Bihar Assembly Elections 2025 : बिहार विधान सभा चुनाव की तिथियां अभी घोषित नहीं हुई हैं लेकिन चुनावी धमक साफ सुनाई पड़ने लगी है। सत्तारूढ़ नीतीश सरकार अपने साथ-साथ केन्द्र सरकार की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच घूम रही है तो विपक्ष प्रभावशाली मुद्दों को लेकर गहन मंथन कर रहा है। दरअसल एसआइआर, वोट चोरी, कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे परवान न चढ़ने के बाद अब विपक्ष का फोकस परम्परागत मुद्दों बेरोजगारी, मंहगाई, भ्रष्ट्राचार, कानून व्यवस्था आदि पर है लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से जीएसटी की दरों में सुधार की घोषणा के बाद मंहगाई का मुद्दा भी विपक्ष के हाथ से निकलता दिखाई पड़ रहा है।
बिहार विधान सभा चुनाव नवम्बर 25 में सम्भावित माने जा रहे हैं। इसी के अनुरूप सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी अपनी तैयारियों में व्यस्त हैं। नीतीश सरकार के पास पिछले पांच साल का रिर्पोट कार्ड, केन्द्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनायें, 2025 के केन्द्रीय बजट में बिहार को कृषि, शिक्षा, उद्योग,रोजगार, विकास आदि के क्षेत्र में मिली प्राथमिकता और प्रदेश को जंगलराज के चक्रव्यूह से निकाल कर जीएसटी संग्रह में देश में 5वीं पायदान पर पहुंचने की उपलब्धियां है।
विपक्षी गठबंधन में सरकार के विरुद्ध जिन प्रमुख मुद्दों को हथियार बनाने का मंथन चल रहा है उनमें मंहगाई प्रमुख है। तेजस्वी यादव अपनी सभाओं में लगातार मंहगाई और करों के बोझ का जिक्र करते आ रहे हैं। इसी बीच तीन सितम्बर को जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद जीएसटी दरों में सुधार की घोषणा से आम आदमी की मुलभूत आवश्यकताओं से जुड़े आवास, भोजन, शिक्षा के साथ-साथ तमाम दैनिक उपयोग की वस्तुओं के दामों में व्यापक पैमाने पर कमी की सम्भावना बन गई है जो आम आदमी को मंहगाई से बड़ी राहत पहुंचायेगी।
जीएसटी दरों में सुधार का ज्यादा लाभ गरीब, मजदूर, किसान और छोटे उद्यमियों को मिलेगा। सुधार की नई दरें इसी माह 22 सितम्बर से लागू हो जायेंगी। प्रधानमंत्री की ओर से पहले ही कहा गया था कि दिवाली और छठ पूजा के पूर्व ही आम जनता को खुशियों की दोहरी सौगात मिलेगी। 22 सितम्बर के बाद हिन्दुओं के नवरात्रि, दुर्गा पूजा, दशहरा, दिवाली, भैयादूज और छठ पूजा जैसे प्रमुख लोकप्रिय त्योहारों की लम्बी श्रृंखला प्रारम्भ हो रही है इसलिये सरकार का प्रयास है कि इन सुधारों का भरपूर लाभ आम जनता को त्योहारों पर मिले। बिहार के विधानसभा चुनावों की तिथियां भी अक्टूबर में घोषित होने के कयास लगाये जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में इसका असर बिहार के विधानसभा चुनावों पर पड़ना स्वाभाविक है। बिहार सरकार भी इसका लाभ लेने का पूरा प्रयास करेगी।
जीएसटी दरों में हुये सुधारों को देखा जाय तो एक तथ्य बहुत स्पष्ट है कि पहली बार सबको मानना पड़ रहा है कि इसका लाभ आम आदमी के साथ गरीब और मजदूरों को मिलेगा। व्यक्तिगत स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा सहित तमाम खाद्य सामग्रियों पर लगने वाले 5 से 18 प्रतिशत टैक्स को पूर्णतया समाप्त कर दिया गया है, चिकित्सा सुविधा से जुड़े तमाम उपकरणों पर न्यूनतम 5 प्रतिशत कर लागू किये गये हैं। किसानों को बड़े लाभ मिलने के संकेत हैं। उर्वरक, ट्रैक्टर एवं उसके कल- पुर्जे, कृषि कार्य में लगी कटाई और थ्रेसिंग की मशीने, सिचाई से जुड़े स्प्रिंक्लर आदि पर न्यूनतम 5 प्रतिशत दरें लागू किये जाने से किसानों को प्रतिवर्ष नियमित लाभ मिलेगें।
मध्यम वर्गीय परिवारों में उपयोग होने वाले एयरकड़ीशनर, डिस-वाशिंग मशीन, टेलीविजन, सायकिल, मोटर सायकिल आदि पर 10 प्रतिशत तक टैक्स घटा दिये गये। निर्माण सामग्री जैसे सीमेंट, पत्थर,रेत, चूने की ईटों आदि पर टैक्स कम किये जाने का लाभ भी आम आदमी को मिलेगा। शिक्षा के क्षेेेेत्र में किताबें, कापियां, स्टेशनरी आदि से पूर्ण टैक्स हटा लेने से ग्रामीण और कम आय वाले परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी परिषद ने सबसे ज्यादा राहत खाने पीने और दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर दी है। लगभग 50 वस्तुयें अब जीएसटी की सीमा से बाहर हो जायेंगी। 350 से अधिक आइटमों पर न्यूनतम 5 प्रतिशत जीएसटी देय होगी। वित्त विशेषज्ञों द्वारा किये जा रहे आकलन पर भरोसा करें तो एक मध्यम वर्गीय परिवार को दैनिक वस्तुओं के उपयोग में औसतन 1800 रुपये प्रतिमाह और वार्षिक करीब 40000 रुपये की बचत होगी। यह लाभ उस समय और बढ़ जायेगा यदि परिवार कोई छोटी कार खरीदता है या अपना मकान बनवाता है।
