हरि मंगल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्ता के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे संधर्ष में फिलहाल विराम लगता दिखाई पड़ रहा है। हर बार की तरह इस बार भी भारत हर मोर्चे पर बढ़त बनाए रखने के बाद भी सीजफायर के लिये सहमत हुआ है। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए वैश्विक पटल पर भारत ने एक बार फिर यह दिखाने में सफल रहा है कि उसके अंदर शत्रुता का बोध नहीं हैं, वह कभी युद्ध का पक्षधर नहीं रहा है लेकिन यदि उसकी अस्मिता पर हमला हुआ तो वह हमलावरों को माफ नहीं करेगा, भले ही उसे किसी सीमा तक जाना पड़े।
10 मई की शाम 05 बजे से लागू सीजफायर के बाद भारत ने पाक स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशन सिंदूर पर अस्थाई रुप से विराम लगाने की बात स्वीकार की है। अब इस अस्थाई विराम के बाद यह समीक्षा शुरु हो गई है कि भारत का यह अभियान कहां तक सफल रहा है। 6 और 7 मई की रात 1ः05 बजे भारत ने अपना ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। मात्र आधे घंटे से कम समय में उसने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में कुल 09 आतंकी ठिकानों को मिसाइल और ड्रोन से हमला करके जमींदोज कर दिया। इन स्थानों का उपयोग आतंकवादियों के ठिकानों, हथियारों के रखरखाव और लॉन्चिंग पैड के रुप में लाया जा रहा था। पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर भारत की ओर से किया गया यह सबसे बड़ा और सफल ऑपरेशन रहा है, जिसे आतंकवादियों के साथ ही पाक की जनता ने भी स्वीकार किया। इस आपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के 100 से अधिक आतंकी और उनके समर्थक मारे गए, जिससे पाक को करारा झटका लगा है।
पाकिस्तान को अपने मिसाइल और ड्रोन पर बहुत गर्व था। ऑपरेशन शुरु होने के बाद पाक सेना राजस्थान जम्मू, कश्मीर, पंजाब आदि राज्यों के भारतीय एयरबेस को टारगेट करके मिसाइल और ड्रोन हमले किए लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने उन सबको नाकाम कर दिया। भारत ने अपनी धरती से ही पाक स्थित वायु सेना के कुल 11 एयरबेस ठिकानों, जिसमें स्कार्दु सरगोधा, जकोहाबाद, भोलारी, नूर खान, रफीकी, मुरीद, सियालकोट एयरबेस शामिल है, पर आक्रमण करके भारी नुकसान पहुंचाया। इतना ही नहीं वायु सेना के ठिकानों, राडार ईकाइयों, गोला बारुद डिपो को नष्ट करने में सफलता पाई है। भारत के ऑपरेशन ने पाक की सैन्य क्षमताओं को बहुत कमजोर साबित किया है, विशेष रुप से उसकी वायु सेना, मिसाइल और ड्रोन भारतीय क्षमता के आगे बौने साबित हुए हैं। पाक ने भारत पर एक साथ 400 ड्रोन से हमले किए, भारत ने लगभग सभी को नष्ट कर दिया। इस दृष्टि से भारत की रक्षा प्रणाली का अंदाजा लगाया जा सकता है। तुर्किये के जिस ड्रोन को पाक अपना मुख्य हथियार मान रहा था, वह भी भारत की सैन्य रक्षा प्रणाली, जिसमें देश की स्वदेशी तकनीक भी शामिल है, के आगे पटाखा साबित हो गया।
मात्र 90 घंटे तक चले ऑपरेशन सिंदूर के कारण विश्व पटल पर अब रक्षा क्षेत्र में भी भारत के आत्मनिर्भरता की धाक बन गई है। ऑपरेशन में भारत की सफलता का राज विदेशों से क्रय तमाम सामरिक हथियार, विमान और एयर डिफेंस सिस्टम तो है ही लेकिन स्वदेशी तकनीक से बने तमाम हथियार भी पाक सैन्य हथियारों पर भारी पड़े। स्कैल्प मिसाइल, हैमर बम, आत्मघाती ड्रोन जैसे सामरिक हथियारों ने पाकिस्तान को धूल चटाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। भारत अभी तक अपने यहां निर्मित हथियारों का सीमित निर्यात करता रहा है, लेकिन इस घटना के बाद भारत से रक्षा सौदे करने वाले देशों की संख्या में बढोत्तरी होगी।
