Swami Vivekananda की पुण्यतिथि पर PM मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह और खड़गे समेत कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

खबर सार :-
Swami Vivekananda Death Anniversary: 12 जनवरी 1863 जन्मे स्वामी विवेकानंद ने धर्मनिरपेक्षता, मानवतावाद, राष्ट्रवाद, जातिवाद और शिक्षा पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। स्वामी विवेकानंद ने ही दुनिया को वेदांत और योग के भारतीय दर्शन से परिचित कराया। स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर तमाम नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।

Swami Vivekananda की पुण्यतिथि पर PM मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह और खड़गे समेत कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
खबर विस्तार : -

Swami Vivekananda Death Anniversary: स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर देशभर में उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। इस कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई अन्य नेताओं ने स्वामी विवेकानंद के योगदान को याद किया।

प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया; "मैं स्वामी विवेकानंद जी को उनकी पुण्यतिथि पर नमन करता हूं। हमारे समाज के लिए उनके विचार और दृष्टि हमारे मार्गदर्शक प्रकाश हैं। उन्होंने हमारे इतिहास और सांस्कृतिक विरासत के प्रति गर्व और आत्मविश्वास की भावना जागृत की। उन्होंने सेवा और करुणा के मार्ग पर चलने पर भी जोर दिया।

Swami Vivekananda को दिग्गजों ने दी श्रद्धांजलि 

अमित शाह ने अपनी पोस्ट में लिखा, "भारतीय ज्ञान, दर्शन और सांस्कृतिक स्वाभिमान के पुनर्जागरण के अग्रगामी स्वामी विवेकानंद जी की  पुण्यतिथि पर उन्हें सादर श्रद्धांजलि। स्वामी जी ने एक ओर जहां देशवासियों को आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रेरित किया, वहीं दूसरी ओर युवाओं में नैतिक बल और आत्मविश्वास जगाया। विश्व पटल पर भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनः स्थापित करने वाले विवेकानंद जी ने युवाओं का आह्वान किया कि उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स पोस्ट पर लिखा, "स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन। वे न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। हम सभी उनके समृद्ध और प्रगतिशील भारत के निर्माण के सपने को पूरा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।"

 यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पोस्ट में लिखा, "'जितनी बड़ी चुनौती, उतनी ही शानदार जीत' सभ्यता, संस्कृति और स्वाभिमान के उद्घोष 'गर्व से कहो हम हिंदू हैं' के साथ सोए हुए भारत को जगाने वाले युवा संन्यासी 'राष्ट्रऋषि' स्वामी विवेकानंद जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि! आपने वेदांत, सेवा और आत्मविश्वास के प्रकाश से सनातन संस्कृति को विश्व पटल पर स्थापित किया। राष्ट्र निर्माण के प्रति आपकी दूरदृष्टि और 'उठो, जागो' का मंत्र युगों-युगों तक युवा भारत का मार्गदर्शक बना रहेगा। 

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक पोस्ट में लिखा, "भारतीय सभ्यता और संस्कृति को पूरे विश्व में प्रसिद्धि दिलाने वाले महान विचारक और करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। 

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक पोस्ट स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, "भारतीय संस्कृति, आध्यात्म और राष्ट्रीय चेतना को वैश्विक पटल पर स्थापित करने वाले स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। आपने न केवल पश्चिम में भारतीय संस्कृति और वेदांत का प्रचार-प्रसार किया, बल्कि युवाओं में देशभक्ति, आत्मविश्वास और सेवा की भावना भी जागृत की। आपके विचार भावी पीढ़ी को सदैव राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करते रहेंगे।" 

Swami Vivekananda Death Anniversary: स्वामी विवेकानंद का जीवन

बता दें कि स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था और उनके गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था। विवेकानंद ने अपने गुरु के नाम पर रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ की स्थापना की। विवेकानंद ने भारतीय दर्शन, खासकर वेदांत और योग को दुनिया में फैलाने में अहम भूमिका निभाई। ब्रिटिश भारत के दौरान राष्ट्रवाद को आध्यात्म से जोड़ने में भी उनकी भूमिका अहम मानी जाती है।

विवेकानंद ने राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता, मानवतावाद, जातिवाद और शिक्षा  पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। विवेकानंद की शिक्षाएं गीता के दर्शन, बुद्ध,उपनिषदों और ईसा मसीह की शिक्षाओं से प्रभावित हैं। उन्होंने 1893 में शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में वैश्विक ख्याति अर्जित की और इसके माध्यम से भारतीय आध्यात्म का वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया। 1893 में खेतड़ी स्टेट के महाराजा अजीत सिंह के अनुरोध पर उन्होंने 'विवेकानंद' नाम अपनाया। उन्होंने दुनिया को वेदांत और योग के भारतीय दर्शन से परिचित कराया। 1902 में बेलूर मठ में उनकी मृत्यु हो गई।

अन्य प्रमुख खबरें