नेपाल सीमा पर गरजता बुलडोजर

खबर सार : -
यूपी सरकार नेपाल सीमा से लगी भूमि पर हुए अवैध कब्जे को हटवाने के लिए निर्णायक कार्यवाही कर रही है, जिसकी जद में अनेकों मजहबी संस्थान और मस्जिदों के आने से लोग इसे मुस्लिमों के विरुद्ध कार्यवाही के रुप में देख रहे है, जबकि सच्चाई हैरान करने वाली है।

खबर विस्तार : -

हरि मंगल

भारत-नेपाल सीमा पर गरजता उप्र सरकार का बुलडोजर चर्चा में है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भारत-नेपाल सीमा के जीरो प्वाइंट से 15 किमी तक भारतीय भूमि पर सभी प्रकार के अवैध कब्जों को तत्काल हटवाए जाने का आदेश दिया गया है। यह आदेश प्रदेश के गृह मंत्रालय की उस रिपोर्ट के बाद दिया गया है, जिसमें बताया गया है कि सीमावर्ती गांवों में सरकार की खाली पड़ी भूमि पर एक साजिश के तहत अवैध कब्जा किया जा रहा है। अनेक स्थानों पर तो मस्जिद, मदरसे, मजार और ईदगाह तक बनाये जा रहे हैं। स्थानीय प्रशासन उस पर अंकुश नही लगा पा रहा है। उस रिपोर्ट में आंकड़ों के साथ यह भी खुलासा किया गया है कि अनेक गांवों में मुस्लिम आबादी अप्रत्याशित रुप से बढ़ जाने के कारण क्षेत्र की डेमोग्राफी बदल गई है। 25 अप्रैल से शुरु हुआ अतिक्रमण हटाओ अभियान लगातार चल रहा है, जिसकी जद में अवैध मजहबी संस्थान और मस्जिदें भी शामिल हैं। यह अभियान नेपाल सीमा से सटे सभी 07 जिलों महराजगंज, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, बलरामपुर, बहराइच, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत में एक साथ चलाया जा रहा है।

सिद्धार्थनगर में 500 से अधिक कब्जे

प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की 68 किमी सीमा नेपाल से सटी है। सरकार के आदेश के बाद अवैध कब्जे के  सर्वे में शोहरतगढ और सदर तहसील के अन्तर्गत आने वाली सरकारी भूमि पर लगभग 600 से अधिक स्थानों पर अतिक्रमण पाए गए हैं। इन दोनों तहसीलों के अन्तर्गत कुल 17 मस्जिद और मदरसे भी अवैध रुप से संचालित हो रहे हैं, उन पर कार्यवाही की गई है। इनमें 09 मस्जिद और मदरसे सदर तहसील और 08 शोहरतगढ तहसील की भूमि पर है। जिलाधिकारी डॉ. राजा गणपति आर. के अनुसार सभी अतिक्रमण करने वालों को नोटिस भेजा गया है, जिसमें मस्जिद और मदरसे के प्रंबंधक भी शामिल है। यदि तय सीमा में अतिक्रमण नहीं हटा तो प्रशासन नियमानुसार कार्यवाही करेगा। बताया गया कि इनमें से अधिकांश कब्जे पिछले तीन वर्षों के अंदर किए गए हैं।

बहराइच में भी बढ़े कब्जे

बहराइच जिले की तहसीलों नानपारा, मोतीपुर, महसी और मिहींपुरवा के अनकों गांवों में सरकारी भूमि पर हुए अवैध कब्जे को हटवाने के लिये प्रशासन कार्यवाही कर रहा है। सरकारी भूमि पर हुये अवैध कब्जों को हटाने के लिये बुलडोजर का सहारा लिया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि 100 से अधिक स्थानों पर हुए अवैध कब्जे को बुलडोजर से हटवाना पड़ा। बताया जा रहा है कि केवल नानपारा तहसील में 227 और मिहींपुरवा में 157 स्थानों पर अवैध कब्जे किये गये हैं। बहराइच जनपद में अब तक 150 के लगभग अवैध कब्जों को हटाया गया है, जिसमें सर्वाधिक नानपारा में है।

बलरामपुर में आठ मदरसे अवैध

सरकारी भूमि पर अवैध कब्जों को हटाये जाने से पहले अतिक्रमणकारी को नोटिस दिए जाने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद अनेक स्थानों पर अब प्रशासन बैकफुट पर खड़ा रहता है। यही कारण है कि सरकारी भूमि पर अवैध रुप से संचालित जनपद के आठ मदरसों को नोटिस दिया गया है। यद्यपि 03 मजारों से अतिक्रमणकारियों द्वारा कार्यवाही के चलते अपना अवैध कब्जा हटा लिया गया है। जनपद में अवैध कब्जों की पड़ताल जारी है। अब तक कुल 16 अतिक्रमण चिन्हित हुए हैं, जिनमें 03 मजारों पर कार्यवाही की जा चुकी है। एक स्थान पर तो ईदगाह है, जिस पर कार्यवाही की तैयारी है। बहराइच में चल रहे मदरसों में अब तक 20 मदरसे मानकविहीन पाए गए हैं, जिन पर प्रशासन अपनी कार्यवाही की तैयारी कर रहा है।

