तीनों सेनाओं के समन्वय से सफल हो रहा ‘ऑपरेशन सिंदूर’

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भारत द्वारा पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों पर हमले के बाद दुनिया भर में भारतीय सेना की सटीक और मारक कार्यवाही को लेकर बहस चल रही है। भारतीय सेनाएं अभी भी पाकिस्तान के हमलों का करारा जवाब दे रहीं है। ऐसा लग रहा है, जैसे सेना जवाब देने के लिए पहले से ही तैयार बैठी थी।

तीनों सेनाओं के समन्वय से सफल हो रहा ‘ऑपरेशन सिंदूर’

हरि मंगल

भारतीय सेनाओं का कौशल देख कर पाकिस्तान ही नहीं विश्व के तमाम देश हैरान हैं। अभी तक इजरायल जैसे देश को लोगों ने अपने विरोधियों को सबक सिखाते हुए देखा और सुना था, लेकिन अब उसी के साथ भारत का भी नाम जुड़ गया। भारतीय सेनाएं जिस साहस, उत्साह और जज्बे के लिए देश-विदेश में विख्यात और जानी जाती रही हैं, उसकी झलक मंगलवार और बुधवार की रात दिखाई पड़ी, जब पाक स्थित आतंकी ठिकानों को उसने टारगेट करके तबाह कर दिया। आंतकवाद पर इस कड़े प्रहार ने विश्व को भी संदेश दिया कि यह मोदी का भारत है, जो देश की अस्मिता पर प्रहार करने वालों को घर में घुस कर मारता है।

विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान भारत को नुकसान पंहुचाने के लिए तमाम प्रकार के हथकंडे अपनाता रहा है, उनमें से आतंकवाद भी एक है। पहलगाम हमले से पहले पुलवामा और भारतीय अस्मिता के प्रतीक संसद भवन पर हुए आतंकी हमले पाकिस्तान प्रायोजित रहे और उसकी टीस हर भारतीय के दिलों में है। भारतीय नेतृत्व को यह पता था कि पाक का रवैया फिलहाल बदलने वाला नहीं है और आने वाले समय में उसे दृढ़ता के साथ जवाब देना ही पड़ेगा। पाक को उचित समय पर जवाब देने के लिए भारतीय नेतृत्व लम्बे समय से अपनी तैयारी कर रहा था। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भले ही आतंकवादियों के विरुद्ध चलाया गया अभियान है लेकिन पाक उसे न केवल अपने ऊपर हमले से जोड़ कर देख रहा है अपितु प्रतिकार में भारत के ऊपर मिसाइल, ड्रोन और युद्धक विमानों से हमला कर रहा है। जम्मू, पठानकोट, ऊधमपुर, पोखरण जैसे महत्वपूर्ण स्थलों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं लेकिन भारत की ओर आने वाली सभी मिसाइलों, ड्रोनों को भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम सफलतापूर्वक रोक कर नाकाम कर दे रहा है।

सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं सीडीएस

कारगिल युद्ध के बाद देश में तीनों सेनाओं के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए सीडीएस यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद सृजित किया गया, जो सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार रुप में है। तीनों सेनाध्यक्षों में समन्वय स्थापित कराने का जो दायित्व सीडीएस को सौंपा गया है, उसमें वह पूर्णतया सफल रहे, जिसको सभी ने सराहा। भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर में तीनों सेनाओं का समन्वय सराहनीय रहा है। इस अभियान के प्रथम चरण में थल सेना के साथ वायु सेना ने तालमेल बिठा कर अपने टारगेट को अंजाम दिया है, वहीं नौसेना को भी हाईअलर्ट पर रखा गया है। भारतीय नौसेना के दोनों विमानवाहक पोत और 13 विध्वंसक पोत पूरे हालात पर टकटकी लगाए हुए हैं। जम्मू कश्मीर, राजस्थान या फिर गुजरात की सीमाओं पर जहां थल सेना मुस्तैद है, वहीं दुश्मन के हवाई आक्रामण को वायु सेना लगातार विफल कर रही है। भारतीय सेना की तैयारियों की बात की जाए तो वह कई स्तरों पर एक रणनीति के तहत चलती रहती है। भारत अपनी रक्षा प्रणाली मजबूत करने के लिए सदैव से गम्भीर रहा है। उन्नत और सामयिक हथियारों और लडाकू विमान उसकी प्राथमिकता में रहे हैं। 

