Rare Earth Elements का भारत में मिला भंडार, खत्म होगी चीन पर निर्भरता

खबर सार :-
कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा किए गए शोध में सिंगरौली की कोयला खदानों और चट्टानों में REE (जैसे स्कैंडियम, यिट्रियम आदि) की आशाजनक सांद्रता पाई गई है। कोयले में इनकी औसत मात्रा 250 पीपीएम और गैर-कोयला स्तर पर लगभग 400 पीपीएम आंकी गई है। इस खोज की आधिकारिक घोषणा जुलाई 2025 में की गई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में कोयले की राख और ओवरबर्डन भी महत्वपूर्ण खनिजों का द्वितीयक स्रोत बन सकते हैं।

Rare Earth Elements का भारत में मिला भंडार, खत्म होगी चीन पर निर्भरता
खबर विस्तार : -

भोपाल: मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में दुर्लभ मृदा तत्वों Rare Earth Elements का विशाल भंडार मिला है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश अब महत्वपूर्ण खनिजों का केंद्र बनेगा। मध्य प्रदेश को ऊर्जा की राजधानी के साथ-साथ महत्वपूर्ण खनिजों की राजधानी भी कहा जाएगा। इससे भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी देश बनेगा। सिंगरौली जिले में Rare Earth Elements (आरईई) के विशाल भंडार की खोज से भारत अब चीन जैसे देशों पर निर्भर नहीं रहेगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंगलवार को एक बयान में यह बात कही। उन्होंने बताया कि केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने संसद में बताया था कि भारत में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में इन दुर्लभ तत्वों की खोज हुई है। यह उपलब्धि भारत को हरित ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मील का पत्थर साबित होगी।

चीन पर खत्म होगी निर्भरता

मुख्यमंत्री ने कहा कि Rare Earth Elements को आधुनिक तकनीक का आधार कहा जाता है। अब तक भारत इन खनिजों के लिए चीन और अन्य देशों पर निर्भर रहा है। राज्य के सिंगरौली में हुई यह खोज भारत को आयात पर निर्भरता से मुक्त करके वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाएगी। आने वाले समय में यह खोज आत्मनिर्भर भारत अभियान को मज़बूत करने के साथ-साथ औद्योगिक विकास को नई गति प्रदान करेगी।


बुनियादी ढांचा विकसित करने में जुटी सरकार

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि Rare Earth Elements की खोज को देखते हुए, राज्य सरकार अब इनके प्रसंस्करण और अनुसंधान-अन्वेषण के लिए बुनियादी ढाँचा विकसित करने में जुटी है। हाल ही में, खनिज संसाधन विभाग के एक प्रतिनिधिमंडल ने इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड (आईआरईएल) की भोपाल इकाई का दौरा किया और संभावित सहयोग पर चर्चा की। विभाग Rare Earth Element पर एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की संभावनाओं का पता लगा रहा है, जो अनुसंधान, प्रशिक्षण और उद्योग के लिए एक विश्वस्तरीय आधार प्रदान करेगा।

दुनिया में बढ़ रही भारत की साख

उन्होंने कहा कि सिंगरौली जिले में मिले इस खजाने से भारत हरित ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों और उच्च तकनीक वाले उद्योगों में आत्मनिर्भर बनेगा। आने वाले वर्षों में मध्य प्रदेश न केवल ऊर्जा की राजधानी कहलाएगा, बल्कि महत्वपूर्ण खनिजों की राजधानी भी बनेगा। चीन पर निर्भरता समाप्त होगी और भारत वैश्विक मंच पर एक शक्तिशाली देश के रूप में स्थापित होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि Rare Earth Element प्राकृतिक रूप से कई खनिज संरचनाओं में पाए जाते हैं। इनमें बास्टनेसाइट, ज़ेनोटाइम, लोपेराइट और मोनाज़ाइट प्रमुख हैं। भारत के तटीय क्षेत्रों की रेत और अपक्षयित ग्रेनाइट मिट्टी भी इन तत्वों से समृद्ध मानी जाती है।

Rare Earth Elements के उपयोग

- रक्षा एवं अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी: उच्च-प्रदर्शन वाले हथियारों, उपग्रह संचार और रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स में समैरियम-कोबाल्ट और नियोडिमियम चुम्बक आवश्यक हैं।
- पेट्रोलियम उद्योग: उत्सर्जन कम करने के लिए ऑटोमोटिव उत्प्रेरक कन्वर्टर्स और शोधन में लैंथेनम और सेरियम का उपयोग किया जाता है।
- स्थायी चुम्बक: इलेक्ट्रिक वाहनों और पवन ऊर्जा संयंत्रों के लिए नियोडिमियम-लौह-बोरॉन और समैरियम-कोबाल्ट चुम्बक आवश्यक हैं।
- डिस्प्ले और प्रकाश उपकरण: एलईडी, एलसीडी और फ्लैट पैनल डिस्प्ले में यूरोपियम, टर्बियम और यिट्रियम का उपयोग किया जाता है। कैमरा और स्मार्टफोन लेंस में 50% तक लैंथेनम होता है। 
- ऑटोमोबाइल क्षेत्र: हाइब्रिड वाहनों की बैटरियों में लैंथेनम-आधारित मिश्र धातुओं का उपयोग किया जाता है। 
- इस्पात और मिश्र धातुएँ: मिशमेटल (सेरियम, लैंथेनम, नियोडिमियम और प्रेजोडायमियम का मिश्रण) इस्पात की गुणवत्ता में सुधार लाने में उपयोगी है। 
- स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र: गैडोलीनियम का उपयोग एमआरआई स्कैन में कंट्रास्ट एजेंट के रूप में किया जाता है, जबकि ल्यूटेटियम और यिट्रियम आइसोटोप कैंसर उपचार और पीईटी इमेजिंग में उपयोगी होते हैं।

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