामी, आर अश्विन, रोहित, कोहली जैसे स्टार प्लेयर्स के बगैर भी सबने लड़ाकू क्षमता दिखाई है। इनके बगैर खेली जा रही टेस्ट मैचों की सीरीज में जो दमखम दिखाया है, वह रोचक है।अब युवा टीम को मार्गदर्शन देने, प्रोत्साहित करने, मनाने या डाँटने के लिए कोई कोहली या रोहित शर्मा नहीं हैं। फिर भी ये लड़के अकेले ही संघर्षों से उबरकर आगे बढ़ते दिख रहे हैं। यही उनके और भारतीय क्रिकेट के भविष्य की चमक तय करेगा।

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