श्रावस्ती में अवैध मस्जिद और मदरसों की भरमार    

श्रावस्ती जनपद में अवैध रुप से चल रहे मजहबी शिक्षण संस्थानों और मदरसों को लेकर प्रशासन ज्यादा सक्रिय है। 25 अप्रैल से शुरु हुआ अभियान चल रहा है। अवैध रुप से संचालित मदरसों को नोटिस देकर सील किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि कुल 50 के आस-पास मदरसे अवैध रुप से संचालित हो रहे थे, जिन्हें सील किया गया है। प्रशासन ने अवैध कब्जों को हटवाने के लिए अपने अभियान में बुलडोजर शामिल किया है, जिसके चलते अब तक 140 अवैध कब्जे हटाये जा चुके हैं, जिसमें 08 अवैध मदरसे और भिनगा तहसील के एक गांव में बनी अवैध मस्जिद भी शामिल है।

महराजगंज में नो मेंस लैंड पर मजार बनाने की तैयारी

महराजगंज में अवैध निमार्ण का सर्वे करने वाली टीम ने एक ऐसा मामला पाया, जो हैरान कर देने वाला था। जनपद के राजस्व गांव सोपपिपरी खुर्द का गाटा सं. 40, जो नो मेंस लैंड पर स्थित है, वहीं पर एसएसबी चेक पोस्ट के सामने कुछ लोग चादर और मिट्टी डाल का मजार विकसित करने की तैयारी कर रहे थे। यदि समय रहते न देखा गया होता तो आने वाले समय में नो मेंस लैंड पर एक मजार दिखाई पड़ती। प्रशासन ने तालाब की भूमि पर बने एक मदरसे को ध्वस्त करा दिया। लखीमपुर खीरी प्रशासन का कहना है कि उनके जनपद में नेपाल सीमा से सटे सरकारी भूमि पर कोई अवैध निर्माण नहीं पाया गया है। 

सीमा से सात जिलों में तेजी से बढ़ रही मुस्लिम आबादी

प्रदेश सरकार द्वारा 25 अप्रैल से चलाये गये इस अभियान को तमाम लोग पहलगाम की घटना और मुस्लिम आंतकवादियों से जोड़ कर देख रहे हैं लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। नेपाल राज्य से प्रदेश के सात जनपदों की 551 किमी सीमा लगी हुई है। इस अभियान की जद में आने वाले सर्वाधिक अवैध कब्जे मुस्लिमों के हैं। सर्वाधिक स्थाई निर्माण मदरसे, मस्जिद और ईदगाह के रुप में है। मदरसे बिना मानक, मान्यता और अवैध भूमि पर चल रहे हैं। इसकी शिकायत शासन को लगातार प्राप्त हो रही थी। सरकार द्वारा इसे गम्भीरता से लेते हुए गृह मंत्रालय से रिपोर्ट मांगी गई। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। 2022 की रिपोर्ट में सरकार के संज्ञान में लाया गया कि नेपाल के सीमा से सटे सात जिलों में मुस्लिम आबादी अनुपात से कहीं ज्यादा गति से बढ़ी है, जो इस बात के संकेत हैं कि नेपाल के रास्ते घुसपैठ हुई है। 551 किमी की सीमा में कुल 1,050 गांव और मजरे आते हैं। मात्र 10 वर्षों में इनमें से 116 गांवों की मुस्लिम आबादी में 50 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हो गई, जबकि लगभग 300 गांवों में 30 से 45 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई। यह आंकड़ा आगे और चौंकाने वाला है। पुलिस विभाग ने अपनी जांच में पाया कि मात्र चार वर्षों में इन गांवों में चल रहे मदरसे और मस्जिदों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हो गई। पहले इनकी कुल संख्या 1,349 थी, जो बढ़ कर 1,688 हो गई। नेपाल सीमा पर मस्जिद और मदरसों के बनने का खेल काफी पुराना है इसीलिए सरकार सीमा के आस-पास चल रहे हालात के साथ-साथ जनसंख्या संतुलन पर दृष्टि लगाए रखती है और समय-समय पर कार्यवाही भी करती है। 2020 में भी पुलिस ने पाया था कि सीमावर्ती गांवों में मस्जिद और मदरसे तेजी से बढ़ रहे हैं। नेपाल सीमा से लगे प्रदेश के गांवों में बढ़ते अवैध कब्जे के पीछे दो कारण हैं, पहला तो जमीन की ऊंची कीमत और दूसरी सुरक्षा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील होना। सीमाएं खुली होने के कारण कई बार अपराधी और आतंकवादी नेपाल के रास्ते भारत में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं। मजहबी संस्थान चाहे वह मदरसा हो या मस्जिद या फिर ईदगाह, इनकी शरणस्थली बनने में सहायक होते हैं, इसलिए सरकार ने अब अवैध कब्जे के विरुद्ध बड़ा अभियान छेड़ा है, जो निर्णायक मुकाम पर पंहुचने के बाद ही विराम लेगा।
 

अन्य प्रमुख खबरें