जीएसटी सुधारों का निर्णय ऐसे समय पर आया है जब बिहार के चुनाव आसन्न है। नीतीश सरकार को अब विपक्ष के मंहगाई मुद्दे की बड़ी काट मिल गई है। नई जीएसटी की दरें भले 22 सितम्बर से लागू होना है लेकिन सरकार के साथ-साथ राजग का सोशल मीडिया इसे लेकर सक्रिय दिख रहा है। अब राजग के गठबंधन में शामिल दल अपनी सभाओं, गोष्ठियों और सम्मेलनों में इसका बड़ी प्रमुखता से उल्लेख करते हुये आम आदमी के साथ छोटे व्यापारियों और युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं। बिहार में किसान,मजदूर और मध्यम आय वाले मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग है और जीएसटी सुधारों से इन्हीं को ज्यादा फायदा मिल रहा है।
दैनिक उपयोग की वस्तुयें सस्ती होगीं तो आम आदमी को राहत मिलेगी और निश्चित रूप से उनका झुकाव राजग की ओर होगा। इसके पहले इसी वर्ष करों की कटौती का लाभ सरकार को दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिल चुका है। आयकर सीमा में बढ़ोत्तरी के बाद हुये दिल्ली विधानसभा के चुनाव में भाजपा को सत्ता मिली है।
जीएसटी संग्रह के मामले में बिहार राज्य आज सर्वोच्च राज्यों की सूची में पांचवें स्थान पर है। पिछले वित्तीय वर्ष में उसकी कर-संग्रह वृद्धि दर 18 प्रतिशत थी जो राष्ट्रीय औसत से पांच प्रतिशत अधिक थी। आंकड़े बताते है कि पिछले छः वर्षो में राज्य में कर-संग्रह में 122 प्रतिशत की रिकार्ड बढ़ोत्तरी हुई है। बिहार में 6.5 लाख व्यापारियों ने ही अभी तक जीएसटी पंजीयन कराया है। बिहार की राजनीति में माना जाता है कि अधिकांश छोटे और मध्यम वर्ग के व्यापारी भाजपा अथवा राजग समर्थक है। जीएसटी के स्लैब कम हो जाने तथा दरों में कटौती से वस्तुयें सस्ती होंगी जिससे व्यापारियों को भी राहत मिलेगी और वह सरकार के साथ ज्यादा उत्साह से खड़े होंगे। इतना ही नहीं तमाम प्रकार के कच्चे मालों से जीएसटी हटाये जाने या कम किये जाने के कारण उससे उत्पादित माल की लागत कम होगी जो व्यापारियों के साथ ही उपभोक्ताओं के लिये लाभ का सौदा होगा।
वित्त मंत्री की ओर से जीएसटी दरों में सुधार की घोषणा के बाद विपक्ष के सामने संकट खड़ा हो गया है। सरकार की नीतियों और योजनाओं में आक्षेप निकालने वाले विपक्ष के सामने संकट है कि इस सुधार का विरोध किस आधार पर करें क्योंकि राहत आम जनता को मिल रही है। ऐसे में विपक्ष सिर्फ यह कह कर अपनी भड़ास निकाल रहा है कि यह सुधार आम आदमी को राहत देने के लिये नहीं बल्कि राज्य विधानसभा चुनावों में लाभ लेने के लिये किया गया है। विपक्ष भी मान रहा है कि न केवल ग्रामीण अपितु शहरी मतदाताओं को आकर्षित करने के लिये ऐसा किया गया है।
राज्य में सरकार को चुनौती दे रहे आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पिछले कुछ माह से मंहगाई को लेकर सरकार पर हमलावर रहे है। वह अपनी सभाओं में कहते रहे हैं कि करों के बढ़ते बोझ से आम जनता का जीवन यापन कठिन हो रहा है लेकिन पिछले कुछ महीनों में सरकार के दो बड़े निर्णयों ने विपक्ष के इस मुद्दे को शांत रहने पर मजबूर कर रहा है। सरकार ने पहले 2025-26 से आयकर सीमा में बढ़़ोत्तरी करके मध्यम आय वाले सरकारी कर्मचारियों और व्यापारियों को राहत दी तो अब जीएसटी दरों में बदलाव करके आम लोगों को बड़ी राहत दे दी है। जहां तक बिहार के चुनाव के दृष्टिगत इनको लागू करने का सवाल है तो हर कोई जानता है कि देश में पूरे वर्ष कहीं न कहीं विधानसभा चुनाव होते रहते हैं।
सरकार के जीएसटी दरों में सुधार के निर्णय का लाभ पूरे देश को मिलेगा जिससे बिहार अछूता नहीं होगा। अब इसे संयोग ही कहा जायेगा कि यह निर्णय ऐसे समय आया है जब बिहार विधानसभा चुनाव होने वाले है। लाभ के सौदे से हर कोई खुश होता है और लाभ पहुंचाने वाले की ओर आकर्षित होता है ऐसे में यदि बिहार के मतदाता सरकार की ओर आकर्षित होते हैं तो यह कोई अजूबा नहीं होगा।
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