पहलगाम हमले पर पारित प्रस्ताव में सदस्य देशों ने 22 अप्रैल 2025 को इसकी कड़ी निंदा की तथा मृतकों और घायलों के प्रति गहरी सहानुभूति और संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे हमलों के अपराधियों,आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। आतंकवाद पर पारित प्रस्ताव में स्पष्ट कहा गया है कि सदस्य देश आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा करते हैं। इस बात पर बल दिया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मापदंड अस्वीकार्य हैं। संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के सिद्धांतों के अनुसार प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव और संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति को पूरी तरह से लागू करना चाहिए।आतंकवादियों के सीमा पार हमले सहित आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अंतराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान करते हैं ताकि सभी आतंकवादी संगठनों का संयुक्त रूप से मुकाबला किया जा सके।
सम्मलेन में दूसरा प्रमुख प्रस्ताव गाजा के सन्दर्भ में आया है जिसमें फिलिस्तीन इजरायली संघर्ष के लगातार बढ़ने पर अपनी चिंता दोहराते हुए उन कार्यो की कड़ी निंदा की गई जिनके कारण गाजा पट्टी में बड़ी संख्या में नागरिकों की मौत हुई। सदस्य देशों ने एक स्वर में ईरान पर अमेरिका और इजरायल के हमलों की कड़ी निंदा की। आतंकवाद पर भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित हुआ है जिसमें आतंकवाद युद्ध और ड्रग्स से मुक्त एक स्वतंत्र तटस्थ और शांतिपूर्ण देश के रूप में अफगानिस्तान की स्थापना के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए सदस्य देशों ने वहां शांति और विकास सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों का समर्थन करने के लिए अपनी तत्परता व्यक्त की। सम्मेलन के प्रस्ताव में परमाणु हथियारों को लेकर भी प्रस्ताव पारित हुआ। सदस्य देशों ने एससीओ के विस्तार पर बल दिया।
शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में सम्पूर्ण विश्व की दृष्टि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन तथा चीन के शी जिनपिंग के साथ हुई भेंट पर रही। इस सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भी उपस्थित रहे लेकिन उनकी यहां पर एक न चली और चीन जो पाकिस्तान का परम मित्र माना जाता रहा है उसने भी पाकिस्तानी प्रतिनिधमंडल की ओर ध्यान नहीं दिया। इतना ही नहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की उपस्थिति में ही पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा का प्रस्ताव भी पारित हुआ। शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी सदस्य देशों के नेताओं के साथ गर्मजोशी से मिले और कहीं न कहीं पाकिस्तान अलग -थलग पड़ गया। शंघाई सहयोग संगठन से स्पष्ट हो गया कि अब भारत की बात सभी देश सुनते हैं।
शंघाई सहयोग संगठन की बैठक से यह संदेश भी जा रहा है कि अमेरिका की टैरिफ दादागिरि के कारण अब वर्ल्ड आर्डर तीव्रता के साथ बदल रहा है। भारत, रूस और चीन की तिकड़ी अपनी पुरानी शत्रुता को भुलाकर वैश्विक हितों को ध्यान में रखते हुए एकजुट हो रही है। यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हुआ जब भारत के साथ अमेरिका का टैरिफ वॉर जारी है और अमेरिकी राष्ट्रपति भारत को रूस से तेल न खरीदने की हिदायत दे रहे हैं। सम्मेलन आई तस्वीरें दिखा रही हैं कि भारत, चीन और रूस के बीच सौहार्द्र बढ़ रहा है जिससे स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि ट्रम्प का टैरिफ दांव एक नई जियो पॉलिटिक्स का निर्माण कर सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन द्वारा एक ही कार में भ्रमण करने से अमेरिकी राष्ट्रपति के मन में ईर्ष्या का भाव उत्पन्न होना स्वाभाविक है। शिखर सम्मेलन से यह भी संकेत गया कि अमेरिका ने भारत को अपनी गलतियों के कारण खो दिया है और जिसके दुष्परिणाम अमेरिका को भविष्य में भुगतने ही पडे़ंगे।
यदि विहंगम दृष्टि से देखा जाए तो शंघाई शिखर सम्मेलन में भारत और प्रधानमंत्री मोदी वैश्विक नेता के रूप में छाए रहे। वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ी भागीदारी निभाने वाले सदस्य देशों ने पहलगाम हमले की निंदा कर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का पूरा साथ दिया है। विशेषज्ञ भारत की विदेश नीति और कूटनीति की प्रशंसा कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अब भारत एक स्टार पॉवर बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में गाजा पर हो रहे हमलों की निंदा का प्रस्ताव पारित हुआ जिससे भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वालों को भी कड़ा और स्पष्ट उत्तर मिल गया है।
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