प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत को सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में आत्मनिर्भर व स्वदेशी बनाने का संकल्प दोहराते हुए देशवासियों को बताया था कि हम बहुत जल्द ही स्वदेशी चिप लॉन्च करने जा रहे हैं। इसके पन्द्रह दिनों के अन्दर ही भारत ने स्वदेशी चिप लॉन्च करके इतिहास रच दिया है, यद्यपि इस पर काम पिछले साढ़े तीन वर्ष से चल रहा था।
सेमीकॉन इंडिया 2025 अवसर पर केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं आई.टी. मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत में निर्मित पहली चिप विक्रम -3201 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट की। इसे इसरो की सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला द्वारा तैयार किया गया है। भारत की पहली स्वदेशी विक्रम चिप को विशेष रूप से राकेट और सैटैलाइट्स के लिए बनाया गया है। यह मात्र एक चिप नहीं अपितु स्वदेशी चिप क्रांति का बिगुल है।
आगामी समय में यह छोटी सी चिप भारत को विदेशी प्रोसेसर से मुक्त करने मे अहम योगदान देगी और भारत के रॉकेट व मिसाइल क्षेत्र में एक नया स्वर्णिम अध्याय प्रारंभ हो जाएगा। राकेट निर्माण के लिए आवश्यक चिप के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी। इस चिप का मुख्य कार्य लॉन्च व्हीकल्स में नैविगेशन, नियंत्रण और मिशन प्रबंधन को संभालना है। यह रॉकेट को स्थिर और सही दिशा में रखने के लिए पल -पल में जटिल गणनाएं करता है। अंतरिक्ष का वातावरण अत्यंत कठोर होता है इसलिए इस चिप को मिलिट्री ग्रेड मानकों पर तैयार किया गया है। यह भारी गर्मी, सर्दी, कंपन और रेडिएशन में भी काम कर सकता है। इस चिप को अंतरिक्ष में पहले ही सफलतापूर्वक परखा जा चुका है। इसे पीएसएलवी -सी 60 मिशन में सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया था
भारत के लिए विक्रम -3201 बहुत अहम है क्योंकि स्पेस -ग्रेड प्रोसेसर बाजार में उपलब्ध नहीं होते। इन्हें रेडिएशन, तापमान और लॉन्च की कंपन जैसी स्थितियों के लिए डिजाइन किया जाता है। अभी भारत को कई मिशनों में विदेशी प्रोसेसर पर निर्भर रहना पड़ता था। विक्रम 3201 के आ जाने से भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता मिली है। इसरो ने विक्रम -3201 के साथ पूरा सॉफ्टवेयर इकोसिस्टम विकसित किया है । केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर लिखा कि, “पहली मेड इन इंडिया चिप यह किसी भी देश के लिए गर्व का क्षण है। भारत बहुत जल्द ही सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जाएगा क्योंकि इस क्षेत्र में पांच बड़ी परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है। वहीं चिप निर्माण के क्षेत्र में 10 बड़ी परियोजनाएं काम कर रही हैं । इसमें1.6 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। 28 स्टार्टअप्स चिप डिजाइनिंग के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
कुछ वर्षो में भारत इसका निर्यातक भी बन जाएगा। अभी चिप के लिए भारत आयात पर निर्भर है। अभी ताइवान, अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया, मलेशिया जैसे देश चिप का निर्माण करते हैं। भारत में निर्मित सबसे छोटी चिप दुनिया के सबसे बड़े बदलाव को ड्राइव करेगी। प्रधानमंत्री मोदी का मत है कि पहले दुनिया का भाग्य तेल के कुओें से तय होता था लेकिन 21वीं शताब्दी की शक्ति चिप में सिमट कर रह गई है। तेल काला सोना है तो चिप डिजिटल हीरा है। सेमीकंडक्टर का वैश्विक बाजार कुछ वर्षों में एक लाख करोड़ डॉलर को पार कर जाएगा जिसमें भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। सेमीकॉन -2025 के उद्घाटन के अवसर उन्होंने 48 देशों से आए 350 से अधिक कंपनियों के सीईओ और प्रमुखों से भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम में निवेश करने का अनुरोध किया और कहा कि सेमीकंडक्टर में गति की बहुत अहमियत है फाइल से फैक्ट्री का समय जितना कम होगा, जितना कम पेपरवर्क होगा वेफर वर्क उतना जल्द शुरू हो जाएगा।
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