भारत पिछले कई दशक से आतंकवाद का दंश झेल रहा है लेकिन इतनी बड़ी कार्यवाही कभी नहीं हुई। इस बार की घटना के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने दृढ इच्छाशक्ति से आतंकवाद का जवाब देने की रणनीति बनाई तो पूरा देश साथ में आ खड़ा हुआ। राजनैतिक विरोधी भी बिना किसी शर्त और औपचारिकता प्रदर्शित किए देश के साथ खड़े नजर आए। अभी तक पाकिस्तान जिन मुस्लिम देशों के सहारे अपने कुकर्मों पर परदा डालता रहा है, उनमें से अधिकांश ने उससे किनारा किया और भारत के साथ खड़े नजर आये। जिस चीन पर पाक को सबसे ज्यादा भरोसा था, वह भी ऑपरेशन के दौरान खामोश बना रहा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को मिले व्यापक समर्थन में अधिकांश देशों ने यही कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध भारत को आत्मरक्षा का अधिकार है। दरअसल, भारत शुरु से ही कहता आ रहा है कि उसकी लड़ाई आतंकवाद के विरुद्ध है, आम नागरिकों से उसका कोई सरोकार नहीं है। यही कारण था कि भारत ने प्रयास किया कि ऑपरेशन आतंकवादी ठिकानों तक सीमित रहे, रक्षा या नागरिक ठिकाने उसकी जद में न आएं।
भारत की सैन्य कार्यवाही से पाकिस्तान का आतंकी चेहरा पूरे विश्व के सामने आ गया है। समूचे विश्व में अब तमाम माध्यमों, जिसमें मीडिया कवरेज शामिल है, द्वारा यह तथ्य स्थापित हो गया कि पाकिस्तान आतंकवाद को प्रश्रय दे रहा है और दक्षिण एशियायी देशों में वह आतंकवादियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना है। पाकिस्तान का अतीत भी लोगो के सामने है कि जिस अमेरिका के सहारे वह अपना अस्तित्व बचा रहा है, उसके कट्टर दुश्मन ओसामा बिन लादेन को उसने अपने रक्षा ठिकाने के पास शरण दी थी। आतंकवादियों के ठिकाने चिन्हित होने और भारत द्वारा उसे नष्ट करने के बाद पूरे विश्व में उसकी छवि को गहरा आघात लगा है, जिसका परिणाम आने वाले समय में यह होगा कि विश्व समुदाय उस पर आतंकवाद के विरुद्ध कार्यवाही कि लिए दबाव बना सकता है। सम्भव है तमाम देश जो आतंकवाद से पीड़ित हैं, वह पाकिस्तान से अपने संबंध तोड़ लें। सबसे बड़ी बात यह होगी कि अब पाक के पास ऐसा कोई आधार नहीं है कि वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के विरुद्ध सीमापार आक्रमण का आरोप लगा सके।
आतंकी ठिकानों के बचाव में आए पाकिस्तान को इस ऑपरेशन में भारी नुकसान उठाना पड़ा है। भारतीय सेनाओं के लगातार आक्रमण से पाक की सेना और नेतृत्व में बड़ी बेचैनी दिखने लगी थी। भारत एक के बाद एक प्रहार करता हुआ अपने अतिंम लक्ष्य के समीप था लेकिन उससे पहले सीजफायर हो गया। इस सीजफायर से हर बार की तरह एक बार फिर पाक बर्बाद होने साफ बच गया। भारत हर बार की तरह एक बार फिर इस भरोसे में है कि अब पाकिस्तान आतंक से पीछे हट जाएगा। भारत ने दो टूक कहा भी है कि ’’अब आतंकवादी घटनाओं को युद्ध माना जाएगा’’ और उसी के अनुरुप कार्यवाही होगी लेकिन इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान ने कभी अतीत से सबक नहीं लिया है। फिलहाल भारत ने विश्व को यह संदेश दे दिया है कि अब वह सीमा पार से होने वाले आतंकवाद को सहन नहीं करेगा। उसका दृढता से जबाब से जवाब देगा। उसकी इस मुहिम में देश का नागरिक, चाहे वह किसी जाति, धर्म, समप्रदाय का हो, नेतृत्व के साथ, सेना के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा हुआ है।
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