हरि मंगल
भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष के बीच बलूचिस्तान की आजादी के दावे की खबर ने पाकिस्तान को अब नई मुसीबत में डाल दिया है। बलूचिस्तान के प्रख्यात लेखक और बलूच लोगों के अधिकारों और स्वायत्तता की लड़ाई लड़ने के अगुवा मीर यार बलूच ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर अपनी कई पोस्टों के माध्यम से बलूचिस्तान की आजादी का दावा करते हुए विश्व के तमाम देशों और संयुक्त राष्ट्र संघ से आजादी की मान्यता देने तथा बलूचिस्तान क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना भेजने की मांग की है। मीर यार बलूच ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि हमने अपनी स्वतंत्रता का ऐलान कर दिया है। पाकिस्तान के पतन का समय अब नजदीक आ गया है। हम भारत से अनुरोध करते हैं कि बलूचिस्तान को नई दिल्ली में अपना अधिकारिक कार्यालय तथा दूतावास खोलने की अनुमति दी जाए। मीर यार ने इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ से अनुरोध किया है कि वह डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान की स्वतंत्रता को मान्यता दे तथा संयुक्त राष्ट्र की बैठक बुला कर बलूचिस्तान को समर्थन दे। यह भी अनुरोध किया गया है कि बलूचिस्तानी मुद्रा और पासपोर्ट मुद्रण के लिए अरबों डालर की धनराशि भी जारी की जाए।
मीर यार बलूच ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र से मांग की है कि वह तत्काल संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन भेजे और पाकिस्तानी सेना को तत्काल हटने का आदेश दे। उन्होंने कहा है कि पाक की सेनाएं, अर्धसैनिक बल, आईएसआई और प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी बलूचिस्तान छोड़ दें। बलूच ने तो संयुक्त राष्ट्र से यहां तक अनुरोध किया है कि वह बलूचिस्तान क्षेत्रों में तैनात सभी सैनिक बल को अपने हथियार और संपत्तियां यहीं छोड़ कर जाने के लिए कहे। मीर यार ने अपनी भावी रणनीति का खुलासा करते हुए लिखा है कि देश में शीघ्र ही बलूचिस्तान सरकार का गठन किया जाएगा, जिसमें महिलाओं को भी स्थान दिया जाएगा। आजादी और सरकार के गठन के समय एक राजकीय सम्मान समारोह का आयोजन होगा, जिसमें मित्र राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्षों को राष्ट्रीय परेड देखने और आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। बलूच ने इस अवसर पर पाकिस्तान को भी ललकारा है। उन्होंने कहा है कि ऐ नापाकिस्तान अगर तुम्हारे पास सेना है तो मेरे पास भी बलूच सेना है। उल्लेखनीय है कि बलूच सेनानी लगातार पाक सैनिकों पर हमलावर है और वह पाक सरकार को लगातार चुनौती दे रहे हैं। अभी कुछ दिन पूर्व बलूच आर्मी द्वारा पाकिस्तान में ट्रेन का अपहरण किया गया था। उससे इतर भारत-पाक के बीच चल रहे तनाव के बीच बलूच आर्मी द्वारा पाक सेना पर दो लगातार हमले किए गए हैं। केच जिले में घात लगा कर किए गए हमले में पाक के कई सैनिक मारे गए थे और उसके 24 घंटे के अंदर 08 मई को किए गए रिमोट विस्फोट से सेना की एक गाड़ी को उड़ा दिया गया जिसमें 10 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई है।
बलूच लिबरेशन आर्मी के कारण चर्चा में आए बलूचिस्तान के बारे आम लोगों को कम ही जानकारी है। बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे कम आबादी वाला प्रांत है लेकिन क्षेत्रफल की दृष्टि से यह पाक का सबसे बड़ा प्रांत है, जो 37 जिलों और 8 डिवीजन में विभाजित है। बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा है। पाकिस्तान 1947 से ही बलूचिस्तान का शोषण कर रहा है। विभाजन के समय कराये गये सर्वे के समय बलूचिस्तान के लोगों ने भारत और पाक दोनों के साथ रहने से इन्कार कर दिया था। यद्यपि उस समय तक यह ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था। पाक ने सर्वे को दरकिनार करके उसी समय जबरन बलूचिस्तान को अपने साथ मिला लिया। दरअसल, इसका मुख्य कारण बलूचिस्तान की खनिज संपदा है, जो पाकिस्तान की आय का बड़ा स्रोत है। 1947 के बाद से बलूच लोग अपनी आजादी और स्वायत्तता के लिए संघर्ष करते रहे है। खनिज संपदा के दोहन के बाद भी यह प्रांत सदैव से पाक सरकार की ओर से उपेक्षित और भेदभाव का शिकार रहा है। बलूचिस्तान में हिन्दू आबादी भी है लेकिन बहुत कम संख्या में। बताया जाता है कि इस प्रांत की कुल जनसंख्या का 0.4 प्रतिशत हिन्दू है, जो अल्पसंख्यक श्रेणी में है। 2023 के जनगणना के अनुसार कुल 59,107 हिन्दू बताये जाते हैं लेकिन इन आंकड़ों से पाकिस्तान हिन्दू परिषद सहमत नहीं है। उनके अनुसार बलूचिस्तान में हिन्दुओं की संख्या 1,17,345 है।
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