कौशल किशोर
पहलगाम के बैसरन घाटी में पर्यटकों पर आतंकवादी हमले के एक सप्ताह से अधिक का समय गुजर जाने के बाद भी घटना को अंजाम देने वाले आतंकवादियों तक सरकार नहीं पहुंच पाई है। हालांकि, उनकी पहचान जरूर सामने आ गई है। ये संख्या में तीन थे। दो पाकिस्तानी- हाशिम मूसा और अली भाई तथा तीसरा कश्मीरी- आदिल थोकर। सूत्रों के हवाले से बात सामने आई है कि हाशिम मूसा ने हमले को लीड किया था। यह शख्स पाकिस्तान की आर्मी की स्पेशल फोर्स का पूर्व पैरा कमांडो था। उम्मीद है कि देर-सवेर पहलगाम को लहूलुहान करने वालों का हिसाब होगा।
कश्मीर में इस आतंकी हमले के खिलाफ पूरे देश में शोक और आक्रोश की लहर फैली हुई है। देश उबल रहा है और लोगों के निशाने पर पाकिस्तान है। यह घटना कश्मीरियों के लिए भी निजी धक्के जैसा है। इस साल के टूरिस्ट सीजन की शुरुआत में ही वहां के पर्यटन उद्योग और उस पर निर्भर रहने वाले लोगों की रोजी-रोटी पर हमला हुआ है। बड़ी आर्थिक चोट पड़ी है। कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त करने और उसे पटरी पर लाने की जो प्रक्रिया चल रही थी, इस घटना ने उस पर भी गहरी चोट की है। सब कुछ को सामान्य होने में थोड़ा समय लगेगा।
घटना के दूसरे दिन ही कैबिनेट की बैठक हुई। उसके बाद सर्वदलीय बैठक हुई। कश्मीर में आतंकवादियों के संदिग्ध ठिकानों पर हमले जारी हैं। 500 से अधिक जगहों पर छापामारी की गई है। अनेक घरों को ध्वस्त कर दिया गया है। यह हमला पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जुड़ा है। भारत सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं। 23 अप्रैल को हुई पहली कैबिनेट बैठक में भारत ने निम्नलिखित फैसले लिए- एक, 1960 की सिंधु जल संधि तुरंत प्रभाव से तब तक स्थगित रहेगी, जब तक आतंकवाद को पाकिस्तान का समर्थन जारी रहेगा। दो, सरकार ने इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट अटारी को तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया। जो लोग वैध अनुमति लेकर इस रास्ते से भारत आए हैं, उनके लिए लौटने की पहली मई तक की समयसीमा है। तीन, पाकिस्तान के नागरिकों को अब सार्क वीजा छूट योजना से भारत यात्रा की अनुमति नहीं होगी। पहले से जारी ऐसे सभी वीजा निरस्त माने जाएंगे। चार, नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा व सैन्य सलाहकारों को एक हफ्ते के भीतर भारत छोड़ना होगा। इसी तरह भारत भी अपने अधिकारियों को वापस बुलाएगा। दोनों उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या को घटाया भी गया है। इस पूरी प्रक्रिया की समयसीमा पहली मई है।
29 अप्रैल को प्रधानमंत्री ने सुरक्षा को लेकर उच्चस्तरीय बैठक की। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सशस्त्र बलों को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए खुली छूट देने की बात कही है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का तरीका, लक्ष्य और समय सेना तय करे। आतंकवाद पर प्रहार के तीनों सेनाओं के विकल्प क्या हो सकते हैं ? आर्मी पहले की तरह आतंकवादियों के ठिकानों या ट्रेनिंग कैंप पर सर्जिकल स्ट्राइक कर सकती है। मिसाइलों से ठिकानों को नष्ट किया जा सकती है। ड्रोन का भी इस्तेमाल आतंकियों की सफाई के लिए किया जा सकता है। वायु सेना द्वारा एयर स्ट्राइक करके पाकिस्तान में चल रहे ट्रेनिंग कैंपों को ध्वस्त किया जा सकता है। ऐसा पहले भी किया जा चुका है। समुद्री जहाज रोकने का भी विकल्प है। सेना आतंकवाद से निपटने को क्या रणनीति अपनाती है, यह आगे उनकी योजना और कार्रवाई के बाद ही पता चल पाएगा।
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने दूसरी उच्चस्तरीय कैबिनेट मीटिंग की है। सरकार सैन्य कार्रवाइयों के साथ अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रही है। वह आर्थिक और कूटनीतिक होगा। आतंकवाद के खिलाफ भारत के द्वारा छेड़े गए युद्ध को कई देशों का समर्थन मिला है। कोशिश है कि समर्थन व्यापक हो। पाकिस्तान को अलग-थलग किया जाए। इससे देश के आर्थिक हितों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े। इस बीच पाकिस्तान में भारत की तैयारियों को लेकर दहशत का माहौल है। उसने सिंधु जल संधि खत्म करने को युद्ध की संज्ञा दी है। पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्री अत्ताउल्लाह तरार ने दावा किया कि भारत अगले 24-36 घंटों में पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर सकता है।
पहलगाम की आतंकी घटना के विरुद्ध कश्मीरी जनमानस एकजुट हुआ है। यह कश्मीर में आ रहे या आए बदलाव की अभिव्यक्ति है। पिछले कुछ वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर के स्तर पर कश्मीर में काफी काम हुआ है। वह विकास की राह पर है। आम कश्मीरियों को राहत मिली है। पहलगाम जैसी दुखद घटनाएं इस बदलाव को नष्ट करने वाली है। आतंकवाद कमजोर हुआ है। वहां उसका स्पेस सिमट रहा है। पहलगाम जैसी घटना उसके पांव उखड़ने और बौखलाहट का नतीजा है। कश्मीर जिस मोड़ पर है, वह आतंकवाद से मुक्ति चाहता है। घाटी में पाकिस्तान का भावनात्मक प्रभाव खत्म हो रहा है। जो आवाज जम्मू और कश्मीर विधानसभा से उठी है, उसे सुना जाना चाहिए। इस घटना के विरुद्ध पूरा सदन एकजुट हुआ। उसने यह संदेश दिया कि पूरा देश एक है। ऐसे में किसी भी आतंकवादी कार्रवाई को पूरे समाज से जोड़ देना या धार्मिक व सांप्रदायिक रंग देना ठीक नहीं है। आतंकवादियों और कश्मीरी जनता को अलग करके ही देखना होगा। आतंकवादियों के खिलाफ संघर्ष में कश्मीरी जनता को शामिल करके ही उसे अंतिम रूप से शिकस्त दी जा सकती है।
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