युद्ध की स्थिति में मजबूत वायु रक्षा प्रणाली को बहुत कारगर माना जाता है क्योंकि इसमें मिसाइलरोधी प्रणालियों के साथ-साथ राडार और अन्य उपकरण लगे होते हैं, जो हमलावर विमानों, मिसाइल का पता 400-600 किलोमीटर पहले ही लगा कर नष्ट कर देते हैं। भारत ने 2019 में रुसी एस-400 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम हासिल किया था, जो ऑपरेशन सिंदूर में महत्वपूर्ण  भूमिका निभा रहा है। इस एंटी एयरक्राफ्ट के कारण ही पाक द्वारा देश के विभिन्न शहरों पर किए गए मिसाइल और ड्रोन हमलों से देश में कोई तबाही नहीं होने पाई। फ्रांस से खरीदे गए राफेल विमान आज भारत की रक्षा प्रणाली के अग्रिम पंक्ति में हैं। आंकड़ों की बात की जाए तो भारत के पास इस समय 2,200 सैन्य विमान और हेलीकॉप्टर हैं। इस ऑपरेशन में सेना के जिस तैयारी की सबसे ज्यादा प्रशंसा हो रही है, वह है आतंकवादी ठिकानों की सटीक लोकेशन की जानकारी। पहले चरण में जिन 09 स्थानों पर मिसाइल हमले किए गए, वह सभी किसी न किसी रुप में आतंकवाद से जुड़े रहे हैं। उन स्थानों की सही लोकेशन ज्ञात करना दो-चार दिन का काम नहीं था। सेना और उसकी खुफिया एजेंसियों ने जान जोखिम में डाल कर उसे हासिल किया, जिसके कारण ऑपरेशन सिंदूर सफल हो रहा है।

एस-400 बना भारत का कवच 

इस अभियान में जिस रक्षा प्रणाली का सबसे ज्यादा उपयोग हो रहा है, वह है एस-400 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल। रुस द्वारा निर्मित इस वायु रक्षा प्रणाली को 2019 में खरीदा गया था, जिसमें खास किस्म के राडार लगे हुए हैं। यह दुनिया की सबसे बेहतरीन वायु रक्षा प्रणालियों में से एक है। यह एंटी एयरक्राफ्ट 400 किमी दूर से आ रही मिसाइल और ड्रोन की पहचान कर उसे नष्ट करने की ताकत रखता है। भारत में इसे सुदर्शन चक्र नाम दिया गया है। यह सिस्टम एक बार में 80 लक्ष्यों का पता लगा कर 36 पर निशाना साध सकता है। भारत द्वारा इसकी कुल 5 प्रणालियां खरीदी गई हैं।

सैन्य बलों को पीएम नरेंद्र मोदी का फ्रीहैंड

ऑपरेशन सिंदूर में तीनों सेनाओं में उत्साह और समन्वय के पीछे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महती भूमिका है। पहलगाम हमले के बाद 30 अप्रैल को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजीत डोभाल, सीडीएस अनिल चैहान और तीनों सेनाध्यक्षों के साथ हुई बैठक में प्रधानमंत्री ने सेना को फ्रीहैंड करते हुए कहा था कि आतंकवाद को करारा जवाब देना हमारा राष्ट्रीय संकल्प है। हमें भारतीय सेनाओं की पेशेवर क्षमताओं पर पूरा भरोसा है। तीसरा उन्होंने कहा था कि हमारी जवाबी कार्यवाही क्या हो, इसके टारगेट्स कौन से हो, इसका समय कौन सा हो, इस प्रकार के ऑपरेशनल फैसले लेने के लिए सैन्य बलों को छूट है। प्रधानमंत्री द्वारा कार्यवाही के लिए सेना को फ्रीहैंड दिए जाने का शायद पहला मामला होगा। ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद सेना की चलने वाली रात्रिकालीन कार्यवाही का अपडेट प्रधानमंत्री लगातार ले रहे हैं, तो दूसरी ओर रक्षा मंत्री लगातार सेना प्रमुखों के साथ बैठक करके उनका मनोबल बढ़ा रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह भी बीएसएफ और सीआईएसएफ के डीजी के साथ लगातार सम्पर्क में हैं, तो गृह मंत्रालय के निर्देश पर 08 मई को हुए मॉक ड्रिल के माध्यम से देश के आम नागरिकों को आपात स्थितियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जा चुका है। 
 

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